तो ऐसे बनते है इलेक्ट्रिक वायर

26 May 2024 | others
तो ऐसे बनते है इलेक्ट्रिक वायर

दोस्तों! हाथ पैर हाथ रखे बैठे रहने से कुछ नहीं होता। सफल होने के लिए जज्बे के साथ करनी पड़ती है नई शुरुआत और यह साबित कर दिखाया एक इंजीनियर भाई ने, जिन्होंने लगाया कमाल का सेटअप, मिनटों में बना रहे हैं किलोमीटर लंबे बिजली के तार। जिसके लिए उनके पास है बहुत सी मशीने जो पूर्णतः ऑटोमेटिक कार्य करती है। बिजली के तारों के अलावा बना रहे हैं इलैक्ट्रिक सॉकेट, स्विच, प्लेट-बोर्ड तथा अन्य बहुत से विद्युत उपकरणीय सामान और कमा रहे खूब नाम और पैसा। तो आईए जानते हैं भाई आकाश अग्रवाल से यह सब बनाने का कंसेप्ट और अन्य संपूर्ण जानकारी 


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इलेक्ट्रिक वायर मैन्युफैक्चरिंग के लिए सबसे पहले सात या कम कॉपर वायर के बंडलो से एक-एक महीन तार को जोड़ कर मशीन द्वारा घुमाया जाता है जिससे वे आपस में लिपटकर एक तार का बंच बन जाता है और इस कॉपर वायर को एक बाबेन में लपेट लेते है। अब बारी आती है इस पर इंसुलेशन परत चढ़ाने की उसके लिए पीवीसी दाने को एक एक्सट्रूडर मशीन में डालते है जो इसे गरम करके पिघला देती है और ये प्लास्टिक लिक्विड फॉर्म में बदल जाता है तथा यहीं पर लिक्विड का रंग बदल तार का रंग भी बदल सकते हैं। अब कॉपर वायर के बंच को मशीन के अंदर से निकलते हैं जिसके ऊपर पीवीसी इंड्यूज हो जाती है अर्थात् उस कॉपर के तार पर पीवीसी की इंसुलेटर परत गोल-गोल चढ़ने लगती है और तार आगे बढ़ता रहता है। उसे आगे बढ़ाने के साथ एक आग के लौ से गर्म किया जाता है, ऐसा करने से उस पीवीसी इंसुलेटर पर अच्छी शाइनिंग आ जाती है। अब इस गर्म तार को ठंडा करने के लिए एक पानी से भरी फनल से निकाला जाता है। साथ ही तार पर प्रिंटिंग भी की जाती है। अब उसे मशीन के द्वारा खींचकर रोल कर बंडल बना देते हैं। दो रंग के वायरों को एक साथ बंच या गूंथा भी जाता है।


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इनके अलावा एक दूसरी यूनिट में स्विच ,बोर्ड और अन्य एसेसरीज बनाई जाती है। इसके लिए पॉलीकार्बोनेट (पीसी)का प्रयोग किया जाता है। सबसे पहले पीसी को हिट करके उसका मॉइस्चर खत्म किया जाता है, उसके बाद उसे मशीन में डालते है। और फिर इस इंडक्शन बिल्डिंग मशीन में जो भी मोडल सेट किया जाता है, वह पीसी दाना उस मॉडल का आकर लेकर प्रोडक्ट बना देता है। इसी प्रकार सॉकेट, स्विच, प्लेट-बोर्ड आदि के मॉडल सेट कर खांचे बना लेते हैं। बाद में उनमें पेंच सहित सभी पार्ट लगाकर तैयार कर देते हैं। अंततः उन पर प्रिंटिंग (ब्रांड नेम, एम्पीयर रेटिंग) आदि का कार्य लेजर मशीन द्वारा करके पैकिंग कर देते हैं। यदि कोई भाई इनसे संपर्क कर और जानकारी लेना चाहता है तो इनका पता है- एन-67 सैक्टर-2, बवाना इंडस्ट्रियल एरिया, दिल्ली। ऐसी ही और अन्य जानकारी के लिए जुड़े रहे हमारे साथ। धन्यवाद॥




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