जानिए कैसे होगी मस्तिष्कऔर तनाव की परेशानी दूर


मन को किसी बिंदु ,व्यक्ति या किसी वस्तु पर एकाग्र करना और उसमे लीन हो जाना ध्यान है. ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च तरीका ध्यान ही माना जाता है. वाह्य पूजा उपासना के प्रयोग के बाद जिस पद्धति से ईश्वर की उपलब्धि हो सकती है, वह ध्यान ही हो सकता है. केवल आंखें बंद करना ध्यान नहीं है, चक्रों पर ऊर्जा को संतुलित करना भी आवश्यक होता है. ध्यान एक प्रक्रिया है, जो कई चरणों के बाद हो पाता है. इन कई चरणों में पहले चक्रों को ठीक किया जाता है. ध्यान की सिद्धि के बाद व्यक्ति अनंत सत्ता का अनुभव कर पाता है, और इसे समाधि कहा जाता है. तमाम गुरुओं और आचार्यों ने ध्यान की अलग अलग विधियां बताई हैं, पर सबके उद्देश्य एक ही हैं - ईश्वर की अनुभूति.
ध्यान की शुरुआत : योगशास्त्र में ध्यान का स्थान बहुत ऊंचा है। ध्यान के प्रकार बहुत से हैं। ध्यान करने की अनेकों विधियों में एक विधि यह है कि ध्यान किसी भी विधि से किया नहीं जाता, हो जाता है। बस आंखें बंद करके किसी भी साफ-सुथरे और शांत वातावरण में बैठ जाएं। पांच मिनट तक बंद आंखों के सामने के अंधेरे को देखते रहें या श्वासों के आवागमन को महसूस करें। बस यही है ध्यान की शुरुआत।
कैसे प्राप्त करें ध्यान की शक्ति : किसी भी सुखासन में बैठकर प्रतिदिन सुबह, शाम और रात सोते वक्त 15 मिनट का ध्यान करें। इसकी शुरुआत में मध्यम स्वर में तीन बार ॐ का उच्चारण करते हुए आंखें बंद कर लें। ध्यान के मध्य में श्वासों के आवगम को गहराएं। ध्यान के अंत में हाथों की हथेलियों से चेहरे को स्पर्श करते हुए आंखें खोल दें। फिर ध्यान के बाद 26 बार पलकें झपकाएं। अंत में ब्रह्म मुद्रा करने के बाद ध्यान का समापन करे दें।
विशेष : 40 दिनों तक ध्यान करते रहने के बाद ध्यान की शक्ति का अहसास होना शुरू हो जाता है। व्यक्ति स्वयं को ऊर्जावान और हमेशा तरोताजा महसूस करता है। मस्तिष्क अच्छे तरीके से सक्रिय होकर सकारात्मक सोच का निर्माण करता है। ध्यान की शक्ति को सम्भालना जरूरी है अन्यथा कई लोग नियम और परहेज छोड़कर भी ध्यान करते हैं जिसका लाभ कम ही मिल पाता है।
ध्यान का लाभ :
*मस्तिष्क की शक्ति को ध्यान की सहायता से कई गुना बढ़ाया जा सकता है और जीवन के लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं।
*ध्यान से तनाव ही नहीं, पीठ का दर्द, लकवा, मांसपेशियों में खिंचाव, मधुमेह व अस्थमा जैसे रोगों का उपचार भी संभव है।
*याददाश्त बढ़ाने, मन-मस्तिष्क को एकाग्र करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और आज के प्रतिस्पर्द्धी वातावरण के दबावों का सामना करने के लिए ध्यान की शक्ति महत्वपूर्ण सिद्ध होती है।
ध्यान से शरीर को मिलता लाभ : ध्यान से जहां शुरुआत में मन और मस्तिष्क को विश्राम और नई उर्जा मिलती है वहीं शरीर इस ऊर्जा से स्वयं को लाभांवित कर लेता है। ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति का संचार होता है। शरीर में प्राण शक्ति बढ़ने से आप स्वस्थ अनुभव महसूस करते हैं।
कैसे उठाएं ध्यान से लाभ : ध्यान से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है। ध्यान करने में ज्यादा समय की जरूरत नहीं मात्र पांच मिनट का ध्यान आपको भरपूर लाभ दे सकता है बशर्ते की आप नियमित करते हैं।
यदि ध्यान आपकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है तो यह आपके दिन का सबसे बढ़िया समय बन जाता है। आपको इससे आनंद की प्राप्ति होती है। फिर आप इसे पांच से दस मिनट तक बढ़ा सकते हैं। पांच से दस मिनट का ध्यान आपके मस्तिष्क में शुरुआत में तो बीज रूप से रहता है, लेकिन 3 से 4 महिने बाद यह वृक्ष का आकार लेने लगता है और फिर उसके परिणाम आने शुरू हो जाते हैं।
सावधानी : ध्यान की शक्ति को बढ़ाने के लिए शाकाहारी होना आवश्यक है। शाकाहार में भी मिर्च, मसाला, बेसन, खट्टे पदार्थ और यहां तक कि दूध और घी का प्रयोग भी वर्जित है। यह शाकाहार सिर्फ खाने-पीने में ही नहीं, पहनने, ओढ़ने में भी होना चाहिए। अर्थात ऊन, सिल्क, फर व चमड़े की बनी कोई वस्तु या वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए।
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