प्याज निकाल रहा है किसानों के आंसू, कई मंडियों में भाव 2-3 रुपये तक रह गए

19 Apr 2018 | others
प्याज निकाल रहा है किसानों के आंसू, कई मंडियों में भाव 2-3 रुपये तक रह गए


महाराष्ट्र की मालेगांव मंडी में 17 अप्रैल को प्याज का भाव घटकर 201 से 601 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि महीना भर पहले इसका भाव 380 से 741 रुपये प्रति क्विंटल था। राज्य की औरंगाबाद मंडी में प्याज का भाव घटकर 150 से 650 रुपये, गुजरात की राजकोट मंडी में 325 से 575 रुपये और राजस्थान की उदयपुर मंडी में 300 से 800 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। दिल्ली की आजादपुर मंडी में बुधवार को प्याज का भाव घटकर 325 से 1,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। पिछले डेढ़ महीनों में ही प्याज की कीमतों में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।


प्याज निर्यात: भारत दुनिया में # 2 का स्थान रखता है और फिर भी किसान को सबसे कम कीमत का भुगतान किया जाता है


प्याज निकाल रहा है किसानों के आंसू, कई मंडियों में भाव 2-3 रुपये तक रह गए_1793



केंद्र द्वारा उठाये गए कदम नाकाफी साबित

केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतों में गिरावट रोकने के लिए फरवरी के शुरू में प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था, इसके बावजूद प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। गुजरात ओनियन कंपनी के प्रबंधक योगेश अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक ज्यादा हो रही है, जबकि ग्राहकी कमजोर है। महाराष्ट्र और गुजरात की मंडियों में आवकों का दबाव बना हुआ है जबकि राजस्थान में आगे आवक और बढ़ेगी। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र से 25 हजार टन और राजस्थान से 2.6 लाख टन प्याज की खरीद को मंजूरी दी हुई है। महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में 17 अप्रैल को 10 हजार क्विंटल प्याज की आवक हुई जबकि मालेगांव मंडी में आवक 11,850 क्विंटल की हुई।



प्याज का निर्यात घटा

राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से जनवरी के दौरान प्याज का निर्यात घटकर 20.34 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 27.20 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में प्याज का कुल निर्यात 34.92 लाख टन का हुआ था



उत्पादन कम होने का अनुमान

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में प्याज का उत्पादन 4.5 फीसदी घटकर 214 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 224 लाख टन हुआ था।



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