हिंदुस्तान की मिट्टी से बनती भट्ठी की ईंट

13 May 2025 | Manufacturing
हिंदुस्तान की मिट्टी से बनती भट्ठी की ईंट

राजस्थान की धरती हमेशा से कला, निर्माण और मेहनत के लिए मशहूर रही है। इसी धरती पर उदयपुर में रहते हैं चन्दरप्रकाश जी, जो मिट्टी से महलों जैसी मजबूत ईंटें बनाते हैं। उनका तरीका अनोखा है, पारंपरिक है और बिल्कुल देसी है – लेकिन मजबूत इतना कि चिमनी वाली ईंटें भी इसके आगे कमजोर लगें

हिंदुस्तान की मिट्टी से बनती भट्ठी की ईंट_5951


झील की मिट्टी से शुरुआत

चन्दरप्रकाश जी झील के किनारे से खास मिट्टी लाते हैं, जो ईंट बनाने के लिए बेहतरीन मानी जाती है। इस मिट्टी को पहले पानी में घोला जाता है ताकि वह नरम होकर अच्छे से मोल्ड में भरने लायक बन जाए। फिर इसे एक विशेष ब्रिक्स मोल्ड में डालकर ईंट का आकार दिया जाता है। रोज़ाना करीब 5000 ईंटें तैयार की जाती हैं।

धूप में सुखाई और भट्ठी की तैयारी

ईंटों को मोल्ड से निकालकर धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत जरूरी होती है क्योंकि गीली ईंट सीधे आग में जाए तो फट सकती है। सूखने के बाद इन ईंटों को "प्रमिन्ड" (भट्ठी की आकृति) में लगाया जाता है। नीचे पहले लकड़ियां रखी जाती हैं, फिर कोयला और उसके ऊपर एक के ऊपर एक ईंटें सजाई जाती हैं एक विशाल पहाड़ जैसा ढांचा तैयार होता है।

प्रमिन्ड को ढकना और आग जलाना

ईंटों के ढांचे को पूरी तरह से मिट्टी से पैक कर दिया जाता है, ताकि अंदर की गर्मी बाहर न निकले। ऊपर सिर्फ एक छोटी सी जगह छोड़ी जाती है  जिससे आग की गर्मी अंदर बनी रहे। भट्ठी के बीच थोड़ी खाली जगह छोड़ दी जाती है जिसमें लकड़ियां डाली जाती हैं। जब आग लगाई जाती है, तो अंदर कोयले और लकड़ी की मदद से लगातार गर्मी पैदा होती रहती है।

15 दिन तक चलती है भट्ठी की देखभाल

एक बार आग लगा दी जाए, उसके बाद 15 दिन तक पूरी भट्ठी को संभालकर रखना होता है। चन्दरप्रकाश जी और उनका दल दिन-रात ध्यान रखते हैं कि गर्मी बराबर फैले, मिट्टी ना टूटे और ईंटें अच्छी तरह से पकें। इस दौरान ईंटें धीरे-धीरे लाल होकर एकदम मजबूत बनती हैं।

हिंदुस्तान की मिट्टी से बनती भट्ठी की ईंट_5951


जब भट्ठी ठंडी हो जाती है

15 दिन बाद जब भट्ठी ठंडी पड़ने लगती है, तब मिट्टी हटाई जाती है और अंदर से पकी हुई ईंटें निकाली जाती हैं। इन ईंटों को ट्रैक्टर या ट्रक में लोड कर बाजार भेजा जाता है। एक प्रमिन्ड में करीब सवा लाख ईंटें पकती हैं।

क्यों खास हैं ये ईंटें?

इन भट्ठियों की ईंटें चिमनी की ईंटों से भी मजबूत मानी जाती हैं, क्योंकि ये लंबे समय तक अंदर से कोयले की मदद से हीट पाती हैं। ऊपर से पूरी तरह मिट्टी से पैक होने की वजह से ये ईंटें एक समान तापमान पर पकती हैं जिससे इनमें जबरदस्त मजबूती आती है।

हिंदुस्तान की मिट्टी से बनती भट्ठी की ईंट_5951


पूरा प्रोसेस – 2 से ढाई महीने का

एक भट्ठी तैयार करने में लगभग दो से ढाई महीने का समय लगता है। पहले ईंटों का बनना, फिर सुखना और अंत में भट्ठी में पकाना ये तीनों चरण बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। यही वजह है कि ये ईंटें बड़े-बड़े निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होती हैं, जहां टिकाऊपन सबसे जरूरी होता है।

निष्कर्ष:

चन्दरप्रकाश जी जैसे लोग हमारी परंपरागत निर्माण विधियों को न सिर्फ जिंदा रखे हुए हैं, बल्कि इनका विस्तार भी कर रहे हैं। उनकी भट्ठी में पकी हर ईंट मेहनत, अनुभव और धैर्य की कहानी कहती है। उदयपुर की यह देसी तकनीक आने वाले समय में ईको-फ्रेंडली और मजबूत निर्माण का बेहतरीन विकल्प बन सकती है।


Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About