सफेदा/ चिनार/ सागौन जानिए किससे बनेंगे अमीर !!


अगर सबसे पहले बात करें सफेदा कि तो यह काफी फायदेमंद है । सफेदा को नीलगीरि भी कहा जाता है । इस पेड़ की खास बात यह है कि इसमें छंटाई करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसका पेड़ सिधा बड़ा होता है । और इसकी डाल की लकड़ी अपने आप ही सुख जाती है और इसमें 8 – 9 साल तक छंटाई करने की कोई जरूरत नहीं होती है।इससे आपके पैसों की बचत होगी । इसकी छाया कम होती है जिससे आस पास के वृक्षारोपण पर भी प्रभाव नहीं पड़ता है ।
यह पेड़ 8 – 9 साल में कटने के लिए तैयार होता है । अगर आप को इससे कम समय में कटना हो, तो फिर आप इस पेड़ को 4 – 5 साल बाद भी काट सकते हैं । चिनार के पेड़ में सबसे बड़ी बाधा है कि इस की कीमत बहुत कम होती है । इसके रेट बहुत ऊपर नीचे होते है, यह 3 साल पहले 2 रुपये किलो में भी बेचा गया है।
दूसरी यह कि इसकी छाया कि वजह से जो आस पास वृक्षारोपण है, वह प्रभावित होती है । और इसके पत्ते कभी भी खाद नहीं बन पाते है क्योंकि वह पत्ते बहुत दिनों में गलते है जिससे आस पास का वृक्षारोपण रुक जाता है ।
सागौन को बड़ा होने में काफी समय लगता है । उससे सही तरीके से बड़ा होने में कम से कम 20 – 25 साल लग जाते हैं ।
सभी की तुलना में नीलगिरी और चिनार की छाया किसी भी वृक्षारोपण को प्रभावित नहीं करती है। लेकिन चिनार की छाया आस पास के वृक्षारोपण को प्रभावित करती है ।
सफेदा और चिनार 8 से 9 साल में बड़े हो जाते हैं जहां सागौन को बढ़ने में 20 से 25 साल लगते हैं । इसकी बिक्री 2 रुपये प्रति किलो है । वही सफेदा का रेट थोड़ा स्थिर रहता है।सफेद सरकार द्वारा प्रतिबंधित है क्योंकि यह अन्य पेड़ों की तुलना में अधिक पानी की खपत करता है।
सफेदा सीमा पर वृक्षारोपण के लिए सबसे अच्छा और फायदेमंद है।
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