आख़िर कैसे होता है हींग का उत्पादन?

22 Oct 2024 | Food
आख़िर कैसे होता है हींग का उत्पादन?

औषधीय गुणों से भरपूर हींग का प्रयोग सब्जियों में सुगंध और स्वाद बढ़ाने के लिए तो करते ही है, साथ में दवाइयों में भी ये वृहत् रूप से इस्तेमाल होता है। आप सब ने इसका स्वाद तो जरूर टेस्ट किया होगा; परंतु यह उत्पादित कैसे होता है, शायद ही आप जानते हो।‌ इसे बनाने का एक लंबा प्रोसेस होता है, जिसमें कई महीने लग जाते हैं। इसकी बहुत थोड़ी-सी मात्रा ही उपयोग में ली जाती है। आये जानते हैं आगे इस लेख में यह किस पौधे से तथा कैसे बनता है और  इतना महंगा क्यों होता है।

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हींग का निर्माण: 

उत्तर-प्रदेश में हींग की नगरी कहे जाने वाले हाथरस में इसका निर्माण बड़े पैमाने पर होता है। यह मूल रूप से सरसों के पौधे जैसे एक पेड़ की जड़ से रस या राल के रूप में प्राप्त किया जाता है। यह डायरेक्ट ही खाने योग्य नहीं होता, बल्कि इसे विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा खाने योग्य बनाया जाता है। 10 ग्राम हींग से करीब आधा किलो तक हींग बनाया जाता है। 

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भारत में इसका उत्पादन पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल में किया जाता है; परंतु यह खपत के हिसाब से बहुत कम है, इसलिए इसका आयात ईरान, अफगानिस्तान, उज़्बेकिस्तान जैसे देशों से किया जाता है। जिसे विभिन्न प्रोसेस द्वारा खाने योग्य बनाते हैं।

खाने योग्य हींग बनाने हेतु विभिन्न प्रक्रियाएं:

हाथरस में 7 साल से हींग बना रहे सुशील कुमार जी बताते हैं कि सबसे पहले शुद्ध हींग में स्टार्च मिलते हैं। इसके लिए 2 ‌किलो मैदा में 200 ग्राम गोंद या अरेबीक गम तथा उसमें 50 ग्राम शुद्ध हींग अच्छे से मिलाकर, करीब आधे घंटे तक आटे की तरह गूंथते हैं। उसके बाद वह एक टाइट पेस्ट की तरह बन जाता है। अब इसे चाकू से काट कर छोटे-छोटे पीस कर लेते हैं। छोटे-छोटे पीस इसलिए करते हैं ताकि यह आसानी से सुख जाए। अब इन पीस को सनलाइट में सूखने के लिए करीब एक महीने तक छोड़ देते हैं। 1 महीने की धूप लगने के बाद यह सुख कर थोड़े करारे हो जाते हैं। अब इन्हें मिक्सी में पीसकर पाउडर के रूप में या थोड़ा दरदरा कर लेते हैं। यह प्राप्त हींग प्रयोग करने के लिए तैयार है। 

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हींग का फायदेमंद प्रयोग:

हिंग की बहुत सारी वैरायटी होती है, तकरीबन 80-90 तरीके की। इसे बनाने  तथा प्रयोग करने के भी विभिन्न तरीके हैं और उनका परिणाम भी अलग-अलग होता है। हींग में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं,  जिनकी वजह से ये सांस संबंधित समस्याएं, अस्थमा, सूखी-खांसी और सर-दर्द, डाइजेशन, मासिक-धर्म में होने वाला दर्द आदि में राहत देता है। इसी के साथ यदि एसिडिटी होने पर हींग में घी मिलाकर उसे नाभि पर लगाया जाये तो काफी राहत मिलती है। 

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