प्रकृति की गोद में बसा घर


इंदौर शहर में एक ऐसा अनोखा घर बना है जो किसी आम घर की तरह नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ एक गहरा रिश्ता दर्शाता है। यह घर इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि एक भी पेड़ को नहीं काटा गया बल्कि आम के पेड़ों के चारों ओर इस घर को बसाया गया है। घर की नींव प्रकृति से प्रेम, इस घर को बनाने में कोई भी केमिकल या हानिकारक पदार्थ इस्तेमाल नहीं किए गए। यहाँ तक कि सीमेंट तक का उपयोग नहीं किया गया। उड़द की दाल, मेथी, गोंद और पानी के मिश्रण से दीवारों की मजबूती तैयार की गई है। यह मिश्रण इतना कारगर है कि यह घर को नमी या नुकसान से बचाता है।

बिल्कुल जीरो वेस्ट तकनीक
यह घर जीरो वेस्ट प्रिंसिपल पर बनाया गया है। हर एक मटेरियल को सोच-समझकर इस्तेमाल किया गया है पुरानी ड्रेसों की एम्ब्रॉयडरी से दीवारें सजाई गई हैं। सोफा कवर पुराने कुशन और कपड़ों से बनाए गए हैं। लकड़ी के बचे हुए टुकड़ों से दरवाजे और सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। पुराने कुशन की फ्रेमिंग दीवारों की सजावट के लिए उपयोग में ली गई है।
घरों की दीवारें भी बोलती हैं – ग्रैटीट्यूड वॉल
इस घर में एक खास दीवार है, जिसे ये ग्रैटीट्यूड वॉल कहते हैं। यह दीवार हमें हर उस तत्व के प्रति धन्यवाद कहने की प्रेरणा देती है जिससे यह घर बना है – मिट्टी, पानी, लकड़ी, पत्थर और मेहनत।

प्राकृतिक रोशनी और हवा – बिना बिजली के दिन भर उजाला
घर की विंडोज़ पूरी तरह खुली रखी गई हैं ताकि प्राकृतिक रोशनी और ताज़ी हवा सीधी अंदर आ सके। लाइट सबसे पहले घर में विराजे भगवान जी पर पड़ती है जिससे एक सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है।
सीढ़ियाँ और छत – बिना सीमेंट की अनोखी बनावट
पूरी सीढ़ियाँ बाबुल की लकड़ी से बनाई गई हैं। सीमेंट का एक दाना भी इस्तेमाल नहीं हुआ। यही नहीं, दीवारों में ब्रिक्स की जाली बनाई गई है ताकि हवा आसानी से गुजर सके और घर में प्राकृतिक वेंटिलेशन बना रहे।

पानी की हर बूँद का महत्व
इस घर में तीन पॉट वाला नेचुरल फिल्टर सिस्टम लगा है जिसमें रेत, कोयला और गिट्टी पानी को साफ करने का काम करते हैं। पानी बूँद-बूँद नीचे मटके में आता है और वहाँ से डबल कॉटन के कपड़े से और भी अच्छे से फिल्टर होकर पीने लायक बनता है। इसके अलावा यहाँ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी है जो बारिश का पानी सीधे ज़मीन में समाता है और फिल्टर होकर 20,000 लीटर की अंडरग्राउंड टंकी में जमा होता है। यह टंकी कंक्रीट की बनी है ताकि पानी खराब न हो। इसमें फिटकरी डाल कर पानी को शुद्ध रखा जाता है और हर साल बारिश से पहले इसे साफ किया जाता है।

प्रकृति का हिस्सा
यह घर सिर्फ रहने की जगह नहीं है, बल्कि एक जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर भी खूबसूरत, मजबूत और टिकाऊ घर बना सकते हैं। बिना सीमेंट, बिना वेस्ट और बिना पेड़ों को नुकसान पहुँचाए बनाया गया यह घर एक संदेश है प्रकृति के साथ रहो, प्रकृति जैसी सोच रखो।
निष्कर्ष
इस घर के हर कोने में आपको प्रकृति की खुशबू मिलेगी। यहाँ शहर की भाग-दौड़ नहीं, बल्कि शांति और संतुलन है। यह घर हमें सिखाता है कि अगर सोच ईमानदार हो और दिल में प्रकृति के लिए प्रेम हो, तो हम बिना नुकसान पहुँचाए भी सुंदर जीवन जी सकते हैं।
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