दुनिया का सबसे अमीर आदमी जो है सबसे ज्यादा कंजूस


जिसके पास अपनी करेंसी, अपना टकसाल था। लेकिन वह सूती पायजामा, साधारण चप्पलें पहनता। एक-एक पाई बचाने के लिए कंजूसी के जुगाड़ खोजते रहता। सामान्य वर्ग का लगभग हर शख्स पैसे जमा करने के लिए बचत करता है।
बचत करने के क्रम में थोड़ी बहुत कंजूसी होना तो आम बात है। इंसान जब दोनों हाथों से खर्च करेगा तो भला भविष्य के लिए 2 पैसे कैसे जोड़ पाएगा। हां लेकिन अगर किसी के पास बहुत ज्यादा धन हो तो क्या वह तब भी कंजूसी करेगा? और कहीं वो शख्स दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति हो तो?

1911 में संभाली थी गद्दी:
हैदराबाद के अंतिम निजाम जाने जाने वाले मीर उसमान अली खां का जन्म 6 अप्रैल 1886 को महबूब अली खान के दूसरे पुत्र के रूप में हुआ था। भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को वे हैदराबाद राज्य के पहले राजप्रमुख बने। एक समय ऐसा था जब उस्मान को दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति माना गया था। 22 फरवरी, 1937 को प्रकाशित हुए टाइम पत्रिका के फ्रंट पेज पर उस्मान के बारे में शीर्षक लिखा गया था ‘दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति।'
कितनी संपत्ति थी:
साल 1911 में ओसमान अली खान हैदराबाद के निजाम बने थे। देश जब आजाद हुआ और हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया तबतक ओसमान अली खान का ही शासन रहा। निजाम के पास कुल नेट वर्थ 17.47 लाख करोड़ यानी 230 बिलियन डॉलर की आंकी गई थी। निजाम की कुल संपत्ति उस समय अमेरिका की कुल जीडीपी की 2 फीसदी के बराबर बैठती थी।
निजाम के पास अपनी करेंसी थी, सिक्का ढालने के लिए अपना टकसाल था, 100 मिलियन पाउंड का सोना, 400 मिलियन पाउंड के जवाहरात थे। निजाम की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था गोलकोंडा माइंस जो उस समय दुनिया में हीरा सप्लाई का एकमात्र जरिया था। निजाम के पास जैकब डायमंड था जो उस समय दुनिया के सात सबसे महंगे हीरों में गिना जाता था। जिसका इस्तेमाल निजाम पेपरवेट के तौर पर करते थे। इसकी कीमत 50 मिलियन पाउंड के बराबर हुआ करती थी।
खजाना भी बेहिसाब:
रहन-सहन में कंजूसी से कंफ्यूज मत होइए। निजाम के पास संपत्ति बेहिसाब ही थी। इतनी ज्यादा कि अगर किसी और के पास होती तो वो सोने के बिस्तर पर ही सोता। निजाम के महल के कोने-कोने में ऐसा ऐश्वर्य बिखरा हुआ था, जिसका मूल्यांकन भी आसान नहीं। उनकी मेज के ड्रॉज में पुराने अखबार में लिपटा सुप्रसिद्ध 'जैकब' हीरा पड़ा था, जिसका आकार नींबू जितना था। वह 280 कैरेट का था, दूर से ही चमचमाता। निजाम उसे पेपरवेट की तरह उपयोग करते।
उनके अपेक्षित बगीचे की कीचड़ में दर्जन भर ट्रक खड़े थे, जो लदे हुए माल के वजन के कारण, बुरी तरह धंसे जा रहे थे। माल था- सोने की ठोस ईंटे। उनके जवाहरात का खजाना इतना बड़ा था कि लोग कहा करते- यदि केवल मोती-मोती निकालकर चादर की तरह बिछाए जाएं, तो पिकाडिली सरकस के सारे फुटपाथ ढक जाएं।' माणिक, मुक्ता, नीलम, पुखराज आदि के टोकरे भर-भर कर तलघरों में रखे हुए थे- जैसे कि कोयले के टोकरे भरे हुए हों।'
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