बूढ़े पेड़ों से कमाए 2 लाख किलो ज्यादा आम


पेड़ के तने या शाखाओं से छाल को चारों तरफ से हटाने की प्रक्रिया, गर्डलिंग (Girdling) कहलाती है। इस विधि को अपनाकर, आप अपने बहुत पुराने पेड़ों को भी फलदार बना सकते हैं। साथ ही, इस विधि से फल ज्यादा बड़े, रसीले और मीठे हो जाते हैं।
यह गर्डलिंग (Girdling) का ही कमाल है, जो आज 61 वर्षीय राजेश के 125 साल पुराने आम के पेड़ों में भी ताजा-रसीले आमों की भरमार लगी है। वलसाड से 45 किमी दूर उमरगाम तालुका के फणसा गाँव में, उनके ये पेड़ बहुत ही शानदार तरीके से फल-फूल रहे हैं। इन पेड़ों की तार सी पतली शाखाओं पर बड़े-बड़े आम झूलते रहते हैं।

नीचे झूलते हुए फलों को कड़ी धूप से बचाने के लिए, राजेश इन्हें तोड़कर रख लेते हैं। उन्होंने बताया, “हापुस या Alphonso आम के पेड़, तीसरे साल से फल देने लगते हैं। 35 साल पुराने हापुस आम के पेड़ या तो दो साल में एक बार फल देते हैं, या इनमें फल लगने कम हो जाते हैं। ऐसे में, इन पेड़ों की गर्डलिंग (Girdling) की जा सकती है।”
65 एकड़ का बाग:
राजेश का आम का बागान 65 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें ज्यादातर हापुस और केसर आम लगे हुए हैं। शुरुआत में, उनके दादा मगन लाल शाह ने इस बागान में सैंकड़ों पेड़ लगाए थे। इन पेड़ों में से 100 ऐसे पेड़ हैं, जो अब 125 साल के और 500 पेड़, 80 साल के हो चुके हैं। राजेश मूल रूप से राजस्थान से हैं।
लेकिन, उनके पूर्वज लगभग 180 साल पहले वलसाड में आकर बस गए थे। उनका परिवार आज भी, राजस्थान में बिलिया गाँव के अपने डेढ़ सौ साल पुराने पुश्तैनी मकान में ही रहता है। वहीं, राजेश अपनी पत्नी के साथ गुजरात में रहते हैं और उनके बेटे और बेटी दोनों मुंबई में चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।
शाह ने 10वीं के बाद अपनी पढ़ाई नहीं की, क्योंकि उन्हें इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ना बहुत असहज लगता था। उनका बागान, उनके घर से छह किमी दूर है। इसलिए, वह रोजाना अपनी ऑल्टो गाड़ी से बागान तक का सफ़र तय करते हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से ही खेती करना शुरू कर दिया था।
फलों की कटाई के बाद वह पेड़ों को पोषण देने के लिए, जमीन में उनके चारों ओर खाद के तौर पर, ज्यादा मात्रा में गाय का सुखा गोबर डालते हैं। उन्हें हापुस आम काफी पसंद हैं, इसलिए उन्होंने साल 1973 में हापुस के 300 पौधे लगाये थे। इसके बाद, उन्होंने 2006 में हापुस के 900 और 2009 में 1700 पौधे और पायरी तथा मलगोवा आम की कुछ किस्में भी लगाईं।
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