सीलिंग फैन बनाने का शानदार प्लांट


इस इंजीनियर भाई ने लगा रखा है कमाल का सेटअप, दिनभर में बनकर तैयार होते हैं अनेकों मॉडल के पंखे। सभी काम ऑटोमेटिक मशीनों द्वारा होता है। इस हाईटेक सीलिंग प्लांट में प्रतिदिन सैकड़ो भिन्न प्रकार के फैन बनते है, जिनमें मोटर मैन्युफैक्चरिंग से लेकर ब्लेड बनाने, पॉलिशिंग करने और पैकिंग स्टीकर लगाने तक का कार्य होता है। आये जानते हैं आकाश जैन से वह किस प्रकार इस बेहतरीन उद्योग को कुशलता पूर्वक चला रहे हैं।

वाइंडिंग करने की प्रक्रिया:
सीलिंग फैन का सबसे प्रमुख हिस्सा जिसे मोटर भी कहते हैं। इसके लिए एक आर्मेचर पर कॉपर या एल्युमिनियम की वाइंडिंग की जाती है। यह कार्य ऑटोमेटिक CNC मशीन के द्वारा बड़ी ही आसानी से हो जाता है, जो स्टेटर लगाने पर स्वत: ही उसपर वायर वाइंड करना शुरू कर देती है। इसके बाद स्टेटर एक मशीन पर चेक होने के लिए जाते हैं। साथ ही इसकी सॉफ्ट पर कंपनी का नाम, मॉडल और मैन्युफैक्चरिंग डेट की मोहर लगा देते हैं। स्टेटर को राउंडली घिसकर मशीन पर चेक किया जाता है, की सरफेस ठीक है या नहीं। मोटर का एक पार्ट और होता है जिसे राउटर कहा जाता है, यह पूरा ठोस अल्युमिनियम से बना होता है। जो स्टेटर के साथ चारों तरफ रोटेट होता है और इलेक्ट्रिसिटी बनाने में सहायक है।

फैन बनने के अन्य महत्वपूर्ण प्रोसेस:
राउटर और स्टेटर को एक साथ फिट करने के बाद इसे फैन के कवर में फिट कर देते हैं तथा सरफेस प्लेन करने के लिए एक बार इसकी बफिंग भी की जाती हैं। इससे पहले फैन के आगे-पीछे वाले दोनों कवर पर रंग किया जाता है। कलर करने के बाद इसे ओवन में पकाने के लिए रख देते है। इसके बॉटम पार्ट में फाइन क्वालिटी का डबल बॉन्ड बेयरिंग लगाया जाता है, जिससे फैन के अंदर किसी प्रकार की आवाज नहीं आती और वह स्मूथली रोटेट करता है। 2.25 एमएफडी का हैवी कैपेसिटर इसमें इस्तेमाल किया जाता है। फैन को सुंदर बनाने के लिए हाथ से डेकोरेशन भी की जाती है। फैन कंप्लीट हो जाने पर इसको एक कन्वेयर लाइन पर लगा देते हैं, जहां फैन पूरे 20 मिनट तक चलता है। इसके बाद यह STR बॉक्स में आ जाता है, जहां पर इसकी हाई वोल्टेज चेक होती है। जो 1KV पर अल्युमिनियम की और 1.5KV पर कॉपर के लिए चेक करते हैं।

कलरिंग प्रोसेस:
अच्छे और सुंदर कलर के लिए इन्होंने प्रत्येक रंग का अलग-अलग रूट बना रखें है। जैसे एक रुट में पंखे की पंखुड़ियां को रंग कर स्प्रे द्वारा उन पर आइवरी या क्रीम कलर होता है, इनके पीछे डस्ट कलेक्टर लगे हुए हैं, जो उड़ने वाले एक्स्ट्रा पाउडर को सोख लेते हैं। स्प्रे करने के बाद इन सभी पंखुड़ियां को एक ओवन में निश्चित टेंपरेचर पर कुछ देर के लिए रख देते हैं जहां रंग हीट होकर फिनिशिंग के साथ पक जाता है। यदि किसी ब्लेड में कोई डेंट वगैरा रह जाता है तो उसे निकालकर दोबारा स्प्रे किया जाता है। मशीन द्वारा प्रत्येक ब्लेड का एंगल और बैलेंसिंग चेक की जाती है और उस पर मोटर में फिट करने हेतु होल भी करते हैं। बराबर वेट के अनुसार ब्लेडों को इकट्ठा कर पैक कर दिया जाता है।

पैकिंग:
इस प्रकार पूर्ण रूप से फैन बन जाने के बाद, क्वालिटी चेक करने के लिए रैंडमली कुछ फैन को चेक करने हेतु चलते हैं और एक लेजर मीटर द्वारा स्पीड चेक की जाती है। इसके बाद फैन की पॉलिशिंग, पॉलिथीन और थर्माकोल में पैकिंग कर बॉक्स में रख देते हैं। जिनकी टेपिंग भी मशीन द्वारा ऑटोमेटेकली हो जाती है, और बॉक्स पर मॉडल, कलर, साइज, क्वांटिटी आदि डिटेल का लेबेल लगा देते हैं। अब यह शानदार प्रोडक्ट मार्केट में सप्लाई करने हेतु एकदम तैयार है।

तो दोस्तों! आज आपने जाना सीलिंग फैन की मैन्युफैक्चरिंग के बारे में, यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनका मोबाइल नंबर 8920858087 पर बात कर सकता है। इसी प्रकार अन्य रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे थे अमेजिंग भारत के साथ। धन्यवाद॥
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