कांच से हीट प्रोड्यूस कर खाना पकाने की टेक्नोलॉजी

21 Sep 2024 | Innovation
कांच से हीट प्रोड्यूस कर खाना पकाने की टेक्नोलॉजी

अद्भुत टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सोलर कुकिंग सिस्टम, जिसमें हर रोज 50000 लोगों का खाना पक रहा है। एक बड़ी-सी छतरी जिसमें शीशे लगे हैं और उसके रिफ्लेक्शन से सूरज की गर्मी को एक जगह केंद्रित कर तापमान बढ़ाया जाता है। इसी के द्वारा आश्रम में उपस्थित गायों के गोबर तथा बचे हुए खाद्य पदार्थ से हाईटेक टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर बायोगैस बनाकर गैस चूल्हे भी जलाते हैं। गुजरात के मुनि सेवा आश्रम में इन टेक्नोलॉजी का बड़े ही बेहतरीन ढंग से सदुपयोग हो रहा है। आये जानते हैं वहां के इंचार्ज दीपक गढ़िया जी से वह किस प्रकार सोलर ऊर्जा और बायोगैस के इन प्लांटों को संचालित कर रहे हैं।


कांच से हीट प्रोड्यूस कर खाना पकाने की टेक्नोलॉजी_7636


सोलर सिस्टम से हीट उत्पादन:

दीपक जी इस टेक्नोलॉजी को जर्मनी से सीख कर आए थे। इसमें खास बात यह है कि ये सोलर सिस्टम से इलेक्ट्रिसिटी का उत्पादन ना कर, डायरेक्ट हीट प्रोड्यूस करते हैं। इसके लिए इन्होंने 16 स्क्वायर मीटर की एक गोल डिश बना रखी है, जिस पर कांच के छोटे-छोटे टुकड़े लगे हुए हैं तथा इन पर सूर्य की किरण डायरेक्ट पड़ती है और उसे रिफ्लेक्ट होकर सामने एक विशेष धातु का उपकरण लगा है, जिस पर सारी हिट संग्रहित होती रहती है। इसका टेंपरेचर 550 सेल्सियस डिग्री तक हो जाता है और वह पानी को बॉयल कर उसकी स्टीम बनाकर डायरेक्टली पाइप के माध्यम से आगे ट्रांसफर कर देता है, जिसका उपयोग खाना बनाने में किया जाता है। 

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इसी प्रकार अन्य और भी कितनी सारी छोटी डिस लगी है जिन पर सूरज की किरण पड़ती है और वह रिफ्लेक्ट होकर एक विशेष धातु के बर्तन पर गिरती है और उसमें रखा कोई भी खाद्य पदार्थ आसानी से पक जाता है। इन रिफ्लेक्टिंग डिश में  सिंपल आईने वाले शीशे का ही प्रयोग किया हुआ है, जिससे सूर्य की किरण रिफ्लेक्ट होती है तथा ये डिश मोटर के द्वारा सूरज की दिशा में घूमती रहती है। सर्दियों में पानी को गर्म भी इसी विधि द्वारा किया जाता है तथा गर्म पानी को स्टोर करने के लिए एक पाइप में पानी भर देते है और उसके ऊपर इंसुलेटर पदार्थ लगाया जाता हैं, जिससे पानी अपने अंदर की गर्मी को रोके रखता है और दो दिन तक ठंडा नहीं होता। 


छोटी डिश के स्थान पर बड़ी डिश का निर्माण:

अभी फिलहाल तो इन्होंने डिश को अलग-अलग स्थान पर लगा रखा है; परंतु यह एक अकेली लगभग सात मंजिली मल्टी स्टोरी डिश बना रहे हैं, जो 26 टन वजन की दुनिया की सबसे बड़ी डिश होगी। इसके माध्यम से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकेगा।

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बायोगैस प्लांट: 

विज्ञान प्रेमी लोग अपने इस बड़े से आश्रम में खाना पकाने के लिए गैस भी जैविक रूप से उत्पादित कर रहे हैं। इसके लिए बचे हुए खाद्य पदार्थ को एक टैंक में सड़ने के लिए छोड़ देते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनके आश्रम में मौजूद गायों के गोबर को इकट्ठा कर उसी  टैंक में लाया जाता है, जिसमें मोटर से चलने वाली चकरी भी लगी है, जो गोबर और पानी को घोल देती है।

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यह एक वॉल के माध्यम से बड़े से भूमिगत टैंक में चला जाता है। जिसमें बाहरी तरफ वॉल-पाइप आदि टेक्निकल सिस्टम लगे हैं, जिसमें गैस पाइप के माध्यम से सिलेंडर तक पहुंच जाती है और आसानी से स्टोर भी की जाती है। इस गैस का प्रयोग चूल्हा जलाने के रूप में कुशलता पूर्वक प्रयोग किया जाता है। 

दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं तथा ऐसी ही अन्य रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥


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