रद्दी-कबाड़ कागज से शानदार कमाई


रद्दी कागज के टुकड़ों और कतरन का प्रयोग करके इस भाई ने कर दिखाया कमाल बना रहे ऐसा शानदार प्रोडक्ट जिसकी सप्लाई न सिर्फ आसपास के इलाकों में बल्कि देश-विदेश तक भी होती है। जिस कागज को हम रद्दी समझकर फेंक देते हैं ये उसको रीसायकल कर बना रहे हैं अंडे की ट्रे। जिसका रॉ मटेरियल बहुत ही आसानी से और सस्ता उपलब्ध हो जाता है एवं उसे बनकर तैयार प्रोडक्ट खूब अच्छे मुनाफे पर भी बिकता है। तो आईए जानते हैं सुशील कुमार से वे किन मशीनों द्वारा तथा किन-किन प्रक्रिया से गुजर कर बनाते हैं यह शानदार आइटम-

सबसे पहले यह कच्चे माल के रूप में सभी रद्दी तथा पेपर कटिंग वालों के माध्यम से तमाम कबाड़ कागज़ अपने इस छोटे से फार्म पर मंगवा लेते हैं। यह कबाड़ इनके लिए सोने से कम नहीं क्योंकि यह इससे बनाने वाले हैं ये बेसकीमती आइटम। यह इस इकट्ठी की गई रद्दी को पानी से भरे एक गड्ढे में में डाल देते हैं जिसमें कटर लगे हुए हैं यह कटर भीतर ही भीतर रद्दी को बहुत छोटे टुकड़ों में काट तथा उसे गला देते हैं। इस गड्ढे में पानी बराबर में लगे टैंक के माध्यम से आता है। पेपर काटने के बाद इसमें से पन्नी जैसा पदार्थ अलग हो जाता है और केवल गला हुआ कागज़ जेल के रूप में घोल पंप द्वारा एक दूसरी होदी में आ जाता है। इस होदी में वाइपर लगे होते हैं जो मोटर की सहायता से गोल-गोल घूमते रहते हैं ये इस गले हुए कागज के घोल को नीचे नहीं बैठने देते।

अब इस पानी में घुले कागज को दूसरे बड़े टैंक में भेजा जाता है जिसमें मशीनें कार्य करती है। इन मशीनों में मुख्य रूप से वैक्यूम कंप्रेसर है। इस मशीन में अंडे की ट्रे के आकार का सांचा नीचे तथा ऊपर फिट होता है नीचे वाला सांचा खुद ही कागज से घुला पानी फ्रेम में भरता है और ऊपर वाले सांचे में जाकर मिल जाता है। जहां पर वैक्यूम उनका पानी तो सोख लेता है तथा केवल कागज की लुगदी-लुगदी बच जाती है। जो सांचो में फंसे होने के कारण ट्रे का आकार ले लेती है।

अब इनको करीब आधा मिनट बाद सांचे में से निकाल लेते हैं। एक मशीन में तीन या चार सांचे फिट होते हैं इस प्रकार आधा मिनट में चार ट्रे बनकर तैयार हो जाती है। इन सभी ट्रे को इकट्ठा करके सूखने के लिए बाहर धूप में ले जाकर रख देते हैं। वैक्यूम जिस पानी को कागज की लुगदी से सोंखता है वह दोबारा उसी गड्ढे में चला जाता है जहां कागज की कटिंग और धुलाई हो रही थी। इस प्रकार इस पानी का बार-बार प्रयोग होता रहता है। इन सभी ट्रे को खोल कर धूप में करीब 5 से 6 घंटे के लिए रख दिया जाता है यह सुखकर एकदम सख्त हो जाती हैं। यह एक दिन में करीब 10000 ट्रे बना देते हैं जिन्हें 100 ट्रे का बंडल बनाकर पैक कर देते हैं। इसमें ट्रे के साइज भी अलग-अलग होते हैं। जिसमें 17 नंबर की ट्रे का बंडल 250 रुपए, 15 नंबर का बंडल ₹220 का तथा तथा 22 नंबर का बंडल ₹300 का बिकता है।

तो दोस्तों आपने देखा यह भाई किस तरह से डेली 10000 ट्रें बनाकर पैसा कमा रहे हैं। यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनका पता: गांव-कुराली,बागपत रोड मेरठ, उत्तर प्रदेश है।
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