हाईटेक गौशाला - कमाल इंजीनियरिंग

10 Apr 2025 | Technology
हाईटेक गौशाला - कमाल इंजीनियरिंग

भारत में गाय को माँ का दर्जा प्राप्त है लेकिन बहुत कम स्थान ऐसे हैं जहाँ वास्तव में गायों की सेवा वैज्ञानिक और व्यवस्थित रूप से की जाती हो। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित कृष्णायन गोशाला आज देशभर के लिए एक मिसाल बन चुकी है। स्वामी ऋषभ देवनंद जी द्वारा वर्ष 2004 में स्थापित इस गोशाला की शुरुआत मात्र कुछ गायों से हुई थी लेकिन आज यह 50 एकड़ में फैली हुई है और यहाँ करीब 10,000 गायों का पालन-पोषण हो रहा है। इस गोशाला का मॉडल भारत ही नहीं, विदेशों तक में सराहा जा रहा है।

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गोबर से बायो CNG - आत्मनिर्भरता की ओर

गोशाला की सबसे खास बात है इसका 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाला बायो-CNG प्लांट। रोज़ाना यहाँ से लगभग 40 टन गोबर एकत्रित किया जाता है। JCB मशीन और ट्रैक्टरों की मदद से यह गोबर इकट्ठा कर उसे सीवेज प्लांट तक पहुँचाया जाता है। यहीं से शुरू होती है हरियाली और आत्मनिर्भरता की कहानी। गोबर को बायोगैस प्लांट में भेजा जाता है जिसमें एक 85 क्यूबिक मीटर क्षमता का एक छोटा प्लांट और एक 100 टन क्षमता का बड़ा प्लांट शामिल है। गोबर और पानी को बराबर मात्रा में मिलाकर लोहे के बड़े ड्रमों में डाला जाता है। लगभग एक महीने की प्रक्रिया के बाद इसमें गैस बनती है जो ईंधन और बिजली दोनों में इस्तेमाल होती है।

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बिजली और रसोई गैस – दोनों की व्यवस्था

बायोगैस के माध्यम से इस गोशाला में 10 किलोवॉट (kW) तक बिजली भी उत्पन्न होती है। यह बिजली गोशाला के कई कार्यों को संभालती है। इसके अलावा, इसी गैस का प्रयोग रसोई में भी किया जाता है जहाँ 300 लोगों का खाना रोज इसी गोबर गैस से पकता है।

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जैविक खाद और पशु आहार

बायोगैस प्लांट से मिलने वाले गोबर से जैविक खाद भी तैयार की जाती है जो खेतों में उपयोग की जाती है। इसके अलावा गोशाला में पशुओं के लिए पौष्टिक आहार तैयार करने का भी विशेष प्रबंध है। यहाँ एक अत्याधुनिक PMR (Total Mixed Ration) मशीन है जिसमें भूसा, हरी सब्जियाँ जो शहर से एकत्र की जाती हैं और अन्य पोषक तत्व मिलाकर टोटल मिक्स आहार तैयार किया जाता है। यह आहार न केवल गायों की सेहत को बेहतर बनाता है बल्कि इससे मिलने वाला गोबर भी उच्च गुणवत्ता वाला होता है जो बायोगैस प्लांट के लिए अत्यंत उपयुक्त रहता है।

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गोशाला के 20 विशेष सेक्शन

कृष्णायन गोशाला में गायों की देखभाल के लिए 20 अलग-अलग सेक्शन बनाए गए हैं। जैसे -

  • दूध देने वाली गायों का सेक्शन
  • बछड़ों का अलग सेक्शन
  • नंदियों (बैल) का सेक्शन
  • बीमार गायों के लिए आइसोलेशन सेक्शन
  • नई आयातित गायों के लिए 15 दिनों का क्वारंटीन एरिया

इसके अलावा, चारा काटने की विशेष मशीन और भंडारण व्यवस्था भी मौजूद है जिससे गायों को पूरे वर्ष पौष्टिक आहार मिल सके।

आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा

कृष्णायन गोशाला केवल एक गोशाला नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर ग्राम विकास की एक जीवंत मिसाल है। यहाँ गोबर से गैस, बिजली, खाद और ईंधन सभी चीजें प्राप्त होती हैं। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण हो रहा है बल्कि गायों की सेवा से सामाजिक और आर्थिक लाभ भी मिल रहा है।

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