मिट्टी का दो मंज़िला घर, जिसे देखकर रह जायंगे दंग

12 Sep 2022 | others
मिट्टी का दो मंज़िला घर, जिसे देखकर रह जायंगे दंग

जी हाँ, पुणे शहर के बीचों-बीच एक ऐसी ही मिट्टी का बना दो मंज़िला घर है, जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है। अन्वित ने जब साल 2018 में शहर के बीच में मिट्टी का घर बनाने के फैसला किया, तब लोगों ने कहा- ये पुरानी तकनीक है, आज के समय में ऐसे घर में कौन रहता है? लेकिन अब आस-पास से ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से लोग मिट्टी के इस दो मंज़िला घर को देखने आते हैं।

पुणे के कोथरूड इलाके की महात्मा सोसाइटी में आपको कंक्रीट के बनें घरों की भीड़ में एक ऐसा घर दिख जाएगा, जिसमें मिट्टी की खुशबू के साथ-साथ आधुनिकता की झलक भी दिखेगी। इस दो मंज़िला घर के मालिक हैं अन्वित फाटक, जो पिछले एक साल से इस घर में रह रहे हैं।

मिट्टी का दो मंज़िला घर, जिसे देखकर रह जायंगे दंग_3678


आस-पास के घरों की तरह ही यहां भी किसी साधन की कमी नहीं है, लेकिन जो चीज़ इसे सबसे ख़ास बनाती है, वह है यहां रहनेवाले लोगों की सोच और प्रकृति के लिए उनका लगाव। 

अन्वित कहते हैं, “मिट्टी का घर बनाने से पहले, आपको ऐसे घर में रहने के लिए खुद को तैयार करना होगा। मैंने इसके फ़ायदों के साथ-साथ कई चुनौतियों को भी समझा। पूरी जानकारी के बाद, मैंने अपने लिए एक मिट्टी का घर बनाने का फैसला किया। मैं देखना चाहता था कि क्या ऐसा करना मुमकिन है?”

पिछले एक साल से, 38 वर्षीय अन्वित अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ इस ईको-फ्रेंडली घर में रह रहे हैं और इसे अपने जीवन का एक सही फैसला बताते हैं।

इसलिए किया मिट्टी का घर बनाने का फैसला:

अन्वित, पुणे में ही एक स्कूल चलाते हैं। हमेशा से शहर में रहने के बावजूद, उन्हें प्रकृति से बेहद लगाव है, इसीलिए वह अपने जीवन को भी ईको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल तरीकों से जीने की कोशिश करते हैं। पर्यावरण की अहमियत को समझते हुए ही उन्होंने कुछ साल पहले इकोलॉजी का एक कोर्स भी किया था।

वह बताते हैं, “उस कोर्स के दौरान मैंने कई चीज़ें सीखीं, लेकिन सबसे अच्छी बात यह हुई कि उसी की वजह से मैंने एक पर्यावरण अनुकूल घर बनाने के बारे में सोचा।”

दरअसल, जब वह यह कोर्स कर रहे थे तो एक बार उनकी क्लास में मुंबई के एक आर्किटेक्ट, मलख सिंह आए। उन्होंने बताया कि कैसे लोग आज के ज़माने में भी मिट्टी की ईटों और बैम्बू वग़ैरह का इस्तेमाल करके घर बनाते हैं।

अन्वित कहते हैं कि उस समय वह अपनी ज़मीन पर घर बनाने की तैयारी भी कर रहे थे। उन्हें यह जानकर काफ़ी हैरानी हुई कि ऐसा भी किया जा सकता है। फिर उन्होंने इसके बारे में ज़्यादा जानकारियां इकट्ठा करना शुरू किया। उन्होंने पुणे की एक आर्किटेक्ट अनुजा नूतन से संपर्क किया। अनुजा भी इसी तरह के ईको-फ्रेंडली कंस्ट्रक्शन से जुड़ी थीं। 

अन्वित ने अपनी 3500 स्क्वायर फ़ीट की ज़मीन पर आर्किटेक्ट अनुजा की मदद से एक ईको-फ्रेंडली घर बनाने का काम शुरू किया।  

Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About