हमेशा चलने वाला उद्योग, चप्पल बनाने की फैक्ट्री


एक ऐसी शानदार फैक्ट्री जो दिन भर में ना जाने कितने डिजाइनदार प्रोडक्ट बनाकर चमत्कार कर रही है। बहुत ही कम उम्र के आशीष जी कर रहे हैं इस कमाल की फैक्ट्री का संचालन, जिसमें दिन भर में हजारों पीस बनकर तैयार हो जाते हैं। यह एक ऐसा उद्योग है जिसके उत्पाद की डिमांड हमेशा बनी रहती है, और वह है चप्पल बनाने की फैक्ट्री। इसमें करीब आधा दर्जन भिन्न-भिन्न पाउडर को आपस में मिक्स करके बनते है ये अनोखा प्रोडक्ट। सभी कार्य मशीनों द्वारा बहुत ही सरलता से किया जाता है। आये जानते हैं आशीष जी से वह किस प्रकार इस फैक्ट्री का संचालन कर ऐसा बेहतरीन प्रोडक्ट बना रहे हैं।
चप्पल बनाने की विधि:
रॉ मटेरियल के रूप में रबर,सिलिका, बीएन, पॉलीमर, सिंथेटिक फाइबर आदि को एक मशीन में डालकर मिक्स कर दिया जाता है, जिसमें ये सभी पदार्थ पिघलकर एक लंबी, सतत रबड़ की सीट के रूप में बाहर आ जाते है। फिर इन्हें बराबर सीट के आकार में काट कर एक प्रेस में 10 से 15 मिनट के लिए रख दिया जाता है, जिसका अंदर का तापमान लगभग 100 डिग्री सेंटीग्रेड होता है। इस मशीन में से सीट बड़ी तथा पूर्ण रूप से जमकर बाहर निकलती है, जो बहुत मजबूत लचीली तथा एकदम फ्रेश होती है। इस प्रकार किसी भी डिजाइन या रंग की शीटें बना सकते हैं। सीट तैयार हो जाने के बाद इन्हें कटिंग डिपार्टमेंट में ले जाया जाता है। जहां पर कटिंग मशीन में अलग-अलग साइज की डाई लगी होती है। मांग अनुसार चप्पल के साइज की डाई मशीन में लगाकर, नीचे पैर से पेंडल दबाते हैं और ऊपर से चप्पल के आकार का कटर सीट पर आकर धम्म से गिरता है और सीट से चप्पल कट कर अलग हो जाती है। जिनकी फिनिशिंग हेतु रोलिंग मशीन द्वारा घिसाई कर शॉल में सफाई लायी जाती है।
चप्पल के आकार का शॉल कट हो जाने के बाद, उन्हें ड्रिलिंग के लिए अलग मशीन पर ले जाया जाता है, जहां पर एक ड्रिल मशीन द्वारा शॉल में छेद होता हैं। उसके बाद इन्हें प्रिंटिंग मशीन पर ले जाते है, वहां अलग-अलग सुंदर डिजाइन के प्रिंट चप्पलों के शॉल पर कर दिए जाते हैं। इसी प्रकार एक दूसरी मशीन के अंदर पीवीसी दाना डालकर बद्दियां भी तैयार होती है, जिन्हें किए हुए छेद में शुम्भी वाली मशीन की मदद से सॉल में डालकर चप्पल तैयार कर दी जाती है। लास्ट में चप्पलों की पानी से भरे टैंक में धुलाई करते हैं। इसके बाद क्वालिटी चेक करके अलग-अलग साइज की चप्पलों की जोड़ी बनाकर। इनकी पैकिंग कर बाजार में बेचने हेतु सप्लाई कर दिया जाता है।
चप्पलों की क्वालिटी रॉ मैटेरियल पर निर्भर करती है, जितने अच्छे पीवीसी केमिकल पाउडर होंगे, उतनी अच्छी रबड़ की सीट बन कर तैयार होगी। तो दोस्तों अपने जाना इस शानदार चप्पलों की फैक्ट्री के बारे में जिसमें दिन में लगभग 10 से 15 हज़ार, अलग-अलग प्रकार तथा डिजाइन की चप्पल बनकर तैयार हो जाती है। यदि कोई भाई इनसे संपर्क कर अन्य जानकारी लेना चाहे तो इनका पता: नरेला इंडस्ट्रियल एरिया, दिल्ली तथा मोबाइल नंबर 8076156229 हैं।
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