सरकार ने कहा की वो मिलों को मजबूर करेगी चीनी निर्यात करने के लिए

17 Mar 2018 | Sugarcane
सरकार ने कहा की वो मिलों को मजबूर करेगी चीनी निर्यात करने के लिए


संभावना है की देश 2017-18 के सत्र में चीनी का रिकार्ड 29.5 मिलियन टन उत्पादन करेगा। जो कि पिछले वर्ष से 45% अधिक है । पिछले छह महीनों में स्थानीय कीमतों में 15% से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी है ।


इस निर्णय में शामिल तीन सरकारी अधिकारियों ने कहा सरकार पहले चीनी निर्यात पर से 20% का कर हटाएगी और फिर मिलों को यह निर्देश देगी की वह 2-4 मिलियन टन चीनी का निर्यात करे ताकि देश से बाहर जाने वाली सप्लाई की भरपाई की जा सके।


भारत में, संघीय सरकार चीनी की कीमतों को लागु करती हैं , जिसे चीनी मिलों को हर साल गन्ना किसानों को भुगतान करना पड़ता है।


मिलें शिकायत करती हैं कि स्थानीय कीमतों में तेजी से गिरावट से उनका मुनाफे कम हो जाता है और समय पर गन्ना उत्पादकों को भुगतान करना मुश्किल हो जाता है। गन्ने का बकाए जमा होने पर किसान अजीब स्थिति में आ जाता है, और गन्ना उत्पादकों के बीच गुस्सा बढ़ जाता हैं इसलिए सरकार को कुछ ऐसे कदम उठाने की जरुरत हैं जिससे मिलो को कुछ लाभ प्राप्त हो सके।


सरकार ने इस महीने संसद को बताया की चीनी मिलों ने वर्तमान में किसानों को करीब 14,000 करोड़ रुपये दिए हैं क्योंकि चीनी की कीमतों में कमी की वजह से अस्थिरता आई है ।


वर्तमान में वैश्विक चीनी की कीमतें निर्यात के लिए काफी आकर्षक नहीं हैं, इसलिए मिलों को अपने अतिरिक्त स्टॉक को नुकसान में बेचनी पड़ सकती है । सूत्रों ने कहा सरकार मिलों की मदद करेगी जिससे घरेलू दरों में वृद्धि होगी। थाईलैंड जो ब्राजील के बाद चीनी का दुनिया मैं दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक हैं , वह 2017-18 सीजन में 12-13 मिलियन टन का रिकॉर्ड निर्यातक करेगा।


एक सरकारी अधिकारी ने कहा यदि वैश्विक बाजार भारतीय निर्यातकों के लिए अच्छा नहीं होगा , तो सरकार विश्व बाजार पर मिलों को चीनी बेचने के लिए प्रोत्साहन भी दे सकती है। सरकार चीनी की बिक्री पर कर लागू कर सकती है और इस फंड का इस्तेमाल कर सकती है जिससे निर्यात के लिए प्रोत्साहन दिया जा सके।

Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About