वेस्ट मटेरियल के प्रयोग से बनायी ईंटे और वॉल टेक्सचर


हुनर और जज्बे से भरपूर भारत के युवा वेस्ट मटेरियल से बना रहे शानदार प्रोडक्ट। कोई बना रहा कोयला जलने पर निकलने वाली अपशिष्ट राख से ईंटे, तो कोई वेस्ट मटेरियल का प्रयोग कर वॉल टेक्सचर। यह शानदार काम मशीनों द्वारा बहुत ही कम लागत पर हो जाता है। प्रतिदिन हजारों यूनिट की संख्या में उत्पादन हो रहा है। आये जानते हैं अनुराग डागर जी से वे किसी प्रकार राख का प्रयोग कर मजबूत ईंटे बना रहे हैं।
राख से ईंट बनाने की विधि:
सबसे पहले विभिन्न स्रोतों से निकलने वाली कोयले की राख को एक जगह मंगा लिया जाता है। इसी के साथ राख में मिलाने के लिए आवश्यकता पड़ती है चूने की, जिसे जोधपुर राजस्थान से लाया जाता है। चूने को एक बड़े से गड्ढे में डालकर लगभग चार से पांच घंटे के लिए पानी से भिगोते है, जिससे यह फुल कर दो से तीन गुना हो जाता है। इसके बाद चूना और राख को बराबर मात्रा को मिक्सर में डालकर अच्छे से मिलाते हैं, और यह है बनकर तैयार हो जाता है ईंट का मसाला।

इस मसालें को कन्वेयर मशीन पर ले जाते हैं, जिसमें नीचे दो जैक और ईंट के आकार के खांचे लगे होते हैं। मशीन में ऊपर की तरफ से मसाला डालते हैं और नीचे से ईंटे बनकर तैयार हो जाती है, जिन्हें जैक ऊपर उठा देता है। इन ईंटों को एक जगह इकट्ठा करके तीन से चार दिन के लिए धूप में सुखाया जाता है। सूखने के बाद इन्हें चट्टों में फिक्स कर देते हैं तथा इनकी तीन से चार महीने लगातार पानी द्वारा तराई की जाती है। यह गजब की मशीन दिन में 8 घंटे कार्य कर, 16 से 17 हजार ईंटे प्रतिदिन बना देती है। वैसे तो मशीन द्वारा किसी भी साइज की ईंटे बनाई जा सकती है; परंतु एक्चुअल साइज में 9×4×3 का प्रयोग करते हैं। यदि कोई कृषक भाई इनसे संपर्क कर अन्य जानकारी लेना चाहे तो इनका मोबाइल नंबर 9717109137 है।

विभिन्न वेस्ट मटेरियल द्वारा वॉल टेक्सचर का निर्माण:
इस भाई ने बना रखा है कमाल का रॉ मैटेरियल, जिसका प्रयोग कर दीवार पर बड़ी ही आसानी से टेक्सचर किया जा सकता है। इस रॉ मटेरियल में कॉटन, सिल्क, मिनरल्स, माइका, ग्लिटर और गोंद आदि का मिक्सचर है। इन सभी पदार्थों की छोटे-छोटे बारिक पीस में चापिंग कर आपस में मिला लेते हैं। तथा यह पदार्थ जस्टिना-सिल्क प्लास्ट वाटर लिक्विड पेपर के रूप में जाना जाता है।

यह पदार्थ पैकेटों में उपलब्ध होता है, जिसे सामान्य रूप से पानी में तब तक घोला जाता है, जब तक जस्टिना-सिल्क हाथ से फिसलने ना लगे। पानी में घोलने पर यह बहुत ही चिकना हो जाता है तथा अब यह दीवार पर प्रयोग करने हेतु तैयार है। जिसे ट्रावल नामक टूल से दीवार पर लगते हैं। इस टूल की मदद से इसे समान रूप से फैला देते हैं अर्थात् इसको दीवार पर प्लास्टर जैसे लगा देते हैं, जो 48 घंटे बाद सूखकर बहुत मजबूत हो जाता है। यदि इसे छूटाना हो तो पानी द्वारा गीला करने पर आसानी से छूट भी जाता है।

इसकी आधा किलो मात्रा लगभग 25 स्क्वायर फीट क्षेत्रफल कवर करती है। इस वॉल टेक्सचर के लगभग 200 से ज्यादा कलर शेड उपलब्ध है। यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनका मोबाइल नंबर 8920816179 है। तो दोस्तों आज आपने जाना किस प्रकार वेस्ट मैटेरियल्स का प्रयोग कर ईंटे और वॉल प्लास्ट टेक्सचर बनाए जा सकते हैं। ऐसी ही अन्य शानदार जानकारी के लिए जुड़े रहें "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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