यह दादी बुढ़ापे में बनाती हैं 120 कुत्तों का खाना

05 Oct 2022 | others
यह दादी बुढ़ापे में बनाती हैं 120 कुत्तों का खाना

आप उन लोगों को जानते होंगे जिन्हें कुत्तों से बेइंतिहा मोहब्बत है। वो उनका खास ध्यान रखते हैं। कुछ होते हैं जो अपने कुत्तों का ध्यान रखते हैं, यानी कि सिर्फ और सिर्फ अपने पालतू कुत्तों का। वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आवारा कुत्तों का ध्यान रखते हैं। जो बेजुबानों सड़क पर जिंदगी जी रहे हैं। 

उनके प्रति वो नेक काम करते हैं। ऐसी कई कहानियां सामने आ चुकी हैं जिसमें लोग गली के आवारा कुत्तों की मदद करने के लिए आगे आते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं, गर्मियों में पानी पिलाते हैं। क्योंकि इन बेजुबानों का कोई नहीं होता, अगर हम उनका ध्यान नहीं रखेंगे तो कौन रखेगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, एक 90 साल की दादी की कहानी, जो आज भी 120 आवारा कुत्तों के लिए खाना बनाती हैं और उनका ध्यान रखती हैं।

इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा 90 साल की एक बुजुर्ग महिला का विडियो, सोशल मीडिया यूजर्स का खूब दिल जीत रहा है पॉसइनपडल (Pawsinpuddle) इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर किए गए इस विडियो में यह दादी बिरयानी बनाती नज़र आ रही हैं इस विडियो को कुछ ही दिनों में 1.42 लाख से भी अधिक बार देखा जा चुका है और 47 हज़ार से ज़्यादा लाइक भी मिले हैं

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अब आप सोच रहे होंगे इस विडियो में ऐसी क्या खास बात है कि इस पर इतने लाइक और व्यूज आ रहे हैं तो आपका सोचना बिल्कुल ठीक है कि दरअसल खास बात बिरयानी बनाने में नहीं है बल्कि खास तो उसके पीछे की वजह है

गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश) की रहनेवाली कनक सक्सेना हैं तो 90 साल की, लेकिन उनका जज़्बा और फुर्ती किसी युवा से कम नहीं। वह हर रोज़ सुबह उठती हैं और सीधा अपने घर की रसोई में जाती हैं, जहां वह न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि 120 स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी खाना बनाती हैं। कनक, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी से पीड़ित हैं और उनकी कई बड़ी सर्जरी भी हो चुकी है, लेकिन उन्होंने इन परेशानियों को अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में बाधा नहीं बनने दिया।

वह कहती हैं कि इन कुत्तों को खिलाने से उन्हें जो खुशी और प्यार मिलता है, वही उनके स्वास्थ्य और सेहत का राज़ है। हालांकि ऐसा नहीं है कि उन्हें हमेशा से कुत्तों से लगाव रहा है। लेकिन जब उनकी पोती सना एक कुत्ते ‘कोको’ को घर ले आई, तो सब कुछ बदल गया।

कनक कहती हैं, “मुझे पहले कुत्तों से लगाव नहीं था। लेकिन सना जब एक कुत्ते को घर ले आई, तो मुझे धीरे-धीरे उससे लगाव होने लगा। मेरा दिन उसे खिलाने, उसके साथ खेलने और बस उसे प्यार करने में बीतने लगा। कुत्तों के प्रति मेरा नज़रिया पूरी तरह बदल गया। इसलिए जब सना ने गली के कुत्तों की देखभाल करना शुरू किया, तो मैं उसकी मदद करना चाहती थी। चूंकि मैं शारीरिक रूप से जाकर उन्हें खाना नहीं खिला सकती, इसलिए मैं उनके लिए खाना बनाकर संतुष्ट महसूस करती हूं।”

एक कुत्ते की मौत ने सोचने पर किया मजबूर:

फैशन डिज़ाइनिंग के अंतिम वर्ष में पढ़ रहीं 22 वर्षीया सना कहती हैं, ”हमारे घर के पास भोलू नाम का एक कुत्ता था। हम उसे कभी-कभार खाना खिलाते थे। उसकी मृत्यु ने मुझे बहुत प्रभावित किया। मुझे लगा कि बीमार स्ट्रीट डॉग्स को कैसे पहचानना है, इसके बारे में मुझे थोड़ा पता होता, तो मैं उसकी मदद कर पाती। उसी समय पहला लॉकडाउन लगा था। मेरे पिताजी और मैंने सोचा कि ये कुत्ते कैसे खाएंगे। चूंकि हम जानते थे कि लोग बाहर नहीं निकल सकते, इसलिए हमने जानवरों की मदद करने का फैसला किया।”

मार्च 2020 में, परिवार ने गाज़ियाबाद के वैशाली में एक सड़क पर 10-20 कुत्तों को खाना खिलाना शुरू किया। आज यह संख्या बढ़कर 120 हो गई है। खाना के अलावा, यह परिवार इन कुत्तों के टीकाकरण, दवाओं और आश्रय का भी ध्यान रख रहा है। शुरुआत में पिता-बेटी की जोड़ी पैकेज्ड फूड लाते और कुत्तों को खिलाते थे। लेकिन फिर कनक भी इनके साथ जुड़ गईं और कुत्तों को ताजा खाना देने के लिए कहा।

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