1000 रू महीना लेने वाला माली फूलों की खेती से ऐसे बना करोड़ों का मालिक


इंसान अगर चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकता,ऐसे ही आज हम आपको बताएंगे की किस तरह एक माली बना करोड़ पती जी हाँ,40 वर्षीय बोलापल्ली श्रीकांत का जीवन पूरी तरह से खिले फूलों की तरह है। श्रीकांत जिन्होंने सोलह साल की उम्र में एक फूलों की फार्म में 1000 रूपये महीने की पगार में नौकरी करते थे, आज भारत में फूलों की खेती करने वालों की सूची में उन्होंने एक खास जगह बनाई है। इस खेल के वह माहिर खिलाड़ी बन गए हैं। आपको यकीन नहीं होगा आज उनका वार्षिक टर्न-ओवर करोड़ो का है।
पढाई भी नहीं हो पाई पूरी:-
दसवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़कर, श्रीकांत तेलंगाना के निज़ामाबाद जिले में अपने गृहनगर से नालमंगला, जो बंगलुरू के बाहरी इलाके में स्थित है, एक परिचित के फूलों के फार्म में काम करने आ गए थे। उनका परिवार खेती पर निर्भर था और पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ था। तब उन्होंने यह तय किया कि वह पढ़ाई छोड़ देंगे और नौकरी करेंगे
नालमंगला के फार्म में वह अठारह से बीस घंटे काम करते थे। दो साल तक काम करते हुए उन्होंने फूलों की खेती के बिज़नेस के बारे में पूरा ज्ञान हासिल कर लिया। कल्टीवेशन, हार्ववेस्टिंग, मार्केटिंग और उन्हें निर्यात करना सब में श्रीकांत ने महारथ हासिल कर ली।
जब वह 18 वर्ष के हुए तब उन्होंने 20,000 रुपयों से अपने फूलों के रिटेल का बिज़नेस शुरू किया। शुरुआत में उनके पिता उनके इस काम के लिए अनिच्छुक थे क्योंकि वह चाहते थे कि वह अपने घर की खेती में उनकी मदद करे। लेकिन श्रीकांत ने अपने मन की आवाज़ सुनी और अपनी योजना के साथ आगे बढ़े।
1000 रुपये महीना सैलरी पर करते थे माली की नौकरी:-
22 साल पहले, तेलंगाना के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाले बोलापल्ली श्रीकांत का सपना था कि वह अपनी जमीन पर खेती करें। मगर गरीबी की वजह से घर-परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह जमीन खरीद सकें। हालात बिगड़ने पर श्रीकांत को अपना शहर निजामाबाद छोड़ना पड़ा और वह वर्ष 1995 में बेंगलुरु अपना करियर बनाने के लिए आ गये। उस समय डोड्डाबल्लापुरा क्षेत्र के पास श्रीकांत को फूलों की खेती से जुड़ी एक कंपनी में नवस्थापित ग्रीन हाउस परियोजना में बतौर पर्यवेक्षक के रूप में काम मिला। उस समय श्रीकांत की सैलरी 1000 रुपये महीना थी।
निष्कर्ष:- यदि इंसान मेहनत करता है तो एक न एक दिन सफल भी जरूर होता है। इसी कहावत को सच कर दिखाया है तेलंगाना के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखने वाले बोलापल्ली श्रीकांत जी ने,1000 रु प्रति माह की नौकरी से लेके आज फूल बाजार की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा बन चुके हैं।
Comment
Also Read

ट्रैक्टर पर सिर्फ 5
edhgmn,mngdfd

ग्लूटेन-फ्री आहार: किसके लिए ज़रूरी और क्यों?
ग्लूटेन-फ्री आहार (Gluten-Free Die

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

व्रत और उपवास में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ और उनका महत्व
भारत में व्रत और उपवास धार्मिक एवं

इंटरमिटेंट फास्टिंग का विज्ञान, लाभ और सावधानियाँ
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent
Related Posts
Short Details About