रॉबिन दे रहे हैं हज़ारों बेज़ुबानों को खाना


प्रकृति के नियम के मुताबिक़ सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर हैं। अगर पशु-पक्षी न हों, तो यह धरती इंसानों के रहने लायक भी नहीं बचेगी। इसी बात को समझते हुए, पिछले आठ सालों से जानवरों के लिए काम करने वाली धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) की एक संस्था, ‘पीपल फार्म’ ने 5 दिसंबर 2021 को सड़क पर रहते कुत्तों के लिए एक ख़ास फीडिंग प्रोग्राम की शुरुआत की थी।
अमेरिका की नौकरी और वेल सेटल्ड लाइफ छोड़कर, दिल्ली के रॉबिन सिंह अपनी संस्था ‘पीपल फार्म’ के ज़रिए अब बेसहारा जानवरों की सेवा कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश की स्पिति घाटी के कुत्तों के लिए उनकी टीम एक विशेष प्रोग्राम के तहत काम कर रही है।

इसके ज़रिए वह आस-पास के छह गाँवों में, वहाँ के लोगों की मदद से हर दिन क़रीब 400 कुत्तों को खाना खिला रहे थे। गाँव की महिलाओं को फार्म, राशन और बाकी ज़रूरी चीज़ें देता था और क़रीब 12 स्थानीय महिलाएं, 400 कुत्तों के लिए रोज़ खाना तैयार करती थीं।
‘स्पिति डॉग फीडिंग विंटर प्रोग्राम’ नाम से पीपल फार्म ने अप्रैल 2022 तक यह फीडिंग प्रोग्राम चलाया, ताकि स्थानीय कुत्तों की मदद की जा सके। इसके बाद, गर्मियों में इन कुत्तों की नसबंदी कराने का काम शुरू किया गया और इस प्रोग्राम में चिचम, किब्बर, खुरिक, रंग्रिक, लडांग और काजा गाँवो के 100 से ज़्यादा कुत्तों को शामिल किया गया।
अपने इस प्रोग्राम से यह संस्था सड़क पर रहते इन बेसहारा कुत्तों की संख्या कम करने के साथ-साथ, उन्हें हर तरह की बीमारियों से भी बचाना चाहती है।
काजा के रहनेवाले नरिंदर राणा, कुत्तों को खाना खिलाते हैं। वह कहते हैं, “पहले घाटी में लोगों के पास ब्लू शीप और आइबेक्स जैसे कई तरह के पशु हुआ करते थे, लेकिन अब इलाके में कुत्तों की संख्या इतनी ज़्यादा हो गई है कि लोगों ने कुत्तों के डर से इन जानवरों को रखना छोड़ दिया है।”
क्या है विंटर फीडिंग प्रोग्राम?
घाटी में खाने और मौसम की दिक्क़त के साथ-साथ, कुत्तों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं भी हैं। पीपल फार्म के सह-संस्थापक रॉबिन सिंह भी जानवरों के लिए साल 2014 से काम कर रहे हैं।
अपने इस प्रोग्राम की शुरुआत पर बात करते हुए उन्होंने बताया, “पिछले साल सितंबर में काजा में रहनेवाली वांगचुक डोलमा (उर्फ़ ऊषा) अपने भाई और बेटे के साथ पीपल फार्म पर आई थीं। डोलमा एक बेकरी चलाती हैं। उन्होंने हमसे इन आवारा कुत्तों की दुर्दशा के बारे में बात की और पूछा कि क्या पीपल फार्म इसके बारे में कुछ कर सकता है?”
इसके बाद रॉबिन ने खुद स्पिति जाकर इन समस्याओं को जानने की कोशिश की। उन्होंने देखा कि गर्मी के मौसम में तो यहाँ टूरिस्ट बहुत आते हैं, इसलिए कुत्तों को खाने की कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन सर्दियों में जब उनके लिए पर्याप्त खाना नहीं होता है, तब वे भूख रहते हैं और कभी-कभी तो एक-दूसरे को भी मारकर खा जाते हैं।
Comment
Also Read

ट्रैक्टर पर सिर्फ 5
edhgmn,mngdfd

ग्लूटेन-फ्री आहार: किसके लिए ज़रूरी और क्यों?
ग्लूटेन-फ्री आहार (Gluten-Free Die

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

व्रत और उपवास में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ और उनका महत्व
भारत में व्रत और उपवास धार्मिक एवं

इंटरमिटेंट फास्टिंग का विज्ञान, लाभ और सावधानियाँ
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent
Related Posts
Short Details About