दुनिया की सबसे अनोखी एक पहिए वाली साइकिल


'भारत देश महान' यह कोटेशन ऐसे ही नहीं बोला जाता। वास्तव में यहां के युवाओं में जो प्रतिभा है, वह दंग कर देने वाली है। हैंडल पकड़ कर दो पहियों वाली साइकिल तो सभी चलते हैं, लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि ऐसे युवक के बारे में जो केवल एक पहिए की साइकिल किलोमीटर तक बिना हैंडल के चला लेता है और न सिर्फ साइकिल चलाता है बल्कि उसे पर बैठकर पेंटिंग भी बनता है। आये जानते हैं आठ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके रोनित जोशी से वह कैसे अजीबोगरीब तरीके से साइकिल को चलते हैं।
अद्भुत डिजाइन की साइकिल:
इस साइकिल में ना तो हैंडल है ना दो पहिए है और ना ही चैन है। इसमें केवल एक पहिया है जिसके बीच में पैडल लगा है और उसके ऊपर ही बैठने के लिए गद्दी लगी है। इस साइकिल का मोडिफिकेशन भी रोनित जी के ही इंजीनियरिंग दिमाग की उपज है, आमतौर पर बाजार में ऐसी साइकिल उपलब्ध नहीं है। इसे चलना ही अपने आप में एक चुनौती भरा टास्क है। चलाने के लिए कंसंट्रेशन और तीव्र अटेंशन की अति आवश्यकता होती है, जिसके लिए रोनित जोशी प्रतिदिन मेडिटेशन कर अपनी मस्तिष्क को एकाग्र करते हैं, जिस कारण वह यह शानदार कार्य कर पाते।
यूनि साईकिल से बनाएं 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड:
रोनित इस यूनाईसाईकिल पर बिना कोई सहारा लिए घंटे तक साइकिल चलते रहते हैं तथा इसके साथ अन्य क्रिएटिव एक्टिविटीज भी करते रहते है। हाल ही में इन्होंने कंटीन्यूअस 36 किलोमीटर साइकिल चलाकर हाईएस्ट वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। बिना किसी गुरु के इस एक्टिविटी में महारत हासिल करना वास्तव में इनकी लगन और निरंतर अध्ययन का ही परिणाम है। जब हमारी टीम ने रोनित जी का इंटरव्यू लिया तब भी इन्होंने साइकिल चलाते-चलाते चंद मिनटों में गणेश जी की पेंटिंग बना दी और रास्तों में आने वाले ब्रेकर या गड्ढों में भी अपना बैलेंस बनाए रखते हैं और सतत चाल से राइडिंग करते रहते हैं।
दूसरा इस यूनि-साईकिल की खास बात यह भी है कि यदि चलते-चलते इस पर से बीच में ही उतर जाएं तो यह स्वत: ही रूक हो जाती है या पेंडल मारना बंद कर दें तो साइकिल भी रुक जाती है। यदि ढलान है तो भी इस पर पैडलिंग करते रहना है अन्यथा साइकिल रुक जाएगी। दरअसल इसमें एक फ्री व्हील नाम का इंस्ट्रूमेंट होता है, जिस कारण ऐसा होता है। इस साइकिल की सीट स्टेबल नहीं है, यह 360 डिग्री घूमती रहती है। अत: इसको बैलेंस करना ही बहुत मुश्किल कार्य है, जिसे रोनित जी आसानी से कर लेते हैं।कक्षा 10 से वर्ल्ड रिकॉर्ड बनते आ रहे रोनीत जी अनेकों अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं। 21 जून को विश्व योग दिवस पर भी इनको वर्ल्ड यंगेस्ट योगा ट्रेनर का अवार्ड प्राप्त हुआ। ये इस बात की मिसाल है कि यदि परंपरागत लीक से हटकर मेहनत लगन और जुनून के साथ कोई भी नया कार्य किया जाए तो उसमें निश्चित रूप से महारत हासिल की जा सकती है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट पर अवश्य बताएं तथा ऐसे ही अन्य रोचक तथ्यों के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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