यूपी पंचायत चुनाव: प्रदेश में कई प्रधान जीत के बाद भी नहीं ले पाएंगे शपथ


पहले शपथ, फिर उपचुनाव के कयास:-
जो ग्राम पंचायतें असंगठित हैं, वहां पहले उपचुनाव होगा या सदस्यों के बहुमत वाले अन्य प्रधानों का शपथ ग्रहण कराया जाएगा। इसको लेकर कोई आदेश नहीं आया है। लेकिन बीते सालों पर गौर करें तो पहले शपथ ग्रहण होता है। उसके बाद आयोग उपचुनाव का ऐलान करता है। हालांकि कोरोना संक्रमण काल को लेकर शपथ ग्रहण की कोई तारीख घोषित नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद कई ऐसे तस्वीरें सामने आ रहे हैं, जिससे जल्द ही उपचुनाव कराया जाना तय है। ग्राम पंचायत सदस्यों के 1771 वार्ड रिक्त रहने से तकरीबन 41 फीसदी नए प्रधानों को बहुमत नहीं मिला है। जब भी कोई तारीख घोषित होगी, वह शपथ नहीं ले पाएंगे।
यह हाल केवल कन्नौज जिले का नहीं, बल्कि कई जनपदों का है। सूबे के कन्नौज जिले में 499 ग्राम पंचायतें हैं। यहां इतने ही प्रधान चुन गए हैं। हालांकि तीन प्रधानों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन 204 प्रधानों के पास ग्राम पंचायत सदस्यों का बहुमत नहीं है। इस वजह से वह शपथ नहीं ले पाएंगे। शपथ नहीं ले पाने से उनको विकास कार्य कराने आदि का अधिकार नहीं मिल पाएगा। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी कन्नौज बिनीत कटियार बताते हैं कि 'जिस ग्राम पंचायत में सदस्यों की संख्या दो तिहाई नहीं होगी, वहां के प्रधान शपथ नहीं ले पाएंगे।

कन्नौज में ऐसे प्रधानों की संख्या 204 है। कई ग्राम पंचायतें तो ऐसी भी हैं, जहां एक भी सदस्य नहीं है।' निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक कन्नौज जनपद में ग्राम पंचायत सदस्यों के 6327 वार्ड हैं। इसमें 3035 सदस्य निर्विरोध चुन लिए गए थे। 1521 सदस्य 19 अप्रैल को हुए चुनाव के बाद दो मई से हुई मतगणना में विजयी हुए। कुल 4556 सदस्य ही ग्राम पंचायत सदन में पहुंच सके। 1771 वार्ड रिक्त रह गए हैं।
जिसकी वजह से 204 ग्राम पंचायतों के सदस्यों का दो तिहाई बहुमत नहीं हो पाया। कन्नौज के डीपीआरओ जितेंद्र कुमार मिश्र बताते हैं कि 'सभी ब्लॉकों के एडीओ पंचायत से संगठित और असंगठित ग्राम पंचायतों की सूचना मंगवाई है। उसमें 204 ग्राम पंचायतों में प्रधानों के पास सदस्यों का बहुमत नहीं है। यह ग्राम पंचायतें असंगठित कही जाएंगी। शपथ लेने के लिए संगठित होना जरूरी है।'
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