चुंबकीय प्रभाव हवा में तैरने लगे मंदिर,ग्लोब और ट्रेन


विज्ञान की अद्भुत शक्ति से प्राचीन समय में ही चुम्बकों का ऐसा शानदार संयोजन कर, बना डाले थे रोचक मंदिर। जिनके रहस्य जानने हेतु वैज्ञानिक कई वर्षों तक उलझे रहे। वास्तव में मैग्नेटिज्म विज्ञान बहुत ही प्रभावशाली है। इसके प्रयोग से कोणार्क के सूर्य मंदिर में हवा में तैरती सूर्य भगवान की टनों वजनी लोहे की मूर्ति। हवा में तैरता ग्लोब। और एक ऐसी गजब की लैविटेशन ट्रेन जो पूर्णता घर्षण मुक्त है और चुंबकत्व के प्रभाव से हवा में चलती हुई प्रतीत होती है। आये विस्तार से जानते हैं,ऐसे सभी चुंबकत्व के जादूई प्रयोगों के बारे में।

उड़ीसा का कोणार्क मंदिर:
कहा जाता है कि वैज्ञानिकता का भरपूर प्रयोग कर 13वीं सदी में बनाए गए कोणार्क सूर्य मंदिर की चोटी पर बहुत सारा चुंबकीय पदार्थ विद्यमान था। इसके समीप आने पर कंपास भी दिशा बताने में विचलित हो जाता था। यह मंदिर समुद्र के समीप होने पर वहां से गुजरने वाले जहाज की दिशा बदल जाती थी। फिर बहुत ही अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों को मंदिर में चुंबकीय गुणों के होने का राज पता चला। और मंदिर के क्षतिग्रस्त होने का कारण भी यही माना जाता है। विदेशी आक्रांता यहां से बहुत सारा चुंबक और मूर्तियां चुरा कर ले गए थे। वरना इससे पहले मंदिर के शिखर पर चुंबकीय प्रभाव से एक सूर्य रूपी गोला हवा में तैरता हुआ प्रतीत होता था। इसी प्रकार मंदिर के गर्भ गृह में भी 52 टन वजन की लोहे की विशाल मूर्ति मौजूद थी, जो हवा में तैरती थी। और जब इस मूर्ति पर सूर्य की किरण पड़ती थी तो पूरा मंदिर जगमगा उठता था।

हवा में तैरता ग्लोब:
दोस्तों सामान्यतः आपने हवा में तैरता हुआ ग्लोब अवश्य देखा होगा। यह भी चुंबक के प्रभाव से ही तैरता है। इसके अंदर चुंबक विद्यमान रहती है तथा एक चुंबक विपरीत दिशा में बाहर की तरफ भी रहती है। इस प्रकार चुंबक के आकर्षण और प्रतिकर्षण गुण के कारण वह बीच में रुका रह जाता है। ग्लोब कितनी ऊंचाई तक तैर रहा है यह चुंबक की क्षमता पर निर्भर करता है। विज्ञान का यही प्रभाव कोणार्क सूर्य के मंदिर में भी था अर्थात् इसी सिद्धांत पर वह सूर्य रूपी गोला और मूर्ति हवा में घूम रहा था।

लैविटेशन ट्रेन:
न्यूटन के जड़त्व का नियम है कि यदि किसी वस्तु पर एक बार बल लगा दें तो वह निरंतर रूप से गतिमान रहती है, जब तक कि उस पर कोई बहारी बल लगाकर रोक न जाए। वह भारी बल घर्षण के रूप में लग जाता है जिस कारण वस्तु रुक जाती है। चुंबकत्व के गुण का प्रयोग करते हुए एक ऐसी ट्रेन का मॉडल इजात किया गया है जिसके तीनों तरफ का क्षेत्र चुंबक से घिरा है जिसमें एक तरफ नेगेटिव पोल तो दूसरी तरफ पॉजिटिव पोल है, जिस कारण उसके बीच में रखा गया ट्रेन रुपी मॉडल हवा में तैरता रहता है और उस पर एक बाल लगाकर घुमाया जाए तो वह निरंतर रूप से घूमता रहता है, क्योंकि किसी सतह के संपर्क में न होने के कारण उस पर कोई घर्षण बल नहीं लगता।

यह ट्रेन बहुत ही कम ईंधन के प्रयोग से उच्च गति से चलती है। इन भविष्य की ट्रेनों पर कार्य चल रहा है तथा आने वाले समय में यह खूब देखने को मिलेंगी। ऐसे ही अन्य रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ धन्यवाद॥
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