देश भर में कई जगहों पर रोकी गईं ट्रेनें


पंजाब और हरियाणा के कई रेलवे स्टेशनों के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में रेल रोको प्रदर्शन किया गया। क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता भजन सिंह ने कहा कि सरकार कह रही है कि नए कानूनों का विरोध केवल पंजाब और हरियाणा के किसान ही कर रहे हैं लेकिन इस अभियान ने सरकार को गलत साबित कर दिया है। सिंघु बॉर्डर पर कई किसानों ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य गांवों में रेल पटरियों पर बैठे। पंजाब के होशियारपुर से आए जयराम सिंह ने कहा, 'आज का प्रदर्शन बताताहै कि हमारी मांग, पूरे देश की मांग है। हम समाधान को लेकर आशान्वित हैं चाहे इसमें दो या चार महीने ही क्यों ना लग जाएं।'
सरकार मांगें माने तो हम भी अपने घर लौटें: किसान
किसान नेता अमरीक सिंह ने कहा कि इस तरह के प्रदर्शन के जरिए किसान सरकार को अपनी एकजुटता दिखाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'तीन नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की आवश्यकता है और संयुक्त किसान मोर्चा हर तरह से सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है। हालांकि, हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगे।' सिंह ने कहा कि रेल रोको प्रदर्शन केवल चार घंटे तक ही सीमित था क्योंकि किसान सरकार को एक संदेश देना चाहते थे और जनता के लिए असुविधा उत्पन्न नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'हम केवल यह चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगें माने ताकि वे भी आराम से सो सकें और हम भी अपने परिवारों के पास लौट सकें।'
प्रदर्शन के दौरान सामान्य रहा रेलों का संचालन: रेलवे
उधर, आंदोलन समाप्त होने के बाद भारतीय रेलवे ने बयान जारी करते हुए कहा कि किसानों के प्रदर्शन के दौरान देश के सभी जोन में ट्रेनों की आवाजाही सामान्य रही। रेलवे ने रहा कि अधिकतर जोन से प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेनों को रोके जाने की कोई सूचना नहीं मिली। इस दौरान किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई, समूचे देश में ट्रेनों के परिचालन पर नगण्य या मामूली असर पड़ा। उधर, उत्तर रेलवे जोन में करीब 25 ट्रेनों के परिचालन में बदलाव किया गया। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया कि आंदोलन के चलते रेलवे सेवाओं पर न्यूनतम असर हुआ है। रेलवे ने देशभर में, खासकर पंजाब, हरियाणा, यूपी और बंगाल में आरपीएफ की 20 अतिरिक्त कंपनियां तैनात की थीं।
उत्तर पश्चिम रेलवे ने एक रेल सेवा को रद्द कर दिया वहीं कुछ रेल सेवाओं के संचालन में देरी हुई। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य प्रवक्ता गौरव गौड़ ने बताया कि रेवाड़ी-श्रीगंगानगर स्पेशल रेल सेवा गुरुवार को रद्द की गई। उन्होंने बताया कि किसानों का रेलवे ट्रैक पर आंदोलन कुल मिलाकर सांकेतिक था और इससे यात्रियों को ज्यादा असुविधा नहीं हुई। उन्होंने दावा किया उत्तर पश्चिम रेलवे के क्षेत्रों में आंदोलन का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। किसानों ने कई स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया और जयपुर में एक ट्रेन को रोक कर उसके ईंजन पर चढ गये। जब रेलवे पुलिस कर्मियों ने उन्हें ईंजन से उतारा तो वो ट्रेक पर बैठ गये। इसके साथ ही मालाखेड़ा के पास एक ट्रेन राजगढ़ स्टेशन पर रोकी गई।
सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली मेट्रो ने चार स्टेशन बंद रखे
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने सुरक्षा को देखते हुए गुरुवार को टीकरी बॉर्डर सहित कुल चार मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए थे। टीकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन किसानों के प्रदर्शन स्थल से बिलकुल पास है। डीएमआरसी ने एक ट्वीट करके इन स्टेशनों के बंद होने की जानकारी दी थी। उसने ट्वीट किया, 'सुरक्षा अपडेट, टीकरी बॉर्डर, पंडित श्रीराम शर्मा, बहादुरगढ़ सिटी और ब्रिगेडियर होशियार सिंह मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वारा बंद कर दिए गए हैं।' एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे किसानों के 'रेल रोको; आह्वान के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों, खास तौर से ट्रेन की पटरियों के आसपास सुरक्षा कड़ी की गई ।
राजस्थान के छह जिलों में रहा अभियान का असर
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन विवादित कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने गुरुवार को पूरे देश में रेल रोको अभियान चलाया। इस अभियान का असर राजस्थान में भी देखने को मिला। राजस्थान के छह जिलों में इसका प्रभाव दिखा। राजधानी जयपुर समेत अलवर, बूंदी, कोटा, चुरू और हनुमानगढ़ में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोकीं। जयपुर के गांधीनगर स्टेशन पर प्रदर्शनकारी ट्रेन के इंजन पर चढ़ गए। इस दौरान राजस्थान के रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात रहे। अलवर के राजगढ़ स्टेशन पर जैसलमेर-जम्मूतवी इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन रोक दी गई, जो लंबे समय तक खड़ी रही। अलवर में एक जगह प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक पर ट्रैक्टर खड़ा करके ट्रेन रोकी।
