दुनियाभर में है डिमांड, 75 हजार रुपए किलो चायपत्ती


चाय के बिना दिन की शुरुआत करने की कल्पना भी मुश्किल सा लगता है। देश के ज्यादातर घरों में सुबह होते ही चाय की चुस्की ना सिर्फ एक जरूरत मानी जाती है बल्कि दिनभर काम की थकान मिटाना हो या फिर थोड़ी गपशप, सभी के लिए चाय की जरूरत महसूस की ही जाती है।
भारत में लगभग हर घर में सुबह-सुबह चाय की भीनी-भीनी खुशबू से ही लोगों नींद खुलती है। चाय की एक-एक घूंट ताजगी भरा एहसास दिलाती है। अगर चाय की बात की जाए और असम का जिक्र ना हो, तो बात ही पुरी नहीं हो सकती है। असम के बगानों में चाय की कई प्रजातियों की खेती होती है। हाल ही में असम में दुर्लभ प्रजाति वाली चायपत्ती ने खास रिकॉर्ड बनाया है। इस चायपत्ती को नीलामी केंद्र पर 75 हजार रुपए प्रति किलो की कीमत पर बेचा गया है।
75 हजार रुपये किलो बिकी खास चायपत्ती:-
दरअसल असम के चाय बगान दुनिया भर में अपनी खास प्रजातियों की चायपत्ती के लिए मशहूर हैं। यहां उम्दा किस्म की चाय की पत्ती का उत्पादन होता है। लेकिन अब एक दुर्लभ प्रजाति वाली चायपत्ती ने 75 हजार रुपए प्रति किलो की कीमत का रिकॉर्ड बनाया है। मनोहारी गोल्ड टी नाम की ये खास तरह चायपत्ती इस साल सबसे ज्यादा कीमत वाली चायपत्ती रही। गुवाहाटी में एक चाय नीलामी केंद्र पर 75 हजार रुपए प्रति किलो की कीमत पर बेची गई चायपत्ती की सिर्फ 1.2 किलो की मात्रा की ही नीलामी की जा सकी है।
बता दें कि मनोहारी गोल्ड टी खास तरह की दुर्लभ चायपत्ती है। इस चाय को गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र पर 75 हजार रुपए प्रति किलो की कीमत पर बेचा गया है। मनोहारी गोल्ड टी असम में इस साल दर्ज चाय की सबसे ऊंची कीमत है। इस खास चायपत्ती की खेती करने वाले मनोहारी टी स्टेट का कहना है कि इस साल इसकी केवल 2.5 किलो पैदावार हुई। कुल पैदावार में से 1.2 किलो चायपत्ती की नीलामी हुई है।

मनोहारी टी गोल्ड की खासियत:-
मनोहारी टी गोल्ड एक खास तरह की चायपत्ती होती है। इस चाय की पत्ती को सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच सूरज की किरणें फूटने से पहले तोड़ लिया जाता है। मनोहारी टी गोल्ड की चायपत्ती का रंग हल्का मटमैला पीला रहता है। इस चायपत्ती की सबसे अहम खूबी इसकी खास तरह की खुशबू मानी जाती है जो इसकी खासियतों में चार चांद लगा देती है। इस चायपत्ती को पौधों से कलियों के साथ ही तोड़ा जाता है। जिसके बाद इसे फर्मेंटेशन की प्रक्रिया में लाया जाता है। जिसके बाद चायपत्ती का रंग हरे से भूरे में तब्दील हो जाता है। आखिर में चायपत्ती को सुखाया जाता है जिससे ये चायपत्ती सुनहरे रंग की हो जाती है।
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