हारमोनियम का जादूगर, पुर्जे-पुर्जे का ज्ञान


भारत में टैलेंट की कमी नहीं है। हाथों से तो हारमोनियम सभी बजाते हैं, लेकिन मुंह से बजाकर भी ऐसी लाजवाब धुन निकाल दें, संभव नहीं लगता। परंतु यह साबित कर दिखाया है पचासों साल से हारमोनियम पर कार्य कर रहे ऐसी महान आत्मा ने, जो इसके एक-एक पुर्जे से वाकिफ है। हारमोनियम सुर की जान होता है। सबसे पहले इसके द्वारा ही, किसी गीत को सुर में बांधा जाता है तथा इसके संगीत के माध्यम से ही संगीतकार रियाज कर अपने गले को साधते है। इस अद्भुत संगीत यंत्र के इंजीनियर राजस्थान के ये बाबाजी हारमोनियम को खोलकर सेंकड़ों में जोड़ देते हैं, वे अपने इस कार्य में बहुत पारंगत है। किसी भी रीड की आवाज सुनकर बता देते हैं, की यह हारमोनियम में कौन से स्थान पर फिट होगी। आये जानते हैं ऐसे कमाल के व्यक्तित्व के बारे में, वे किस प्रकार इस महान कार्य को करते हैं -
हारमोनियम का मेकैनिज्म:
आमतौर पर हारमोनियम में 32 या 39 कुंजियां होती है, जिनमें 23 सफेद और 16 काली कुंजी है। इसके अलावा हारमोनियम में तीन सप्तक होते हैं, जिन्हें हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में मंद्र सप्तक, मध्य सप्तक और तार सप्तक कहते हैं। इन भिन्न कुंजियाओं को दबाने से अलग-अलग सुर की ध्वनियां निकलती है। इसके अंदर विभिन्न प्रकार की रीड लगी होती हैं, जिनमें बाहर से धोकनी द्वारा हवा दी जाती है। हारमोनियम में हाथ से चलने वाले पटल को धोकनी कहते हैं, जिससे अंदर की तरफ वायु प्रवाह किया जाता है। अर्थात ढोकनी दबाने पर वायु अंदर आती है और सारे में फैल जाती है, जिससे वायु अंदर रीड से टकराती है और ध्वनि उत्पन्न होती है। यह सभी रीड देखने में एक जैसी लगती है, परंतु सब की ध्वनियां सुर के हिसाब से अलग-अलग होती है। जिन्हें एक तजुर्बेकार व्यक्ति ही आसानी से पहचान सकता है। यह बाबा जी रीड में मुंह से वायु प्रवाहित कर बहुत मधुर संगीत निकलते हैं। रीड को धुन के अनुसार घिसकर एडजस्ट करते हैं तथा रीड के द्वारा नई-नई धुनों को इजात किया जाता हैं। कौन सी रीड कहां फिट होनी है, ये उसकी आवाज सुनकर ही जांच लेते हैं। ध्वनि की गुणवत्ता के अनुसार हारमोनियम में रीड की तीन लेयर अथवा दो लेयर भी हो सकती है। एक हारमोनियम के अंदर आमतौर पर 9 स्टॉपर लगे रहते हैं, जो धोकनी द्वारा आने वाली वायु को रोकते हैं, जिससे धुन बदल जाती है। जिस स्टॉपर को बंद कर देते हैं, उससे संबंधित रीड में हवा नहीं जाती। इस प्रकार हारमोनियम में नियंत्रित वायु प्रवाहित कर अलग-अलग ट्यूनिंग जनरेट की जाती है।

उनकी पांच पीढ़ियां इस कार्य को करते आ रही है तथा बाबूलाल जी भी अपने जीवन काल में लाखों हारमोनियम सुधार तथा बना चुके हैं। बाबूलाल एंड सन्स के नाम से उनकी यह दुकान बाबा हरिशचंद्र मार्ग,जयपुर, राजस्थान में है। ऐसे ही कमाल और रोचकता से भरी जानकारी जानने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ। धन्यवाद॥
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