बर्ड फ्लू में ये सावधानीयाँ बरतने से पोल्ट्री फार्मिंग में फायदा

08 Jan 2021 | others
बर्ड फ्लू में ये सावधानीयाँ बरतने से पोल्ट्री फार्मिंग में फायदा

बर्ड फ्लू की आहट का असर कीमतों पर दिखने लगा है। थोक मंडी और फार्म हाउस का असर फुटकर दुकानों पर पहुंचने में समय लग सकता है। पोल्ट्री उद्योग का करोबार करने वाले एक कारोबारी का कहना है कि खड़े मुर्गे की कीमत 112 रुपये से गिरकर 103 रुपये पहुंच गई है। वहीं 1220 रुपये प्रति गत्ता बिकने वाला अंडा 1140 रुपये पहुंच गया है। 

ऐसे होगा फायदा-

अगर पोल्ट्री उद्योग के कारोबारी इस समय अपने फार्म का ध्यान अच्छे से रखें और अपने पक्षियों का ख्याल एवं उन्हें इस समय वायरस  (बर्ड फ्लू) से बचा कर रखेंगे तो आगे चल कर भविष्य में कारोबारी काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। क्योंकि भविष्य में इस वायरस के बाद मुर्गे और अड़े की कीमत में बहुत बढ़ोतरी हो जाएगी, जिससे कारोबारी फायदे में रहेंगे।

बर्ड फ्लू में ये सावधानीयाँ बरतने से पोल्ट्री फार्मिंग में फायदा_4488


बर्ड फ्लू का इलाज- 

अलग-अलग तरह के बर्ड फ्लू का अलग-अलग तरीकों से इलाज किया जाता है लेकिन ज्यादातर मामलों में एंटीवायरल दवाओं से इसका इलाज किया जाता है। लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर इसकी दवाएं लेनी जरूरी होती हैं. बर्ड फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के अलावा, उसके संपर्क में आए घर के अन्य सदस्यों को भी ये दवाएं ली जाने की सलाह दी जाती है, भले ही उन लोगों में बीमारी के लक्षण ना हों।

भारत के कई राज्यों में जैसे मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इस वायरस को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है।  दिसंबर 2020 में जापान, साउथ  कोरिया, वियतनाम और चार यूरोपीय देशों में बर्ड फ्लू के मामले आने शुरू हुए थे और अब ये भारत के कई हिस्सों में फैल चुका है। 

क्या होता है बर्ड फ्लू-

बर्ड फ्लू एक वायरल इंफेक्शन है जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza) भी कहते हैं। ये एक पक्षी से दूसरे पक्षियों में फैलता है। बर्ड फ्लू का सबसे जानलेवा स्ट्रेन H5N1 होता है। H5N1 वायरस से संक्रमित पक्षियों की मौत भी हो सकती है। ये वायरस संक्रमित पक्षियों से अन्य जानवरों और इंसानों में भी फैल सकता है और इनमें भी ये वायरस इतना ही खतरनाक है।

बर्ड फ्लू में ये सावधानीयाँ बरतने से पोल्ट्री फार्मिंग में फायदा_4488


इंसानों में बर्ड फ्लू का पहला मामला 1997 में हॉन्ग कॉन्ग में आया था. उस समय इसके प्रकोप की वजह पोल्ट्री फार्म में संक्रमित मुर्गियों को बताया गया था। 1997 में बर्ड फ्लू से संक्रमित लगभग 60 फीसदी लोगों की मौत हो गई थी। ये बीमारी संक्रमित पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह की लार या आंखों से निकलने वाली पानी के संपर्क में आने से होती है।  

H5N1 बर्ड फ्लू इंसानों में होने वाले आम फ्लू की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैलता है। एक इंसान से दूसरे इंसान में तभी फैलता है जब दोनों के बीच बहुत करीबी संपर्क हो। जैसे कि संक्रमित बच्चे की देखभाल करने वाली मां या घर के किसी अन्य संक्रमित सदस्य का ख्याल रखने वाले लोग।

किन पक्षियों में होता है बर्ड फ्लू- 

बर्ड फ्लू प्रवासी जलीय पक्षियों खासतौर से जंगली बतख से प्राकृतिक रूप से फैलता है। इन जंगली पक्षियों से ये वायरस घरेलू मुर्गियों में फैल जाता है। जंगली पक्षियों से ये बीमारी सूअरों और गधों तक भी फैल जाती है। साल 2011 तक ये बीमारी बांग्लादेश, चीन, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम में फैल चुकी थी।

बर्ड फ्लू में ये सावधानीयाँ बरतने से पोल्ट्री फार्मिंग में फायदा_4488


इंसानों में कैसे फैलता है बर्ड फ्लू-

बर्ड फ्लू इंसानों में तभी फैलता है जब वो किसी संक्रमित पक्षी के संपर्क में आए हों. ये करीबी संपर्क कई मामलों में अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों में ये संक्रमित पक्षियों की साफ-सफाई से फैल सकता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में ये पक्षियों के बाजार से फैला था। 

संक्रमित पक्षियों से दूषित पानी में तैरने-नहाने या मुर्गों और पक्षियों की लड़ाई छुड़वाने वाले लोगों में भी बर्ड फ्लू का संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा संक्रमित जगहों पर जाने वाले, कच्चा या अधपका मुर्गा-अंडा खाने वाले लोगों में भी बर्ड फ्लू फैलने का खतरा होता है। H5N1 में लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता होती है। संक्रमित पक्षियों के मल और लार में ये वायरस 10 दिनों तक जिंदा रहता है।   

बर्ड फ्लू के लक्षण- 

बर्ड फ्लू होने पर आपको कफ, डायरिया, बुखार, सांस से जुड़ी दिक्कत, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, नाक बहना और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है। अगर आपको लगता है कि आप बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए हैं तो किसी और के संपर्क में आने से पहले डॉक्टर को दिखाएं।


Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About