पुणे में रोकी कोयना एक्सप्रेस, तीन पर मामला दर्ज
महाराष्ट्र के पुणे में भी रेल रोको अभियान का असर देखने को मिला। विभिन्न संगठन और राजनीतिक दल इस अभियान में शामिल हुए। श्रमिक कल्याण कार्यकर्ता नितिन पवार ने कहा कि पुणे रेलवे स्टेशन पर रेल रोको अभियान में कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, जनता दल और आम आदमी पार्टी जैसे राजनीतिक दल शामिल हुए। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने कोयना एक्सप्रेस रोक दी और ट्रेन के सामने खड़े होकर नारेबाजी की। एक आरपीएफ अधिकारी ने बताया कि इस दौरान पवार समेत तीन कार्यकर्ताओं के खिलाफ अवैध रूप से रेलवे प्लेटफॉर्म पर आने, रेलवे ट्रैक पार करने और नारेबाजी करने के लिए रेलवे एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
चाय-पकौड़े और मिठाई, कहीं हुई फूलों की वर्षा
किसानों के इस रेल रोको अभियान के दौरान कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों की ओर से ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों और रोकी गई ट्रेनों के चालकों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था भी की। हरियाणा में कई जगह पुलिसकर्मियों के लिए चाय और पकौड़ों की व्यवस्था की गई थी। वहीं, हरियाणा के जुलाना में रोकी गई एक मालगाड़ी के चालक को भी किसानों ने चाय पिलाई। चरखी नमें प्रदर्शन कर रहे किसानों और पुलिसकर्मियों को जलेबी और चाय पकौड़ी खिलाई गई। उधर, उत्तर प्रदेश के मोदीनगर में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पुलिस पर फूल बरसाए और मिठाई खिलाई। उधर, पुलिसकर्मियों ने भी प्रदर्शनकारियों के सामने हाथ जोड़ते हुए आंदोलन समाप्त करने की अपील की।
हरियाणा: कुरुक्षेत्र में ट्रेन के इंजन पर चढ़े किसान
अभियान के दौरान हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसान गीता जयंती एक्सप्रेस के इंजन पर चढ़ गए। ट्रेन कुरुक्षेत्र स्टेशन से अपराह्न तीन बजे के बाद रवाना होने वाली थी, जब किसान उसके इंजन पर चढ़ गए। हरियाणा में प्रदर्शन करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं। राज्य के अंबाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, पंचकुला और फतेहाबाद में किसान जगह-जगह पटरियों पर बैठ गए हैं। हरियाणा में रेलवे पुलिस के अलावा राज्य पुलिस के कर्मियों को भी बड़ी संख्या में प्रदर्शन स्थलों और विभिन्न स्टेशनों पर तैनात किया गया था। हरियाणा में करीब 80 स्थानों पर किसानों ने ट्रेनें रोकीं। राज्य में हाईअलर्ट रहा और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। जीआरपी और आरपीएफ समेत पुलिस बल तैनात रहा।
पंजाब में 15 जिलों के 21 स्थानों पर रोकी गईं ट्रेनें
पंजाब में किसान दिल्ली-लुधियाना-अमृतसर रूट पर कई जगह पटरियों पर बैठे। राज्य के 15 जिलों में 21 स्थानों पर ट्रेनें रोकी गईं। जालंधर में किसानों ने जालंधर कैंट-जम्मू रूट और मोहाली में भी ट्रेन की पटरियां अवरुद्ध कीं। अंबाला से भारतीय किसान यूनियन के नेता गुलाब सिंह मानकपुर के नेतृत्व में किसानों का एक समूह अंबाला कैंट स्टेशन से करीब दो किलोमीटर दूर शाहपुर गांव में पटरियों पर बैठा। पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में किसान संगठनों ने रेल रोकी। यहां पटियाला में नाभा, संगरूर में सुनाम, मानसा, बरनाला, बठिंडा में रामपुरा, मंडी, संगत और गोनियाना, फरीदकोट में कोटकापुरा, लुधियाना खास और दोराहा, शाहकोट, जालंधर जैसे स्थानों पर ट्रेनें रोकी गईं।
बिहार: आरा जिले में रोकी गई श्रमजीवी एक्सप्रेस
किसानों के इस अभियान का असर बिहार में भी देखने को मिला। यहां किसानों के साथ कुछ राजनीतिक दल भी रेल पटरियों पर उतरे और केंद्र की ओर से लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शित किया। हालांकि, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों को रेलवे पटरी से हटा दिया। उधर, आरा जिले में जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने श्रमजीवी एक्सप्रेस रोक दी। जब रेल को दोबारा चलवाने के लिए जीआरपी और आरपीएफ के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ झड़प भी हुई। पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके साथ धक्का-मुक्की भी की। अभियान शुरू होने से पहले किसान नेताओं ने किसानों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की थी।
मध्यप्रदेश: गिरफ्तार किए गए रेलवे स्टेशन जा रहे किसान
मध्यप्रदेश के राजसेन जिले के सलामतपुर में किसानों ने भी रेल रोको आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया। किसानों ने मंडी प्रांगण में एक सभा आयोजित कर सलामतपुर रेलवे स्टेशन की ओर कूच किया। जाते वक्त भारी पुलिस बल लगाकर किसानों को रोका गया और जब किसान सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे तो उन्हें गिरफ्तार कर सलामतपुर थाने ले जाया गया। सभी किसानों ने अपनी गिरफ्तारी दी। संयुक्त किसान मोर्चा के इरफान जाफरी ने कहा कि सरकार कहती है कानूनों में काला क्या है जबकि इसमें सब काला है सफेद कुछ भी नहीं। किसान नेता राहुल राज ने कहा कि सरकार चाहे जितना दमन करे किसानों की आवाज नहीं दबा पाएगी।
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