ट्रेन जिसमे सफर करना फ्री है

07 Aug 2022 | others
ट्रेन जिसमे सफर करना फ्री है

कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने कभी न कभी बिना टिकट के रेल यात्रा की है, वैसे आप में से बहुत लोग होंगे जो इस खुराफात में कामयाब रहे होंगे, तो बहुतों ने इस बारे में सोचा होगा। मगर इस ट्रेंन में ये सब करने कि बिलकुल अवशक्ता नहीं है, क्योंकि आप इसमें फ्री में यात्रा कर सकते हैं।

हालांकि, बिना टिकट के ट्रेन की बात करते समय, इस बात का ध्यान रखें कि पकडे जाने पर आपको भारी जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर कुछ मामलों में जेल भी जाना पड़ सकता है।

लेकिन दिलचस्प बात तो ये है की देश में एक ऐसी एकलौती ट्रेन है, जो यात्रियों को बिना शुल्क लिए सफर करवा रहे है। सुनने में आपको ये थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन भाखड़ा रेलवे ट्रेन के यात्रियों के लिए यह सामान्य है। चलिए आपको इसके पीछे की वजह बताते हैं।

ये ट्रेन है बिलकुल मुफ्त:

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यहां रॉयल से लेकर पैसेंजर ट्रेनें हैं। ट्रेनों की सुविधाओं के मुताबिक ही उनका किराया है। आपको लगता होगा कि हर एक ट्रेन में सफर करने के लिए कुछ न कुछ किराया देना ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है।

देश में एक ऐसी ट्रेन है जिसमें सफर करने के लिए कोई किराया नहीं लगता। आप इसमें कानूनी तरीके से फ्री में सफर कर सकते हैं। आइए इस खास ट्रेन के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है ट्रेन:

ये खास ट्रेन हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है। अगर आप भाखड़ा नागल बांध देखने जाते हैं, तो आप फ्री में इस ट्रेन यात्रा का आनंद उठा सकते हैं। आपको बता दें कि ये ट्रेन नागल से भाखड़ा बांध तक चलती है।

आपको बता दें, 73 सालों से यात्री इस ट्रेन का इस्तेमाल फ्री में कर रहे हैं। इसमें सफर करने के लिए लोगों को टिकट बुक करने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ती।

इस ट्रेन से 25 गांवों के लोग पिछले करीब 73 साल से फ्री में सफर कर रहे हैं। आप सोच रहे होंगे कि जहां एक तरफ देश की सभी ट्रेनों के टिकट के दाम बढ़ाए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ लोग इस ट्रेन में फ्री में सफर क्यों करते हैं और रेलवे इसकी इजाजत कैसे देता है?

भागड़ा डैम की जानकारी देने के लिए चलती है ट्रेन:

अब आपके मन में यह सवाल आता होगा कि इस ट्रेन में लोग फ्री में सफर क्यों और कैसे करते हैं। दरअसल, इस ट्रेन को भागड़ा डैम की जानकारी देने के उद्देश्य से चलाया जाता है। ताकि देश की भावी पीढ़ी ये जान सके कि देश का सबसे बड़ा भाखड़ा डैम कैसे बना था। उन्हें मालूम हो कि इस डैम को बनाने में किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) इस ट्रेन का संचालन करता है। शुरूआत में इस रेलवे ट्रैक को बनाने के लिए पहाड़ों को काटकर दुर्गम रास्ता बनाया गया था, जिससे यहां निर्माण साम्रगी पहुंच सके।

25 गांव के लोग रोजाना करते हैं सफर:

ये ट्रेन पिछले 73 साल से चल रही है। पहली बार इसे साल 1949 में चलाया गया था। इस ट्रेन के जरिए 25 गांव के 300 लोग रोजाना सफर करते हैं। इस ट्रेन का सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होता है।

ट्रेन नंगल से डैम तक चलती है और दिन में दो बार सफर तय करती है। ट्रेन की खास बात ये है कि इसके सभी कोच लकड़ी के बने हैं। इसमें न तो कोई हॉकर और न ही आपको इसमें टीटीई मिलेगा।

सभी कोच लकड़ी के बने हैं:

शुरुआत में, ट्रेन स्टीम इंजनों द्वारा चलती थी, जिसे 1953 में अमेरिका से आयात किए गए इंजनों से बदल दिया गया था। और आज तक, ये यूनीक ट्रेन अपने 60 साल पुराने इंजनों के साथ चल रही है। इस ट्रेन की कुर्सियां औपनिवेशिक युग की बनी हुई हैं। साथ ही कोच भी लकड़ी के बने हुए हैं। ये ट्रेन डीजल से चलती है।

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