लकड़ी तरास्कर, कपड़े पर की शानदार डिजाइन


भारत के लोग हाथों से होने वाली कलाकारी के मामले में सदियों से ही शीर्ष स्थान पर रहें है। यहां के युवकों के हाथ में है एक कमाल का जादू, जिससे वे ना सिर्फ देश, बाल्कि विदेश में भी अपनी पहचान बनाये हुए हैं। ऐसा ही एक कमाल सैकड़ो सालों से करते आ रहे हैं ये लोग जो पहले लकड़ी काटते हैं, उस पर टिपाई करते हैं और फिर कपड़ों पर शानदार छपाई करके बना देते हैं बेहतरीन डिजाइन। आये जानते हैं किस प्रकार करते हैं ये इस बेहतरीन से कार्य को-

लकड़ी का छापा बनाने की विधि:
सबसे पहले रॉ मटेरियल के रूप में जंगल से साल या शीशम कि मोटे-चौडे तने वाली लकड़ी छोटे-छोटे पीस में काट कर लाते हैं। फिर उसे रेगमाल की मदद से घिसकर चिकना और समतल कर लेते हैं। इसके बाद उस पर फेविकोल का लेप करते हैं ताकि जो भी डिजाइन इस पर बनाया जाये वह आसानी से दिख सके। इस टुकड़े पर कलाकारी करने से पहले, एक कागज पर डिजाइन को पेंसिल से ऊकेर लेते हैं। अब इस कागज पर बने डिजाइन को लकड़ी के टुकड़े के ऊपर रखकर, बड़ी ही सावधानी से एक बारीक नुकीले सूंए और हथौड़ी की मदद से बीनना होता है, जिसे टिपाई करना कहते हैं। इसके लिए कागज पर थोड़ा तेल भी लगते हैं, जिससे वह लकड़ी पर आर-पार दिखने लगता है और सूंए से डॉट-डॉट करके टिपाई कर देते हैं।

टिपाई हो जाने के बाद एक्स्ट्रा लकड़ी को काटकर बाहर कर देते हैं। अब आता है इसमें सबसे बारीक और कलाकारी वाला काम, जिसमें टिपाई किए गए डिजाइन को पतली छेनी की मदद से छील-छीलकर उभारा जाता है तथा रिक बनाए जाते हैं। इस एक डिजाइन की रिक या ब्लॉक बनाने में करीब तीन से चार दिन का समय लग जाता है। डिजाइनदार खांचा तैयार हो जाने के बाद इसके पीछे पकड़ने के लिए हत्था भी लगा देते हैं। दरअसल यह एक मोहर रूपी लकड़ी का बड़ा खांचा बन जाता है, जिसे किसी रंग में भिगोकर, कहीं भी छापेंगे तो वह छप जाएगा।
कपड़े पर छपाई करने की विधि:
छापे के ब्लॉक बन जाने के बाद छपाई करना बहुत ही आसान हो जाता है। छपाई करने के लिए किसी भी प्लेन कपड़े को तनाव के साथ फैला देते हैं। रंगीन छपाई के लिए पहले से ही आवश्यक रंगों को घोलकर कलर प्लेट में रखा जाता है। अब ब्लॉक की तली को रंग में भिगोकर कपड़े पर एक सीधी समानांतर रेखा में या किसी पैटर्न को फॉलो करते हुए हल्का-सा जोर देकर दबाते हैं। तो बड़ा ही सुंदर और पूर्ण डिजाइन कपड़े पर छपकर तैयार हो जाता है। इसी प्रकार विभिन्न रंगों से रंग-बिरंगे डिजाइन की छपाई हाथों द्वारा बड़ी ही आसानी से की जाती है। पूरी छपाई हो जाने के बाद कपड़े को थोड़ी देर सूखने के लिए छोड़ देते हैं।
अब बारी आती है चरख अर्थात् प्रेस करने की, यहां प्रेस भी पुरानी और प्राकृतिक विधि से की जाती हैं। जिसमें कपड़े को एक तरफ से मोटे लक्कड़ में बाबन के जैसे लपेट लेते हैं तथा दूसरी तरफ से एक व्यक्ति इसको खींच कर पकड़ता है। फिर इस पर पानी के तेज प्रेशर के फव्वारे का स्प्रे किया जाता है और दूसरी तरफ से लक्कड़ पर लपेटते रहते हैं, जिससे उसमें थोड़ी नमी आकर कपड़े की सभी सलवटे खत्म हो जाती है। अब कपड़े से लिपटे लक्कड़ को धूप में सूखने के लिए रख देते हैं।
इस ब्लॉक प्रिंटिंग का प्रयोग विभिन्न कपड़ों जैसे- दुपट्टे, चादर, सूंट, साड़ी, बेड सीट आदि पर करते हैं। जो देखने में मशीन से की गई प्रिंटिंग के मुकाबले अधिक प्राकृतिक और सुंदर लगते हैं। क्योंकि ये छपाई में भी प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करते हैं, जो फिटकरी, गुड, हल्दी तथा विभिन्न फूलों आदि की मदद से बनाए जाते हैं। यदि कोई पाठक इनसे संपर्क करना चाहे तो गूगल पर सोनावा प्रिंटर लिखकर सर्च कर सकते हैं। धन्यवाद॥
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