घर को बना दिया मिनी जंगल

08 Oct 2022 | others
घर को बना दिया मिनी जंगल

अक्षय पेशे से एक कम्प्यूटर इंजीनियर हैं, लेकिन अपने गार्डनिंग के शौक़ की वजह से उन्होंने घर में सैकड़ों पौधे उगा लिए हैं। 34 वर्षीय अक्षय और उनकी पत्नी इस घर में पिछले पांच सालों से रह रहे हैं।

अपनी गार्डनिंग के लिए अक्षय काफ़ी मशहूर भी हो गए हैं। वह बताते हैं, “मेरे गार्डन को देखकर घरवाले और दोस्त तो खुश होते ही हैं, साथ ही कई अनजान लोग भी मेरे घर सिर्फ़ गार्डन देखने आते हैं।”

घर को बना दिया मिनी जंगल_1665


बचपन में दादा को देखकर हुआ गार्डनिंग का शौक़:

मूल रूप से बरेली के रहनेवाले अक्षय बताते हैं कि बचपन में उनके दादा घर पर पौधे लगाया करते थे। उन्हें देखकर ही अक्षय का पौधों से लगाव हुआ। लेकिन पढ़ाई और बाद में नौकरी के लिए वह घर से बाहर आ गए और गार्डनिंग करने का उन्हें कभी मौक़ा मिला ही नहीं।

शादी के बाद जब वह अपनी पत्नी के साथ इंदिरापुरम के एक घर में शिफ्ट हुए, तब उन्होंने अपने घर को पहली बार पौधों से सजाने के बारे में सोचा।

अक्षय बताते हैं, “मैंने उस घर में कुछ आसान पौधे लगाने से शुरुआत की थी। तब मैंने एलोवेरा, मनीप्लांट और गुलाब जैसे पौधे लाकर लगाए थे। कुछ पौधे आराम से उग जाते, तो कुछ मर भी जाया करते थे। फिर मैंने पौधों के बारे में पढ़ना और जानकारियां इकट्ठा करना शुरू किया।”

उनके उस घर में एक छोटी सी बालकनी थी, जहाँ उन्होंने क़रीब 35-40 पौधे लगाए थे।

हरियाली से करी नए घर की सजावट:

पौधों का शौक़ ऐसा नशा है जो एक बार लग जाए फिर आसानी से नहीं जाता और इस बात को कोई गार्डनर ही समझ सकता है। अक्षय के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। साल 2017 में उन्होंने ग्रेटर नोएडा में अपना खुद का घर ख़रीदा और यहाँ आकर एक सुंदर गार्डन बनाना शुरू किया।

उनका यह फ्लैट ग्राउंड फ्लोर पर है, जहाँ उनके पास क़रीब 500 स्क्वायर फ़ीट की एक खाली जगह भी है। इसका इस्तेमाल उन्होंने पौधे लगाने के लिए किया।

अक्षय बताते हैं, “यह एक अपार्टमेंट बिल्डिंग है और जब हम यहाँ रहने आए थे तब ये सारे घर कंक्रीट के जंगल जैसे लगते थे। लेकिन आज यहाँ कई लोगों ने नीचे के एरिया में गार्डन बना लिया है। हम सभी एक गार्डनिंग ग्रुप बनाकर जानकारियां शेयर भी करते हैं।”

वह अपने पुराने घर से 30 गमले लेकर आए थे। और फिर यहाँ उन्होंने फल-सब्जियों और फूलों के पौधे लगाना शुरू किया। वह मौसम के अनुसार सब्जियां तो उगाते ही हैं, साथ ही उन्होंने कुछ बड़े-बड़े फल और फूल के पेड़ भी लगाएं हैं।

Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About