सूखे से जूझता गाँव मे बना दिया जंगल


आज से करीब छह साल पहले, महाराष्ट्र के लातूर जिले में भयानक सूखा पड़ा था। उद्गीर के हालात तो और भी ज्यादा ख़राब थे। वहां कई दिनों तक पानी नहीं आया। हालात इस कदर बिगड़े कि वहां टैंकरों से पानी की सप्लाई की गई। यह देखकर उद्गीर की अदिति पाटिल बेहद दुखी हुईं और उन्होंने सीडबॉल के ज़रिए अपने जिले को हरा-भरा बनाने का संकल्प लिया।

उन्होंने पर्यावरण के लिए काम करने वाले लोगों के साथ मिलकर लातूर को सूखे से बचाने के लिए उद्गीर में साल 2018 में ‘कारवां फाउंडेशन’ की स्थापना की। वह बताती हैं, “मराठवाड़ा का यह जिला प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील है। हमने पाया कि यहां फॉरेस्ट कवर केवल एक फीसदी रह गया है।”
कहां से आया आइडिया:
प्राकृतिक संसाधनों का ठीक से प्रबंधन न होना, लातूर की बड़ी समस्या बनकर उभरा। अदिति ने बताया, “हमें हरियाली को बचाना था, ताकि पानी का संकट दूर हो सके। यहां की समस्याओं से निपटने के लिए एक ऐसे समाधान की ज़रूरत थी, जो आर्थिक रूप से बोझ भी न बने और यहां के ईको सिस्टम को भी बचाए रखे।”
वह आगे कहती हैं, “हमने अक्सर मानसूनी सीजन में लोगों को पौधरोपण अभियान चलाते देखा था। हम भी ऐसा अभियान चला सकते थे। लेकिन यह बेहद महंगा पड़ने वाला सौदा था। दूसरे बड़े लेवल पर इसे अंजाम देने के लिए हमें स्टेट मशीनरी की हेल्प की ज़रूरत पड़ती, जो कि बहुत आसान नहीं था। ऐसे में सीडबॉल का विकल्प हमारे सामने आया। हमने इस बारे में पहले पढ़ा भी था। हमें यह हरियाली बचाने और बढ़ाने का एक सुरक्षित व सस्ता उपाय लगा।
अदिति बताती हैं कि सीडबॉल, जापानी वैज्ञानिक मासानोबू फुकुओका की दी गई एक जापानी तकनीक है। इसमें सब्जियों और फलों के बीजों को इकट्ठा करके मिट्टी की एक बॉल बनाई जाती है। इसके बाद, इस ऑर्गेनिक बॉल को संबंधित इलाके में फेंक दिया जाता है।
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