सुरक्षा एवं वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध 500 साल पुराना किला


भारत के शक्तिशाली इतिहास को संजोय हुए यह किला प्रत्येक भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा कर देता है। 11वीं सदी से लेकर 20वीं सदी तक अजेय रहा यह किला सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण वास्तुकला संदर्भित करता है। जिसकी स्टडी कर वर्तमान की सिविल इंजीनियर और वास्तुकार सीखते हैं। इस किले के चारों तरफ पहाड़ है और पहाड़ों के ऊपर भी लंबी चौड़ी मजबूत दीवारें बनाई गई थी। अपने आप में आत्मनिर्भर यह किला राजस्थान जैसे सुखे क्षेत्र में और इतनी ऊंचाई पर भी जल को संरक्षित कर अद्भुत मिशाल कायम किए हुए हैं। आये विस्तार पूर्वक जानते हैं इस किले के बारे में।

किले का परिचय:
ऐतिहासिक धरोहरों को देखने और उनके बारे में जानने वाले लोगों के लिए शीर्ष पर रहा, जयपुर शहर की सीमा आमेर में स्थित यह किला 'जयगढ़' के नाम से प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने 1726 में आमेर किले की सुरक्षा के लिए करवाया था, जिसे आज भी सबसे मजबूत किला कहा जाता है। अपने गुणों और टेक्नोलॉजी के कारण किसी की भी इस पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं हुई, इसलिए इसे कभी किसी बड़े हमले का सामना नहीं करना पड़ा। विद्याधर नामक एक प्रतिभाशाली वास्तुकार द्वारा निर्मित और डिजाइन किया गया यह किला अनेकों भूमिगत मार्गों से भी लैस है। किले में रखी हुई विश्व की सबसे बड़ी तोप भी आकर्षण का केंद्र बनती है।

किले की सुरक्षा प्रणाली:
विजय किले के नाम से मशहूर जयगढ़ किला एक विशाल पर्वतीय रेंज में फैला हुआ है तथा पहाड़ों पर भी चारों तरफ बलवा पत्थरों की मोटी दीवारें, 27 फीट ऊंची तथा 9 फीट चौड़ी है एवं किले को घेरकर उसकी सुरक्षा करती है। किले का निर्माण अधिक ऊंचाई पर होने के कारण दूर से ही शत्रु सेना दिख जाती थी और ऊंचाई पर रहकर अस्त्र-शस्त्र चलाने में भी आसानी होती थी। इस किले से पूरा जयपुर शहर का सुंदर नजारा आसानी से दिख जाता। किले में कुछ मीटर दीवार तथा फिर एक बुर्ज का निर्माण जैसी श्रृंखला बनी हुई थी। किले में ऊपर की तरफ दीवारों में इंजीनियरिंग दिखाते हुए विशेष प्रकार के रोशनदान बने हैं, जो बाहर की तरफ से संकीर्ण तथा अंदर से चौड़े हैं। इनके माध्यम से दूर से ही संदिग्ध चीज़ें दिख जाती थी तथा गोला बारूद भी चलाया जा सकता था।

महल में पेट्रोलिंग हेतु रास्ता:
विशेष सुरक्षा सुविधाओं से युक्त महल में 5 फीट रास्ता रैम्प की शेप में सभी जगह बना है, जिन पर घोड़ों द्वारा सैनिक गस्त करते रहते थे। अर्थात् किले के चारों तरफ इन 8 फीट चौड़ी तथा मजबूत दीवारों पर घोड़ों द्वारा ही पेट्रोलिंग की जाती थी।
खाद्यान्न भंडारण स्थल:
साथ ही किले की सुरक्षा और ज़रूरी सामग्री को स्टोर करने के लिए महल में बड़े-बड़े गोदाम बना रखे हैं, जिनमें कई वर्षों का अनाज तथा खाद्य पदार्थ भंडारित कर सकते थे। और यह किले के चारों तरफ बने हैं, ताकि जिस हिस्से में खाद्यान्न की जरूरत हो वहां से ले सके।

किले की जल सुरक्षा प्रणाली:
इतने पुराने समय में भी यहां के वास्तुकार और सम्राट ने जल को विशेष महत्व दिया है तथा अनोखे प्रकार का जल संरक्षण करने हेतु सिस्टम डेवलप किया। जिसमें महल के चारों तरफ तथा बीच में काफी बड़ी नहर का निर्माण किया हुआ है जिससे पूरे महल का जल एक जगह इकट्ठा होकर आता और बड़े-बड़े टैंकों में गुणवत्ता के हिसाब से स्टोर कर लेते थे तथा जिसको विशेष विधि द्वारा शोधित भी किया जाता था। इस प्रकार इसमें स्टोर किया हुआ पानी यहां की आवाम के लिए कई सालों तक पर्याप्त रहता।

दोस्तों इस प्रकार प्राचीन भारतीय समृद्धता को दर्शाता यह किला प्रत्येक भारतीय को गौरवान्वित महसूस कराता है तथा इसे देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते हैं। आपको कैसी लगी यह जानकारी हमें कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक किस्सों के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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