दुनिया की सबसे हाईटेक रसोई का कमाल


एक ऐसी कमाल की हाईटेक रसोई जहां पर प्रतिदिन 16000 लोगों का खाना बनता है, जिसमें 700 से 800 किलो सब्जी, 2400 किलो राइस प्रतिदिन ऑटोमेटेकली मशीन के द्वारा तैयार किये जाता है। बड़ी ही सफाई और बिना किसी हुमन टच के होता है यह शानदार कार्य। यहां पर बना खाना इनकी फाउंडेशन से जुड़े सैंकड़ों स्कूल के बच्चों तथा अन्य लोगों की आपूर्ति करता है। आये जानते हैं अक्षय चैतन्य फाउंडेशन के मैनेजर जी से, इतनी बड़ी मात्रा में इस शानदार रसोई में किस तरह से बन रहा है खाना।

हजारों लोगों के भोजन बनाने का प्रोसेस:
इन्होंने अपनी इस रसोई में दाल-अनाजों, हरी सब्जियों, मिर्च-मसालों, चीनी, आटा आदि का अलग-अलग कंपार्टमेंट बना रखा है तथा सबसे बड़ा कंपार्टमेंट है जहां खाना बनाने के लिए बड़ी-बड़ी मशीन लगी है, जो ऑटोमेटेकली चलती है। यह सभी मशीनें और चूल्हे इलेक्ट्रिसिटी महानगर गैस पाइपलाइन द्वारा इंस्टॉल किए गए सिस्टम पर चलते हैं।

सबसे पहले कार्य की शुरुआत सब्जियों को धोने से की जाती है, जिसमें यह क्लोरीन टैबलेट डालकर सैनिटाइजर मशीन में वेजिटेबल वॉश करते हैं। क्लीन वाटर से वॉश हो जाने के बाद सब्जियां कटिंग सेक्शन में जाती है। जैसे आलू छिलने और धोने के लिए पोटैटो पीलिंग मशीन है, जिसमें 35 से 40 केजी पोटैटो एक बार में वॉश और छिल सकते हैं। इसके बाद वेजिटेबल कटिंग मशीन पर सब्जियां काटने के लिए जाती है, जिसमें ऊपर से सब्जेक्ट डालते हैं और अंदर प्रोसेस होकर वह छोटे-छोटे पीस में कट कर नीचे आ जाती है। इसमें अधिकतर सभी सब्जियों की कटिंग की जा सकती है।

ऑटोमेटिक मशीन का कमाल:
सब्जी कटिंग हो जाने के बाद यह जाते हैं, एक बड़ी-सी ऑटोमेटिक मसाला कढ़ाई पर जिसमें सभी मसाले आवश्यकता अनुसार ऐड किए जाते हैं। खाना पकाने की मशीनों के अंदर एक स्वचालित गोल-गोल घूमने वाले चमचे के जैसा यंत्र लगा है, जो सब्जी को घूमाता रहता है, जिसे स्पिंडल कहते हैं। इसमें सब्जी बनाने की विधि के अनुसार सब्जियां तथा मसाले ऐड करते रहते हैं और खाना पकता रहता है। इसी प्रकार अन्य कढ़ाई में सब्जी को उबालते है और बाद में उसमें बनाया गया तड़का डाल देते हैं, जिसे मशीन ऑटोमेटेकली घुमा-घुमा कर कुछ ही मिनट में पका देती है।

एक मशीन है रेशनल काम्बी वन जो जर्मनी से इंपोर्ट की गई है। इसमें यह लोग राइस बनाते हैं। इस मशीन के अंदर स्टीमिंग बेकिंग रोस्टिंग जैसी सभी चीजें कर सकते हैं। यह मशीन पहले प्री हिट होता है फिर ट्रॉली में चावल रखकर मशीन के अंदर कुछ मिनट के लिए रख देते हैं और वह पककर बाहर आ जाते हैं। इसी के साथ उनकी रसोई में एक हाईटेक ग्राइंडर भी है जो सभी मसाले को सेंकड़ों में बड़ी ही सफाई के साथ ग्राइंड कर देता है।

खाना बनने के बाद बारी आती है इसके डिस्ट्रीब्यूशन करने की, जिसके लिए डिमांड अनुसार खाने को डब्बे में भरते हैं तथा उस पर डिस्ट्रीब्यूट करने की प्लेस, डेट तथा क्वांटिटी आदि मेंशन कर व्हीकल में रखकर सप्लाई करने हेतु भेज दिए जाते हैं।
अक्षय चैतन्य फाउंडेशन का विजन:
दरअसल अक्षय चैतन्य एक एनजीओ है, जो लोगों को खाना प्रोवाइड करता है। यह डेली बेसिस पर लगभग 16000 मील खाना हजारों लोगों तक पहुंच रहे हैं। इनका यह न्यूट्रिंग गो मुंबई में स्थित है तथा उनकी वेबसाइट WRITE2US@AKSHAYACHAITANYA.ORG पर आप संपर्क कर सकते हैं। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही अन्य रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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