जानिए कैसे होती है, किसान के फसल बोने से पहले ही फसल की खरीद

19 Dec 2020 | others
जानिए कैसे होती है,  किसान के फसल बोने से पहले ही फसल की खरीद

मोहाली के गांव तंगोरी के सुरजीत सिंह पहले पंजाब पुलिस में नौकरी करते थे। बाद में वह नेशनल आर्गेनिक फार्मिंग गाजियाबाद से जुड़े। इसके साथ ही खेतीबाड़ी विभाग से मेलजोल बढ़ाकर मिट्टी की परख और उसकी उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के बारे में सीखा। साथ ही सोइल बैंक से मिट्टी के कुदरती तत्वों के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपने तरीके से खेतीबाड़ी शुरू की। खेतों के कुदरती ढलान को देखते हुए एक टोबा (तालाब) बनाया ताकि जरूरत पड़ने पर टूल्लू पंप लगाकर खेतों की सिंचाई की जा सके। सुरजीत ने बताया कि देसी जंगली छोटी मछली की पैदावार कर कैल्शियम से भरपूर पानी से फसलों की सिंचाई की जाती है। 

सुरजीत सिंह ने यूट्यूब पर आर्गेनिक फार्मिंग संबंधी डी कंपोजर तैयार करना, प्राकृतिक पौधे जैसे धतूरा, भांग, अक्क, नीम आदि के बायो पेस्टीसाइड और नाइट्रोजन बायो फर्टिलाइजर तैयार करने के बारे में जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने चाटी की लस्सी को संभालना शुरू किया। पांच साल से लस्सी का फसलों में इस्तेमाल करने के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि तीन से दस साल पुरानी लस्सी और कुदरती डी कंपोजर के प्रयोग से मिट्टी के आर्गेनिक तत्वों में बढ़ोतरी की जा सकती है। इसके इस्तेमाल के बाद फफूंदी नाशक, कीड़ेमार जहर या रासायनिक खादों की जरूरत भी नहीं पड़ती। 

सुरजीत सिंह ने बताया कि शुरुआत में दो तीन साल फसल की पैदावार कम रही, लेकिन उत्पादों के दामों से घाटा पूरा हो जाता था। इसके बाद अब वे पूरी तरह से आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी सवा से डेढ़ गुना तक बढ़ गई है। हाल ये है कि फसल बीजने से पहले ही उसकी बुकिंग हो जाती है।

गन्ने से तैयार करते हैं जैविक सामान

सुरजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने पांच किले जमीन में आर्गेनिक गेहूं के साथ ही ढाई एकड़ जमीन में गन्ना लगाया है। गन्ने से सीधा जैविक सामान तैयार किया जाता है, जिसे वे सौ रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं। 



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