शकरकंद की खेती से मुनाफा कमा रहे किसान

17 Dec 2020 | others
शकरकंद की खेती से मुनाफा कमा रहे किसान

शकरकंद की खेती वैसे तो पूरे भारत में की जाती है लेकिन ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र में इसकी खेती सब से अधिक होती है। शकरकंद की खेती में भारत दुनिया में छठे स्थान पर आता है। बाराबंकी जिले में भी शकरकंद भारी मात्रा में उगाई जाती है।
लखनऊ मुख्यालय से 75 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित बाराबंकी जिले के शिवराजपुर गाँव के किसान शकरकन्द की खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं। उन्हें इस खेती से काफी फायदा हो रहा है। शिवराजपुर गाँव के पारस सिंह (42 वर्ष) बताते हैं, 'शकरकन्द की खेती काफी सरल है। इस खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है।' पारस आगे बताते हैं, 'मैंने अपने दो बीघे के खेत में शकरकन्द बोई थी जिससे मुझे अच्छा फायदा हुआ है। मैंने जुलाई माह में शकरकन्द की बेलों के छोटे-छोटे टुकड़े करके बुवाई कर दी थी। उसके तीन से चार दिन बाद सिंचाई कर दी थी। उसके बाद आवश्यकतानुसार उसमें खाद डाली व समय- समय पर पानी देता रहा। करीब छह महीने के बाद फसल तैयार हो गयी।'
हैदरगढ़ गाँव के किसान जोगिन्दर सिंह (35 वर्ष) बताते हैं, 'मैंने अपने एक बीघे खेत में शकरकन्द की खेती की थी जिससे मुझे बढ़िया फायदा हुआ।' बाराबंकी कृषि विभाग के खण्ड तकनीकी प्रबंधक सुशील कुमार अग्निहोत्री बताते हैं, 'शकरकंद की कई प्रजातियां होती हैं। पूसा सफ़ेद, पूसा लाल, एस10 -10 ओ पी -1 काल मेघ आदि। इसकी खेती के लिए दोमट व रेतीली मिट्टी होनी चाहिए। इसकी बुवाई से पहले 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद डालनी चाहिए। बुवाई के लिए छह से सात कुंतल प्रति हेक्टेयर पौध रोपड़ या बेलों के 40-70 हज़ार टुकड़े करके बुवाई करनी चाहिए। बुवाई के बाद उर्वरक का प्रयोग करते हैं फिर बुवाई के चार से पांच दिन बाद सिंचाई करते हैं। इसके बाद हर 15 दिनों पर सिंचाई करते रहना चाहिए। बाराबंकी जिले में इसकी पैदावार 150 से 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है।'


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