भिखारी बना करोड़पति


किसी भिखारी को आप क्या दे सकते हैं? कुछ पैसे, थोड़ा खाना, अपने पुराने कपड़े और क्या?
पर हमारे बीच एक ऐसा इंसान है जिसने भीख में भिखारियों को बिजनेस का आइडिया दिया और ऐसा दिया कि कई भिखारियों को Entrepreneur/ बिज़नेसमैन बना दिया। वो कहते हैं कि डोनेट मत करो बल्कि इंवेस्ट करो।
ये कमाल का आइडिया है बनारस के चंद्र मिश्रा का।वो अपने शहर को भिखारियों से मुक्त करना चाहते हैं। इसके लिए वो ना केवल लोगों को डोनेशन की जगह इंवेस्ट करने के लिए मनाते हैं बल्कि भिखारियों को पैसे का सही इस्तेमाल, बचत और उससे अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद भी करते हैं।
भीख मांगने वालों के पुनर्वास के साथ ही, उन्हें पैसे कमाने के लिए सक्षम बनाने और जीवन जीने का सही तरीका सिखाने के लिए, चंद्र मिश्रा ने जनवरी 2021 में ‘बैगर्स कॉर्पोरेशन’ की स्थापना की। उनका मानना है कि सड़कों पर भीख मांगते लोग ना दिखें, इसके लिए भिखारियों का महज़ पुनर्वास करना ही काफी नहीं, ज़रूरी है कि उनमें स्किल डेवलप कर, उन्हें कमाई का सही ज़रिया दिया जाए।

चंद्र मिश्रा कौन हैं?
चंद्र मिश्रा लंबे समय से समाजसेवा कर रहे हैं। गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना उनका सबसे पसंदीदा काम है। चंद्र कहते हैं कि मैं सब कर रहा था पर ऐसा लगा कि ये काफी नहीं है। अगर शिक्षा मिले पर रोजगार नहीं तब भी स्थिति वही रहेगी जो आज है। इसलिए जरूरी है कि शिक्षा के साथ रोजगार भी पैदा किया जाए।
कोरोना काल में जब लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया तब बनारस समेत पूरे देश में गरीबों और भिखारियों की हालात सबसे ज्यादा खराब हुई। क्योंकि आम लोगों के पास तो घर था, उसे राशन से भरने की व्यवस्था भी थी पर भिखारियों का क्या? वो तो रोज मांगते, रोज खाते थे। कोविड के दौरान ये भी बंद हो गया। कई भिखारी तो ऐसे थे, जिन्हें पर्याप्त राशन मिल रहा था पर वो उसका सही ढंग से मैनेज नहीं कर पाए या फिर उनके पास रखने की जगह ही नहीं थी। ऐसे में ये जरूरी हो गया कि कम से कम अपने शहर से भिखारियों को खत्म करना होगा।
इसके लिए उन्हें शहर से बाहर नहीं किया जाना चाहिए बल्कि भिखारियों को शिक्षित करना होगा। चंद्र कहते हैं कि जब कोरोना का कहर शांत हुआ, तब जनवरी 2021 में मैंने भिखारियों को ऑन्त्रप्रेन्योर बनाने के उददेश्य से Beggars Corporation की शुरूआत की। इसका लक्ष्य था कि भीख मांगने वालों को रोजगार के लिए प्रशिक्षित करना. साथ ही पैसों का मैनेजमेंट भी समझया जाए।
चंद्र कहते हैं कि शुरूआत में भिखारियों को समझना मुश्किल था, ये काम अभी भी आसान नहीं पर किसी तरह 12 परिवारों के 55 भिखारी मेरी बात को समझने लगे और उन्होंने सबसे पहले पैसों के मैनेजमेंट को सीखा। उन्होंने भीख मांगकर जितना भी पैसा कमाया था, उसका सही इंवेस्टमेंट उनको सिखाया गया।
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