धरती पर बना सूर्य जितना तापमान देने वाला उपकरण, कोरिया में हुआ ये कमाल


सूर्य दुनिया में अक्षय ऊर्जा (Inexhaustible energy) का सबसे बड़ा स्रोत (Source) है। लेकिन इसके साथ कई ऐसी चुनौतियां हैं जिनकी वजह से इसका उपयोग हर जगह या जरूरत के मुताबिक नहीं हो पाता। इसीलिए वैज्ञानिकों ने आणविक (Atomic) या नाभिकीय (Nuclear) ऊर्जा को एक उत्तम स्रोत माना और सूर्य की तरह पृथ्वी पर नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) के जरिए ऊर्जा पैदा करने के प्रयास शुरू किए। इसी सिलसिले में कोरिया (South Korea) के कृत्रिम सूर्य ने उच्च तापमान वाला प्लाज्मा 20 सेकेंड तक कायम रखने का नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
पहली बार बना इतना बड़ा रिकॉर्ड
यह कोरियाई कृत्रित सूर्य नाभिकीय अतिचालक संलयन उपकरण है जिसे कोरिया सुपरकंडक्टिंग कोकामाक एडवांस रिसर्च (KSTAR) कहा जाता है। इस उपकरण ने 20 सेंकेड तक आयन तापमान को 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक कायम रखा जो इससे पहले 10 सेकेंड तक भी नहीं रखा जा सका था।
कोरिया अमेरिकी का संयुक्त प्रयास
पिछले महीने ही कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी में स्थिति केस्टार रिसर्च सेंटर ने घोषणा की थी कि सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के संयुक्त शोध से उसने प्लाज्मा कि क्रिया को 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के आयन तापमान पर कायम रखने में सफलता हासिल की है जो 20202 के केस्टार प्लाजमा अभियान में नाभिकीय संलयन के लिए प्रमुख शर्तों में से एक होती है।
ऐसे बढ़ा समय का अंतराल
इससे पहले 2019 के केस्टार प्लाज्मा अभियान में प्लाज्मा संक्रिया समय केवल 8 सेंकेड का था जो उस समय का नया विश्व रिकॉर्ड है। साल 2018 के प्रयोग में पहली बार प्लाज्मा आयन तापमान 10 करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड तक हासिल किया गया था जबकि उस समय इसे केवल 1.5 सेकेंड तक ही कायम रखा जा सका था।

