यह मुर्गी कम खर्च में देगी अधिक मुनाफा


दरअसल भारत के हर राज्य में अंडे व चिकन (Egg and Meat Production) की डिमांड होने के कारण मुर्गी पालन किसानों में बहुत लोकप्रिय हो रहा है। इसका दूसरा पहलू ये भी है कि मुर्गी पालन शुरू करने के लिए ज़्यादा लागत की ज़रूरत नहीं होती। इसे शुरुआत में कम पैसे लगाकर छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है।
साल में 250 अंडे देती हैं मुर्गी:
प्लायमाउथ रॉक मुर्गी की वो नस्ल है जो किसानों को अच्छा मुनाफ़ा दिला सकती है। ये मुर्गियाँ साल भर में 250 तक अंडे देने की क्षमता रखती हैं। प्लायमाउथ रॉक एक अमेरिकन नस्ल की मुर्गी है। इन मुर्गियों का वजन 3 किलोग्राम के लगभग होता है जबकि अंडे का औसतन वजन 60 ग्राम माना गया है। इन मुर्गियों की चोंच पीले कलर की और कान व चोटी लाल रंग के होते हैं। यह मुर्गी भारत के कई राज्यों में बहुतायत में पाई जाती है। व्यापार के लिहाज से इस नस्ल की मुर्गी को भारत में काफी अच्छा रेट किया जाता है।

स्वभाव के तौर पर इन मुर्गियों को काफ़ी शांत बताया जाता है। प्लायमाउथ रॉक मुर्गियों को घूमना बहुत पसंद होता है। वैसे तो इन मुर्गियों की चोंच पीले कलर की और कान व चोटी लाल रंग के होते हैं पर इनमे अलग-अलग रंग भी देखने को मिलते हैं।
इन अलग रंगो की वजह से इन्हें ब्लैक फ्रिज़ल, ब्लू, पार्ट्रिज और कोलंबियन, रॉक बर्रेड रॉक भी कहा जाता है। अंडों के साथ-साथ इन मुर्गियों का मांस भी बाज़ार में अच्छे दाम पर बिकता है। इसलिए अंडों की अच्छी संख्या और मांस के ऊँचे दाम के कारण Plymouth Rock भारत के कई राज्यों में मुर्गी पालन में किसानों की पहली पसंद बनी हुई है।
कहाँ से आई यह नस्ल:
अगर प्लाईमाउथ रॉक के इतिहास की बात की जाये तो यह घरेलू चिकन की एक अमेरिकी नस्ल है। माना जाता है कि इसे पहली बार 19वीं शताब्दी के बीच में मैसाचुसेट्स में देखा गया था और 20वीं सदीं के आरम्भ में प्लाईमाउथ रॉक संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकन की सबसे अधिक लोकप्रिय नस्ल बन चुकी थी।
प्लाईमाउथ रॉक चिकन दोहरी उपयोगिता वाली नस्ल है, जिसे मांस और उसके भूरे अंडे के लिए लोकप्रियता प्राप्त हुई है।
विशेष रूप से, व्हाइट प्लायमाउथ रॉक मुर्गियां बड़े पैमाने पर अंडे और मांस उत्पादन के लिए उपयोग की जाती हैं क्योंकि यह औद्योगिक उत्पादन के लिए चुनिंदा रूप से पैदा हुई हैं और अध्ययनों से पता चलता है कि वे प्लायमाउथ रॉक के अन्य रूपों की तुलना में सांख्यिकीय रूप से अधिक अंडे और मांस पैदा करते हैं। इसके अलावा, उनका विनम्र स्वभाव और कठोरता उन्हें आसानी से बड़े पैमाने पर उत्पादित और उगाई जाने वाली प्रजाति बनाती है।
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