जानिए हीरे से भी ज्यादा कीमत क्यों है व्हेल की उल्टी


थाइलैंड में एक मछुआरे को 100 किलो व्हेल की उल्टी मिली। वैसे सुनने में ये बात थोड़ी अजीब जरूर लग रही होगी, लेकिन चट्टान जैसी हो चुकी इस उल्टी का मिलना किसी भी इंसान को एक झटके में अमीर बना सकता है। यहां तक कि दुनिया के कई हिस्सों में इसकी तस्करी भी जाती है। हमारे देश भारत में भी एक किलो व्हेल की उल्टी की कीमत करोड़ों में है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि व्हेल की उल्टी सोने और हीरे से भी ज्यादा कीमती क्यों होती है?

व्हेल के शरीर से निकलने वाले अपशिष्ट को कई वैज्ञानिक उल्टी बताते हैं, तो कई इसे मल बताते हैं। कई बार यह पदार्थ रेक्टम के जरिए बाहर आता है, लेकिन कभी-कभी पदार्थ बड़ा होने पर व्हेल इसे मुंह से उगल देती है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एम्बरग्रीस कहते हैं। व्हेल की आंतों से निकलने वाला एम्बरग्रीस काले या स्लेटी रंग का ठोस, मोम जैसा ज्वलनशील पदार्थ है। यह पदार्थ व्हेल के शरीर के अंदर उसकी रक्षा करता है।

एम्बरग्रीस का इस्तेमाल परफ्यूम बनाने में किया जाता है। इस वजह से यह काफी कीमती होता है। एम्बरग्रीस से बने परफ्यूम की खुशबु लंबे समय तक बनी रहती है। कई वैज्ञानिक एम्बरग्रीस को तैरता सोना भी कहते हैं। वहीं इसकी वजन की बात करें, तो ये 15 ग्राम से 50 किलो तक हो सकता है।
दुनिया के कई इलाकों में एम्बरग्रीस से बने परफ्यूम का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन मिस्र के लोग एम्बरग्रीस से अगरबत्ती और धूप बनाया करते थे। यूरोप में ब्लैक एज के दौरान लोगों का यह मानना था कि एम्बरग्रीस का एक टुकड़ा साथ रखने से उन्हें प्लेग रोकने में मदद मिल सकती है। क्योंकि एम्बरग्रीस का सुगंध हवा की गंध को ढक लेती थी, जिसे प्लेग का कारण माना जाता था।
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