क्या है प्लाज्मा की अहमियत
पृथ्वी पर ही सूर्य के जैसे संयलयन प्रतिक्राया को पैदा करने के लिए प्लाज्मा की अवस्था पैदा करना बहुत जरूरी है जो केस्टार जैसे संलयन उकरण के अंदर हाइड्रोजन आइसोटोप रखकर ही पैदा की जा सकती है। इस अवस्था में आयन और इलेक्ट्रॉन अलग-अलग हो जाते हैं और आयान को बहुत ही अधिक तापमान पर गर्म कर कायम रखना पड़ता है।
एक मुश्किल उपलब्धि
अभी तक दूसरे प्लाज्मा उपकर भी बहुत कम समय तक प्लाज्मा के उच्च तापमान पर कायम कर सके हैं और किसी ने भी 10 सेंकेड से ज्यादा का समय नहीं हासिल किया था। यह सामान्य चालक उपकरण के संक्रिया की सीमा है और इसे संलयन उपकरण में इतने ज्यादा तापमान पर लंबे समय तक बनाए रखना बहुत ही मुश्किल कार्य है।
दुनिया से की साझा की जाएगी जानकारी
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह संलयन उपकरण से ऊर्जा के व्यवसायिक उत्पादन के लिहाज से यह एक बहुत अहम और बड़ी उपलब्धि है। केस्टार अपने प्रयोगों के प्रमुख नतीजों को दुनियाभर के शोधकर्ताओं से साझा करेगा। यह अगले साल मई में हहोने वाली इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोसिएशन की फ्यूजन एनर्जी कॉन्फ्रेंस में अपने सफलता की जानकारियां दुनिया के वैज्ञानिकों को देगा।
नभिकीय संलयन ही क्यों
दरअसल नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया भी विशाल ऊर्जा का स्रोत है और उसे नियंत्रित भी करना मुश्किल नहीं, लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी समस्या है उसका नाभिकीय कचरा जिसका कोई उपचार नहीं हैं। इसीलिए वैज्ञानिकों ने नाभिकीय संलयन की ओर रुख किया और पाया कि यह साफ और अक्षय ऊर्जा का स्रोत हो सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती है। कोरिया की यह उपलब्धि इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
सूर्य दुनिया में अक्षय ऊर्जा (Inexhaustible energy) का सबसे बड़ा स्रोत (Source) है। लेकिन इसके साथ कई ऐसी चुनौतियां हैं जिनकी वजह से इसका उपयोग हर जगह या जरूरत के मुताबिक नहीं हो पाता। इसीलिए वैज्ञानिकों ने आणविक (Atomic) या नाभिकीय (Nuclear) ऊर्जा को एक उत्तम स्रोत माना और सूर्य की तरह पृथ्वी पर नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) के जरिए ऊर्जा पैदा करने के प्रयास शुरू किए। इसी सिलसिले में कोरिया (South Korea) के कृत्रिम सूर्य ने उच्च तापमान वाला प्लाज्मा 20 सेकेंड तक कायम रखने का नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
पहली बार बना इतना बड़ा रिकॉर्ड
यह कोरियाई कृत्रित सूर्य नाभिकीय अतिचालक संलयन उपकरण है जिसे कोरिया सुपरकंडक्टिंग कोकामाक एडवांस रिसर्च (KSTAR) कहा जाता है। इस उपकरण ने 20 सेंकेड तक आयन तापमान को 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक कायम रखा जो इससे पहले 10 सेकेंड तक भी नहीं रखा जा सका था।
कोरिया अमेरिकी का संयुक्त प्रयास
पिछले महीने ही कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी में स्थिति केस्टार रिसर्च सेंटर ने घोषणा की थी कि सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के संयुक्त शोध से उसने प्लाज्मा कि क्रिया को 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के आयन तापमान पर कायम रखने में सफलता हासिल की है जो 20202 के केस्टार प्लाजमा अभियान में नाभिकीय संलयन के लिए प्रमुख शर्तों में से एक होती है।
ऐसे बढ़ा समय का अंतराल
इससे पहले 2019 के केस्टार प्लाज्मा अभियान में प्लाज्मा संक्रिया समय केवल 8 सेंकेड का था जो उस समय का नया विश्व रिकॉर्ड है। साल 2018 के प्रयोग में पहली बार प्लाज्मा आयन तापमान 10 करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड तक हासिल किया गया था जबकि उस समय इसे केवल 1.5 सेकेंड तक ही कायम रखा जा सका था।

क्या है प्लाज्मा की अहमियत
पृथ्वी पर ही सूर्य के जैसे संयलयन प्रतिक्राया को पैदा करने के लिए प्लाज्मा की अवस्था पैदा करना बहुत जरूरी है जो केस्टार जैसे संलयन उकरण के अंदर हाइड्रोजन आइसोटोप रखकर ही पैदा की जा सकती है। इस अवस्था में आयन और इलेक्ट्रॉन अलग-अलग हो जाते हैं और आयान को बहुत ही अधिक तापमान पर गर्म कर कायम रखना पड़ता है।
एक मुश्किल उपलब्धि
अभी तक दूसरे प्लाज्मा उपकर भी बहुत कम समय तक प्लाज्मा के उच्च तापमान पर कायम कर सके हैं और किसी ने भी 10 सेंकेड से ज्यादा का समय नहीं हासिल किया था। यह सामान्य चालक उपकरण के संक्रिया की सीमा है और इसे संलयन उपकरण में इतने ज्यादा तापमान पर लंबे समय तक बनाए रखना बहुत ही मुश्किल कार्य है।
दुनिया से की साझा की जाएगी जानकारी
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह संलयन उपकरण से ऊर्जा के व्यवसायिक उत्पादन के लिहाज से यह एक बहुत अहम और बड़ी उपलब्धि है। केस्टार अपने प्रयोगों के प्रमुख नतीजों को दुनियाभर के शोधकर्ताओं से साझा करेगा। यह अगले साल मई में हहोने वाली इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एसोसिएशन की फ्यूजन एनर्जी कॉन्फ्रेंस में अपने सफलता की जानकारियां दुनिया के वैज्ञानिकों को देगा।
नभिकीय संलयन ही क्यों
दरअसल नाभिकीय विखंडन प्रक्रिया भी विशाल ऊर्जा का स्रोत है और उसे नियंत्रित भी करना मुश्किल नहीं, लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी समस्या है उसका नाभिकीय कचरा जिसका कोई उपचार नहीं हैं। इसीलिए वैज्ञानिकों ने नाभिकीय संलयन की ओर रुख किया और पाया कि यह साफ और अक्षय ऊर्जा का स्रोत हो सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती है। कोरिया की यह उपलब्धि इसी दिशा में एक बड़ा कदम है।
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