सैकड़ों साल पुराने तिलस्मी उपकरण


जैसे-जैसे ज्ञान का विकास हुआ, वैसे-वैसे मनुष्य विकसित होता चला गया। वर्तमान में आसानी से हो जाने वाले कार्य सैकड़ों वर्ष पहले बड़ी मस्क़त से इन उपकरणों के माध्यम से संपन्न होते थे। जो आज वर्तमान में धरोहर बन गये है। इनमें मुख्य रूप से अद्भुत गैस-स्टोव, रोशनी के लिए लैंप-लाइटें, धातु पिघलाने के लिए बर्नर और विभिन्न प्रकार की बड़ी-बड़ी घड़ियां हैं। सभी अपने आप में एकदम एंटीक और दिखने में बहुत खूबसूरत है। जो घरों में इंटीरियर डिजाइनिंग हेतु आकर्षण का केंद्र बनी है। इनको और अधिक सुंदर दिखाने के लिए इन पर विभिन्न प्रकार की पॉलिशिंग भी की हुई है, जो एकदम शाही लुक देती है। आये जानते हैं इन भाईसाहब से इनके म्यूजियम में संग्रहित सभी उपकरणों की महत्ता को-
जर्मनी का अद्भुत स्टोव:
एक ऐसा शानदार गैस स्टोव जो एक सूटकेस अटैची जैसे बॉक्स के समान है। इसको खोलने पर इसमें स्टोव, बर्नर रखा है तथा ऊपर की तरफ बर्तन रखने हेतु दो पट्टियां लगी हुई है। इस 100 साल पुराने गैस स्टोव में पंप द्वारा प्रेशर देते थे, जिससे गैस सुगमता से जलती थी।

स्वीडन से आयातित बर्नर:
शाइनिंग के साथ चमकता यह हैवी बर्नर स्वीडन से आयात किया गया है। जिसमें पंप द्वारा प्रेशर उत्पन्न कर आगे की तरफ आग निकलती थी। यह लौ इतनी तीव्रता के साथ उत्पन्न होती थी कि इसका प्रयोग लोहे, सोना,चांदी आदि धातुओं को पिघलाने के लिए किया जाता था। इसमें आग को कम ज्यादा करने के लिए कंट्रोलर भी दिया गया है। इसके प्रेशर से ही वेल्डिंग का कार्य भी किया जाता था।

70-80 साल पुराने अखबार:
इन्होंने अपने इस म्यूजियम में सैकड़ों वर्ष पुराने अखबारों को भी संजोए रखा है, जिनमें जून 1983 में भारत द्वारा वर्ल्ड कप जीतने की खबर है। जिसको पढ़कर हर भारतीय गर्व से फूल जाता है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया 1937 का यह अखबार ऐतिहासिक खबरों से भरा पड़ा है। जुलाई 1969 का मराठी अखबार, चांद पर मनुष्य के पहली बार कदम पडने की याद को संजोय हुए हैं। जून 1953 का अमृत बाजार पत्रिका जो आज एबीपी न्यूज़ के नाम से प्रचलित है, जो 1880 के दशक से चल रहा था।

घड़ियों का कलेक्शन:
विभिन्न प्रकार की धातुओं से बनी घड़ियां भी इनके पास उपलब्ध है, जिनको चाबी के माध्यम से चलाया जाता था। कमाल की बात यह है कि यह घड़ियां हाथ में नहीं, बल्कि कोट या गले में पहनी जाती थी। अद्भुत मेकैनिज्म से चलायमान यह घड़ी बड़ी ही शानदार है। इनमें एक घड़ी रेलवे स्टेशन पर प्रयोग होने वाली भी है, जो प्रत्येक घंटे बड़ी ही तेज ध्वनि के साथ बजती थी।

एंटीक लालटेन:
दुनिया का सबसे छोटा मात्र 6 इंच का लालटेन देखने में बेहद ही खूबसूरत है, जो तेल डालने पर आज भी चलता है। इसी के साथ सबसे बड़ा लालटेन एक फिट का भी मौजूद है जो तीव्र ज्योति के साथ जलता हैं।

तो दोस्तों आपने जाना इनके इस म्यूजियम में संग्रहित ऐसे-ऐसे उपकरणों के बारे में जिन से आज की पीढ़ी अनभिज्ञ है। यह म्यूजियम श्याम-मोते स्ट्रीट, पुणे-महाराष्ट्र में स्थित है। ऐसी ही शानदार जानकारी के लिए जुड़े रहें "द अमेजिंग भारत" के साथ धन्यवाद।
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