कबाड़ से बनी कार

27 Mar 2025 | Ancient Technology
कबाड़ से बनी कार

भारत में कई अनोखे म्यूजियम हैं, लेकिन हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम अपनी अलग पहचान रखता है। यह म्यूजियम भारत के परिवहन के विकास की कहानी को दिखाता है। इसे तरुण ठकराल जी ने स्थापित किया था। यहां आपको पुराने जमाने से लेकर आधुनिक समय तक के अलग-अलग तरह के वाहन देखने को मिलेंगे।


क्रिसमस ट्री की अनोखी झलक

अक्सर क्रिसमस ट्री को पत्तों और रोशनी से सजाया जाता है, लेकिन इस म्यूजियम में एक बहुत ही अनोखा क्रिसमस ट्री है। यह ट्री रेड लाइट और ग्रीन लाइट्स से बना है जैसे ट्रेन के लिए ट्रैक होते हैं। यह डिज़ाइन एक ट्राम की तरह दिखता है। पहले ट्राम सड़क के बीच में ट्रैक पर चलती थी और इस म्यूजियम में उसकी खास झलक देखने को मिलती है।

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ट्रेन और ट्राम का अनोखा मिश्रण

म्यूजियम में एक ऐसा वाहन भी है जो ट्रेन और ट्राम का मिश्रण है। इसका ड्राइवर बस के ड्राइवर की तरह ही बैठता है।

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टॉय कार

यह एक टॉय कार जैसी है जिसे पैडल से चलाया जाता है। इसमें इंजन नहीं है, बल्कि यह पैडल मारने से ही आगे बढ़ती है।


पहिए (व्हील) का विकास

इस म्यूजियम में पहियों का भी एक अलग सेक्शन है। पहला पहिया मेसोपोटामिया में मिला था। इसके बाद समय के साथ पहियों में कई बदलाव हुए – पहले लकड़ी के पहिए बने, फिर उनमें लोहे और रबर का इस्तेमाल हुआ। आज जो टायर हम अपनी कारों और ट्रकों में देखते हैं, वे भी उसी विकास का नतीजा हैं।


पुराने जमाने की हेडलाइट्स और टिकट्स

यहां पुराने समय की हेडलाइट्स भी रखी गई हैं। आज हम अपनी गाड़ियों में इलेक्ट्रिक लाइट्स लगाते हैं, लेकिन पहले जमाने में हेडलाइट्स में कैंडल (मोमबत्ती) जलाई जाती थी। इसके अलावा, म्यूजियम में पुराने ट्रेनों और ट्रामों के फ्रेम किए हुए टिकट्स भी देख सकते हैं, जो उस समय के सफर की यादें ताजा कर देते हैं।


लक्ज़री ट्रेन के डिब्बे

हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम में लक्ज़री ट्रेन के डिब्बे भी रखे गए हैं। इन डिब्बों में आरामदायक कुर्सियां, बिस्तर, और यहां तक कि चेस खेलने के लिए बोर्ड भी था। पुराने जमाने में अमीर लोग सफर के दौरान अपना समय बिताने के लिए इन सुविधाओं का इस्तेमाल करते थे।


बॉल टोकन मशीन

यहां एक बॉल टोकन मशीन भी है। पहले इस मशीन में एक बॉल डाली जाती थी, जिससे एक टोकन निकलता था। यह सिस्टम पुराने समय में स्टेशनों या अन्य सार्वजनिक परिवहन में उपयोग किया जाता था।


घोड़ों से चलने वाली डाक गाड़ी

आज हम डाक या पार्सल को डिलीवरी बॉय के जरिए मंगवाते हैं, लेकिन पहले के समय में घोड़ों से चलने वाली पोस्ट कैरिज (Horse Driven Post Carriage) का इस्तेमाल किया जाता था। इसमें ड्राइवर आगे बैठता था और पीछे डाक कर्मचारी पार्सल और चिट्ठियां लेकर बैठते थे।


मिनी ट्रक और 1938 मॉडल की कार

इस म्यूजियम में एक मिनी ट्रक (3100 मॉडल) भी रखा गया है। इसका आगे का हिस्सा मेटल का बना हुआ है जबकि पीछे का हिस्सा लकड़ी का है। इसके अलावा, यहां एक 1938 मॉडल की कार भी है जिसमें अलग तरह की नंबर प्लेट, हॉर्न और स्प्लिट मिरर लगे हुए हैं।


लकड़ी से बनी 7-सीटर कार

एक और खास आकर्षण इस म्यूजियम में लकड़ी से बनी 7-सीटर कार है। इसमें अंदर कुशनिंग लगी हुई है, जिसमें फ्रंट सीटें सॉफ्ट और पीछे की सीटें हार्ड हैं। यह कार पूरी तरह से लकड़ी की बनी हुई है और इसका डिज़ाइन देखने लायक है।


स्क्रैप से बनी कार

इस म्यूजियम में एक ऐसी कार भी रखी गई है जिसे स्क्रैप (पुराने और बेकार पड़े वाहन के हिस्सों) से बनाया गया है। यह कार दिखने में बेहद अनोखी और उलटी लगती है और यह साबित करती है कि कैसे रीसाइक्लिंग के जरिए भी खूबसूरत और उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं।

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गणेश जी की मूर्ति – गाड़ी की चेन से बनी 

यहां एक खास गणेश जी की मूर्ति भी रखी गई है जिसे गाड़ियों की चेन से बनाया गया है। यह एक अनोखी कलाकृति है जो यह दर्शाती है कि पुराने और अनुपयोगी पुर्जों से भी सुंदर मूर्तियां बनाई जा सकती हैं। और यहाँ 100 साल पहले रोड रोलर भी है। 


निष्कर्ष

हेरिटेज ट्रांसपोर्ट म्यूजियम पुराने जमाने के वाहनों और उनके विकास को समझने के लिए एक बेहतरीन जगह है। यहां आपको ट्रेन, ट्राम, घोड़ा गाड़ी, लक्ज़री ट्रेन डिब्बे, मिनी ट्रक, और अनोखी टोकन मशीनें देखने को मिलती हैं। इसके अलावा, स्क्रैप से बनी कार और गाड़ियों की चेन से बनी गणेश जी की मूर्ति इस म्यूजियम की खास आकर्षणों में शामिल हैं। अगर आप भारत के परिवहन इतिहास को करीब से जानना चाहते हैं, तो यह म्यूजियम जरूर देखने लायक है।

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