जानिए कैसे बांस की खेती की लागत का 50 फीसदी देगी सरकार


लेकिन किसान अब पारंपरिक खेती के मुकाबले बागवानी और कृषि वानिकी पर ज्यादा धयान दे रहे हैं। ऐसी ही फसलों में एक ऐसी खेती भी शामिल है,जिसमें कम खर्च में अच्छा मुनाफा मिल रहा है। वर्तमान समय में कई तरह की खेती से लोग जमकर पैसा कमा रहे हैं।
ऐसी ही मुनाफेदार पौधों की खेती में बांस भी शामिल है, जिसे किसानों के लिए हरा सोना भी कहा जाता है। जिसकी खेती का ट्रेंड पिछले कुछ वर्षों में किसानों के बीच तेजी से बढ़ा है। धीरे-धीरे किसानों के बीच बांस की खेती लोकप्रिय होती जा रही है।

मध्य प्रदेश सरकार ने बांस की खेती करने वाले किसानों को प्रति पौधा 120 रुपये की सब्सिडी देने का फैसला लिया है। एक बार बांस के पौधे लगाने के बाद हर साल लगने वाली खाद, सिंचाई, जुताई एवं पानी के खर्च से किसानों को राहत मिलती है।
मध्य प्रदेश सरकार अपने सूबे के किसानों को इसके लिए प्रेरित कर रही है। मध्य प्रदेश राज्य बांस मिशन द्वारा बांस के एक पौधे की खरीदी से लेकर बांस लगाई एवं उसके बड़े होने तक सुरक्षा सहित 240 रुपये की लागत का अनुमान लगाया है। किसानों द्वारा अपनी निजी भूमि पर बांस रोपण करने पर कुल लागत का 50 प्रतिशत यानि 120 रुपये प्रति पौधा किसानों को सब्सिडी के रूप में दिया जाएगा।
किसानों के लिए बांस ग्रीन गोल्ड यानी हरा सोना है। देवास जिले में विकास खंड देवास, सोनकच्छ, टोंकखुर्द, बागली, कन्नौद और खातेगांव के 448 किसानों ने 541 हेक्टेयर भूमि पर 2,16,281 बांस का रोपण किया है।
"एक जिला-एक उत्पाद" में देवास जिले में कृषकों को प्रेरित कर एक हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र में कटंग बांस का रोपण किया गया है। मनरेगा से वन क्षेत्रों में बांस रोप कर 46 महिला स्व-सहायता समूहों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
किसानों के लिए क्या है:
योजना बांस रोपण के लिए किसानों को प्रेरित करने एवं स्व-सहायता समूह के लिए अनुदान की योजना भी लाई गई है, जिससे अधिक से अधिक किसान कम लागत में इससे जुड़ सके और अपनी आय बढ़ा सकें।
वन क्षेत्र में स्व-सहायता समूह की मदद से मनरेगा योजना में बांस रोपण कराया गया है। योजना में 19 स्थानों पर 325 हेक्टेयर भूमि पर 203125 बांस रोपे गए हैं। पौध-रोपण एवं उसकी सुरक्षा पर होने वाला पूरा व्यय मनरेगा योजना में वहन किया जाएगा।
पांच साल बाद बांस के कटाई से होने वाली आय को उस क्षेत्र की ग्राम वन समिति एवं संबंधित स्व-सहायता समूह के मध्य 20:80 के अनुपात में साझा किया जाएगा। साथ ही बांस को बेचने लिए स्व- सहायता समूह एवं देवास स्थित बांस फैक्ट्री आर्टिसन एग्रोटेक लिमिटेड के मध्य अनुबंध हुआ है। जिले में वन मंडल क्षेत्र के सभी परिक्षेत्रों में केम्पा योजना में भी 22 स्थान पर 595 हेक्टेयर भूमि पर 2.38 लाख बांस रोपे गए हैं।
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