ड्रिप इरिगेशन के क्या है फायदे


वर्तमान में पृथ्वी पर 140 करोड़ घन मीटर जल है जिसका 97 प्रतिशत भाग खारा जल है जो समुद्रों में स्थित है। मनुष्यों के हिस्से में कुल 136 हजार घन मीटर जल ही बचता है। संपूर्ण विश्व में जल की खपत प्रत्येक 20 वर्ष में दुगुनी हो जाती है जबकि धरती पर उपलब्ध जल की मात्रा सीमित है। अतः जल संरक्षण आज अत्यन्त ही आवश्यक है। कृषि में सिंचाई हेतु टपक सिंचाई जैसी विधि को अपनाकर हम जल को संरक्षित कर संपोषित विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
क्या है ड्रिप इरिगेशन(Drip irrigation ) सिंचाई:-
(Drip irrigation), सिंचाई की वह विधि है जिसमें जल को मंद गति से बूँद-बूँद के रूप में फसलों के जड़ क्षेत्र में एक छोटी व्यास की प्लास्टिक पाइप से प्रदान किया जाता है। इस सिंचाई विधि का आविष्कार सर्वप्रथम इसराइल में हुआ था जिसका प्रयोग आज दुनिया के अनेक देशों में हो रहा है। इस विधि में जल का उपयोग अल्पव्ययी तरीके से होता है जिससे सतह वाष्पन एवं भूमि रिसाव से जल की हानि कम से कम होती है।
पानी और खाद की बचत:-
ड्रिप इरिगेशन सिंचाई की एक विशेष विधि है जिसमें पानी और खाद की बचत होती है। इस विधि में पानी को पौधों की जड़ों पर बूँद-बूंद करके टपकाया जाता है। इस कार्य के लिए वाल्व, पाइप, नलियों तथा एमिटर का नेटवर्क लगाना पड़ता है। इसे 'टपक सिंचाई' या 'बूँद-बूँद सिंचाई' भी कहते हैं।
सिंचाई की यह विधि शुष्क (arid) एवं अर्ध-शुष्क (semi-arid) क्षेत्रों के लिए अत्यन्त ही उपयुक्त होती है जहाँ इसका उपयोग फल बगीचों की सिंचाई हेतु किया जाता है। टपक सिंचाई ने लवणीय भूमि पर फल बगीचों को सफलतापूर्वक उगाने को संभव कर दिखाया है। इस सिंचाई विधि में उर्वरकों को घोल के रूप में भी प्रदान किया जाता है। टपक सिंचाई उन क्षेत्रों के लिए अत्यन्त ही उपयुक्त है जहाँ जल की कमी होती है, खेती की जमीन असमतल होती है और सिंचाई प्रक्रिया खर्चीली होती है।
ड्रिप इरिगेशन सिंचाई पद्धति की मुख्य विशेषताएँ:-
1- टपक सिंचाई पद्धति के इस्तेमाल से समय और मजदूरी में होने वाला खर्च भी कम होता है।
2- जड़ क्षेत्र में पानी सदैव पर्याप्त मात्र में रहता है।
3- जमीन में वायु व जल की मात्र उचित क्षमता स्थिति पर बनी रहने से फसल की वृद्धि तेज़ी से और एक समान रूप से होती है।
4- फसल को हर दिन या एक दिन छोड़कर पानी दिया जाता है।
5- पानी अत्यंत धीमी गति से दिया जाता है।
टपक सिंचाई के लाभ:-
पारम्परिक सिंचाई की तुलना में टपक सिंचाई के अनेकों लाभ हैं जो निम्नलिखित हैं:
1. टपक सिंचाई में जल उपयोग दक्षता (water use efficiency) 95 प्रतिशत तक होती है जबकि पारम्परिक सिंचाई प्रणाली में जल उपयोग दक्षता लगभग 50 ¬प्रतिशत तक ही होती है। अतः इस सिंचाई प्रणाली में अनुपजाऊ भूमि को उपजाऊ भूमि में परिवर्तित करने की क्षमता होती है।
2. टपक सिंचाई में उतने ही जल एवं उर्वरक की आपूर्ति की जाती है जितनी फसल के लिए आवश्यक होती है। अतः इस सिंचाई विधि में जल के साथ-साथ उर्वरकों को अनावश्यक बर्बादी से रोका जा सकता है।
3. इस सिंचाई विधि से सिंचित फसल की तीव्र वृद्धि होती है फलस्वरूप फसल शीघ्र परिपक्व होती है।
4. टपक सिंचाई विधि खर-पतवार नियंत्रण में अत्यन्त ही सहायक होती है क्योंकि सीमित सतह नमी के कारण खर-पतवार कम उगते हैं।
5. जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए यह सिंचाई विधि अत्यन्त ही लाभकर होती है।
6. टपक सिंचाई में अन्य सिंचाई विधियों की तुलना में जल अमल दक्षता (water application efficiency) अधिक होती है।
7. इस सिंचाई विधि से जल के भूमिगत रिसाव एवं सतह बहाव से हानि नहीं होती है।
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