एक अनोखी फैक्ट्री: जहां हर 28 घंटे में बनती हैं 17,000 टाइल्स



भारत और दुनिया भर में घरों, ऑफिसों, होटलों और बड़े प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स किस तरह बनती हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि यह खूबसूरत और मजबूत टाइल्स एक फैक्ट्री में कैसे तैयार की जाती हैं? आज हम आपको एक ऐसी अत्याधुनिक फैक्ट्री के अंदर लेकर चलेंगे, जहां हर 28 घंटे में 17,000 टाइल्स तैयार की जाती हैं। यह पूरी प्रक्रिया ऑटोमेटिक मशीनों के जरिए होती है

1. कच्चे माल की तैयारी
टाइल्स बनाने के लिए कुछ प्रमुख कच्चे माल की जरूरत होती है, जिनमें मिटटी और पाउडर शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को सही अनुपात में मिलाया जाता है ताकि टाइल्स की मजबूती और गुणवत्ता बनी रहे।

नीलेश भाई इस गोदाम में मटेरियल को तय किए गए मानकों के अनुसार मिक्स कर मशीन में डालते हैं। इसके बाद यह मिश्रण कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से बॉल मिल तक पहुंचता है। इस दौरान रास्ते में एक मैग्नेट लगाया गया होता है, जिससे कोई भी बड़ा लोहा का टुकड़ा उसमें चिपक जाता है और टाइल्स के मटेरियल में नहीं जाता।
2. सामग्री का ग्राइंडिंग और स्लरी में बदलना
अब यह मिश्रण बॉल मिल में जाता है, जहां एलुमिनियम बॉल्स की मदद से इसे बारीक पाउडर में बदला जाता है। यह प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इससे टाइल्स की फिनिशिंग और मजबूती तय होती है। इसके बाद इस पाउडर में पानी मिलाया जाता है, जिससे यह एक गाढ़े घोल (स्लरी) में बदल जाता है। यह मिश्रण पाइप के जरिए अनलोड होता है और इसे एक टैंक में डाल दिया जाता है। यहां इस स्लरी को 600 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सुखाया जाता है, जिससे पानी पूरी तरह से खत्म हो जाता है और यह पाउडर के रूप में वापस आ जाता है।

3. टाइल्स बनाने की प्रक्रिया
अब तैयार पाउडर को प्रेसिंग मशीन में डाला जाता है। इस मशीन में उच्च दबाव से इसे टाइल्स के आकार में ढाला जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटिक होती है, जिससे टाइल्स समान आकार और गुणवत्ता में तैयार होती हैं। इसके बाद टाइल्स को एक 5-लेयर ड्रायर में सुखाया जाता है। यह एक बहुत बड़ा ड्रायर होता है, जिसमें टाइल्स 4-4 के सेट में आगे बढ़ती हैं। इस दौरान, अगर कोई टाइल टूट जाती है, तो उसे अलग कर लिया जाता है और उसे फिर से पाउडर में बदलकर दोबारा उपयोग किया जाता है।

4. डिजिटल प्रिंटिंग और डिज़ाइनिंग
सुखाने के बाद, टाइल्स को डिजिटल प्रिंटिंग सेक्शन में भेजा जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से मशीनों द्वारा संचालित होती है। यहाँ पर टाइल्स पर आकर्षक डिज़ाइन प्रिंट किए जाते हैं, जो इन्हें शानदार लुक देते हैं। डिजिटल प्रिंटिंग से टाइल्स पर एक समान और टिकाऊ प्रिंट तैयार किया जाता है।

5. पॉलिशिंग और फिनिशिंग
- प्रिंटिंग के बाद टाइल्स कॉम्पोसिटेर सेक्शन में जाती हैं। यहाँ पर जरूरत के अनुसार टाइल्स को अलग किया जाता है और फिर पॉलिशिंग मशीन में ले जाया जाता है।
- यह प्रक्रिया भी पूरी तरह ऑटोमेटिक होती है। पहले टाइल्स पर रफ पॉलिशिंग होती है, फिर फाइनल फिनिशिंग पॉलिशिंग की जाती है, जिससे टाइल्स चमकदार और स्मूथ हो जाती हैं।

6. पैकिंग और डिलीवरी
पॉलिशिंग और फिनिशिंग के बाद, टाइल्स को गोदाम में रखा जाता है। हर दिन करीब 17,000 टाइल्स तैयार की जाती हैं। इन टाइल्स को बॉक्स में सावधानीपूर्वक पैक किया जाता है ताकि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान कोई नुकसान न हो।

इसके बाद, ये टाइल्स भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेज दी जाती हैं, जहां इनका इस्तेमाल घरों, होटलों, ऑफिसों और अन्य निर्माण परियोजनाओं में किया जाता है।
1000 से अधिक डिज़ाइन्स और वैरायटी
इस फैक्ट्री में 1000 से अधिक प्रकार की टाइल्स बनाई जाती हैं। इनमें कार्विंग डिज़ाइन, डिजिटल प्रिंटेड टाइल्स, मैट फिनिश, ग्लॉसी टाइल्स, और कई अन्य अनोखे डिज़ाइन शामिल हैं।
निष्कर्ष
यह फैक्ट्री आधुनिक तकनीकों और पूरी तरह से ऑटोमेटिक मशीनों से चलती है। यहां हर प्रक्रिया में बारीकी से काम किया जाता है, जिससे हर 28 घंटे में 17,000 टाइल्स बनकर तैयार होती हैं। यही वजह है कि यह फैक्ट्री भारत से लेकर दुनिया के हर कोने तक अपनी पहचान बना चुकी है। टाइल्स के निर्माण की यह प्रक्रिया दर्शाती है कि किस तरह विज्ञान, तकनीक और मेहनत मिलकर हमें बेहतरीन उत्पाद उपलब्ध कराते हैं, जो हमारे घरों और इमारतों को सुंदर और मजबूत बनाते हैं।
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