तो ऐसे बनती है बर्फ की सिल्ली


दोस्तों अपने बर्फ के बड़े-बड़े घन तो देखें ही होंगे सर्दी हो या गर्मी इनकी जरूरत हमेशा बनी रहती है। तो ऐसे ही हजारों टन पानी को बर्फ में बदलकर मोटा पैसा कमा रहे हैं रोहतास भाई जिन्होंने अपने एक छोटे से फॉर्म में ही यह लघु उद्योग लगा रखा है जिसमें प्रतिदिन 250 बर्फ की सिल्लियां तैयार होती है। बर्फ बनाने के लिए बहुत सी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है जिसमें मुख्य रूप से एक मशीन द्वारा पानी से भरे फ्रेम में बर्फ जमाने हेतु गैस प्रवाहित की जाती है। तो आईए जानते है रोहतास भाई से कैसे-कैसे उन्होंने अपने फार्म को डेवलप कर रखा है तथा किस प्रकार बर्फ की सिलियां बनाते हैं-

सबसे पहले यह उद्योग शुरू करने के लिए एक स्ट्रक्चर बनाया जाता है जो थोड़ा टेक्निकल है। इसके लिए सबसे पहले एक बड़े हॉल में बर्फ के फ्रेमों को रखने के लिए लंबवत खांचे बनाए जाते हैं। इन बर्फ के खांचो को नमक के पानी में थोड़ा डुबोकर रखा जाता है क्योंकि पानी में नमक डालने से तापमान बहुत कम होने पर भी वह जमता नहीं तथा फ्रेम में पानी को जमाने में सहायक होता है। इस प्रकार बर्फ बनाने में नमक का भी मुख्य रोल है।

इसी के साथ उस हॉल में एक बड़ी मशीन भी स्थापित की जाती है जिसके सिलेंडर में अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड (सूखी बर्फ की गैस) होती है। 17 ग्राम अमोनिया गैस 5700 कैलोरी गर्मी को सोखने की शक्ति रखती है। इस प्रकार हॉल के खांचों में बर्फ के फ्रेमों को साफ पीने के पानी से भरकर रखा जाता है। फिर मशीन द्वारा अमोनिया गैस उस नमक के पानी में लगभग 4 फीट नीचे तक प्रवाहित होती है और सारे में फैल जाती है और फ्रेमों में रखे पानी को ठंडा करती है। तथा उस पानी से निकलने वाली हिट एक दूसरे पाइप मैं भाप के रूप में जाती है जो कॉयल कंडेनसर में घूम घूम कर ठंडी होकर वापस जल के रूप में बनकर वापस रिसीवर में जाती हैं।

इस प्रकार लगभग 24 घंटे में बर्फ जमकर तैयार हो जाता है। इनके इस फॉर्म में 490 फ्रेम है जिनमें लगभग 250 फ्रेम प्रतिदिन जमकर तैयार हो जाती है। एक बर्फ की सिल्ली की कीमत 150 से 200 रुपए तक होती है। इस प्रकार इस उद्योग में निवेश करके प्रतिदिन 50 हजार तक भी कमाए जा सकते हैं। ऐसे ही अन्य जानकारी के लिए बने रहे हमारे साथ। धन्यवाद॥
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