अद्भुत वास्तुकला से बने 64 योगिनी मंदिर का रहस्य

21 Oct 2024 | History
अद्भुत वास्तुकला से बने 64 योगिनी मंदिर का रहस्य

भारतीय ऐतिहासिक स्मारकों में घोषित एक ऐसा रहस्यमयी और वैज्ञानिक सुझबुझ से बना प्राचीन मंदिर, जहां रात्रि में जाने से लोग डरते हैं। वह है मुरैना एमपी में स्थित 64 योगिनी महादेव मंदिर, जिसे 1323 ईस्वी में गुर्जर प्रतिहार वंश के दसवें शासक देवपाल द्वारा बनवाया गया था। कहा जाता है मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। संसद भवन का डिजाइन भी इसी मंदिर से कॉपी किया गया था। आये जानते हैं इस गोलाकार डिजाइन में बने बड़े से मंदिर के सभी रहस्य।

अद्भुत वास्तुकला से बने 64 योगिनी मंदिर का रहस्य_3729

मंदिर की संरचना:

यह मंदिर लगभग 100 फीट ऊंची एक अलग पहाड़ी के ऊपर खड़ा है। ऊपर ये गोलाकार मंदिर तथा नीचे खेती किए गए खेतों का शानदार दृश्य प्रस्तुत होता है। ‌ भारत में गोलाकार मंदिरों की संख्या बहुत कम है तथा उनमें यह सर्वश्रेष्ठ मंदिर माना जाता है। 
अद्भुत वास्तुकला से बने 64 योगिनी मंदिर का रहस्य_3729

मंदिर की गोलाकार परिधि पर चारों ओर छोटे-छोटे 64 मंदिर तथा सामने 101 पिलर बने हुए हैं। यह 64 मंदिर देवी शक्ति ‌के 64 रूपों को संदर्भित करते हैं, इसीलिए इसे 64 योगिनी मंदिर कहा जाता है। चारों तरफ गोलाई में छोटे-छोटे मंदिर तथा बीच में गर्भ गृह भी गोल ही बना है, जिसका मुख पूरब दिशा में है तथा इसका द्वार भी बहुत छोटा है, जिसमें प्रवेश करने पर उसमें दो शिवलिंग मिलते हैं, एक शिवलिंग बहुत बड़ा तथा दूसरा छोटा है। सोचने वाली बात यह है कि एक मंदिर में दो शिवलिंग का क्या रहस्य है? 

अद्भुत वास्तुकला से बने 64 योगिनी मंदिर का रहस्य_3729

वास्तुकला:

यह मंदिर विशेष प्रकार के पत्थरों को काट कर तथा उन्हें जोड़कर बनाया गया है। इसकी खास बात यह कि ये पश्चिम से पूर्व की ओर एक निश्चित ढाल पर बना है, जिससे बारिश होने पर पानी बीच में कहीं भी नहीं रुकता और वह बहुत ही जल्दी सूख जाता है। हर मंदिर के बाहर पीतल धातु की भारी-भारी घंटियां लगी है तथा पिलरों पर भी पत्थर को काटकर विशेष डिजाइन में घंटे बना रखे है, जो इसकी वास्तुकला पर चार चांद लगा देता है। 


कमाल की इंजीनियरिंग:

मंदिर में की दीवारों पर विभिन्न प्रकार के संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं, जो इतने सालों बाद भी पत्थर पर साफ रूप से देखे जा सकते हैं। मंदिर को विशेष इंजीनियरिंग तथा वैज्ञानिकता का प्रयोग करके बनाया गया था। उस समय के ही तैयार पत्थरों में विभिन्न प्रकार के हुक्स भी बने हैं, ताकि पत्थरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सके। तथा मंदिर का ढाल भी वर्षा के जल का संरक्षण करने हेतु एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए किया गया था।
अद्भुत वास्तुकला से बने 64 योगिनी मंदिर का रहस्य_3729

यह मंदिर भूकंपीय क्षेत्र तीन में बना हुआ है, इसकी संरचना इस प्रकार है कि यह कई भूकंप के झटके झेलने के बाद भी सुरक्षित है। 
वहीं जिज्ञासु पर्यटकों ने इस मंदिर की तुलना भारतीय संसद भवन से की है क्योंकि दोनों की शैली ही गोलाकार है। अतः संसद भवन के पीछे इसी को प्रेरणा-स्रोत माना जाता है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥


Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About