रिटायरमेंट के बाद 400 ग्रो बैग्स में रोज़ उगा रहे 20 किलो सब्जियांं


हालांकि छत पर गार्डनिंग करके, कई अर्बन गार्डनर्स अपने परिवार के लिए सब्जियां उगा लेते हैं। कई लोगों को इतनी उपज मिल जाती है कि बाहर से कम सब्जियां खरीदनी पड़ें। लेकिन कभी किसी ऐसे किसान के बारे में सुना है, जो छत पर खेती करके फसल उगाकर उसे बेच भी रहा हो।
जी हाँ, केरल के रहनेवाले पुन्नूस जैकब एक ऐसे ही किसान हैं, जिनके पास कोई खेत नहीं है, बल्कि वह ग्रो बैग्स में सब्जियां उगाते हैं। और उन सब्जियों को बेच कर काफी मुनाफा भी कमाते हैं।
रिटायर होने के बाद, थोडुपुझा (केरल) के रहनेवाले पुन्नूस जैकब ने खेती के अपने शौक़ को आजमाने का फैसला किया। आज वह ‘मंगलम फूड्स' ब्रांड के तहत, ताज़ा सब्जियां बेच रहे हैं।
उनकी 3500 स्क्वायर फ़ीट की छत पर हर दिन तक़रीबन 20 किलो सब्जियां उगती हैं। इन सब्जियों को वह अब अपने ब्रांड के साथ बेचकर एक बिज़नेस भी चला रहे हैं।

नौकरी से रिटायर होने के बाद पुन्नूस, बेंगलुरु से गांव थोडुपुझा (केरल) लौटकर आ गए। वह मूल रूप से एक किसान परिवार से ही ताल्लुक रखते हैं, इसलिए खेती से उनका लगाव हमेशा से रहा है। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खेती के शौक़ को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
लेकिन बड़े पैमाने पर खेती शुरू करने के लिए उनके पास ज़मीन नहीं थी। इसलिए, उन्होंने अपने गांव के घर की छत पर ही सब्ज़ी उगाना शुरू किया।
63 वर्षीय पुन्नूस जैकब कहते हैं, “मैंने शुरुआत में अपने घर में कुछ ग्रो बैग्स में सब्जियां उगाई थीं, लेकिन मैं इसे बड़े स्तर पर करना चाहता था, इसलिए मैंने अपने घर के सामने ही एक तीन मंज़िला इमारत किराए पर ले ली।
इस घर में 3,500 वर्ग फुट की चौड़ी छत है, जहां मैं खेती करता हूँ। भले ही यह एक छोटी जगह है, लेकिन मैंने इसे पूरी तरह से एक खेत की तरह ही विकसित किया है और कई छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा है।”
अत्याधुनिक तकनीक के साथ उगाते हैं सब्जियां:
पुन्नूस ने शुरुआत में टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी और ककड़ी जैसी सब्जियां, बीज से उगाई थीं। दो सालों में ही इन सब्जियों का उत्पादन इतना अधिक होने लगा कि उन्होंने अपने ग्रो बैग्स बढ़ा दिए। उन्होंने छत पर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया, ताकि पानी देने में आसानी हो जाए।
उन्होंने सभी ग्रो बैग्स को डेढ़ फीट ऊँचे लोहे के स्टैंड पर रखा गया है, जिससे छत पर किसी तरह की कोई लीकेज की दिक्कत न आए।
पुन्नूस, कृषि और हॉर्टिकल्चर विभाग से भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने कृषि विभाग से सब्सिडी लेकर अपने छत पर एक ग्रीन शेड लगवाया है, जिससे तेज़ धूप और बारिश में उनकी फसल ख़राब न हो जाए।
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