खराब घिसे हुए टायर को मिनटों में नया करने की तरकीब


रद्दी में पड़ा टायर अब ट्रक का हो या ट्रैक्टर का, साधारण-सी दिखने वाली ट्यूब की मदद से बेकार टायर को भी नया कर दिया जाता है। यह शानदार कार्य गुजरात की एक मेगा फैक्ट्री में हो रहा है, जहां घिसे हुए टायर पर रबड़ की मजबूत परत चढ़ाकर चंद मिनट में एकदम नया कर दिया जाता है और इसका खर्चा भी बहुत कम है। आये जानते हैं जयप्रकाश नारायण जी से वह किस प्रकार पुराने टायरों को नया करते हैं।
टायर नया करने की प्रक्रिया:
कोई भी घिसा हुआ टायर चाहे वह जेसीबी का हो, ट्रैक्टर का हो या क्रेन का हो, यहां सभी हो नया कर दिया जाता है। जैसे आज के इस लेख में जानेंगे यह लोग ट्रैक्टर के टायर को कैसे नया करते हैं। इसके लिए सबसे पहले ट्रैक्टर के घिसे हुए टायर को बफिंग मशीन पर चढ़ाया जाता है।
टायर पर दूसरी परत मजबूती से चढ़े इसके लिए पुराने टायर की बड़ी ही सफाई से बफिंग की जाती है अर्थात् उसे घिसकर एकदम गोल बना देते हैं। साइडों की बफिंग हाथ द्वारा छोटी मशीन से की जाती है। उसके बाद रेगमाल से घिसे हुए टायर की एक बार फिर सफाई की जाती है और उसके ऊपर एक सॉल्यूशन का लेप लगाते हैं। तथा पहले से ही कच्चे माल के रूप में उपलब्ध रबर की मोटी परत। इस घिसे हुए टायर पर एक विशेष सॉल्यूशन के द्वारा चिपका दी जाती है और उस पर प्रेशर मशीन गोल-गोल घूमाकर दबाव बनाती है, ताकि वह अच्छे से चिपक जाए।
स्टीम ऑटोमेटिक मशीन:
रबड़ की परत चिपका देने के बाद उसमें ट्यूब डालकर और हवा भर के स्टीम ऑटोमेटिक मशीन में रखकर पेंच द्वारा खांचे में कस देते हैं। तथा कुछ समय बाद टायर पक कर बाहर निकल जाता है। दरअसल इसमें एक बॉयलर लगा हुआ है, जहां से स्टीम क्रिएट होती है और पाइप के माध्यम से टायर को प्रभावित करती है और टायर पर चढ़ाई गई परत गर्म होकर मूल परत से अच्छे से चिपक जाती है।
अब स्टीम ऑटोमेटिक मशीन से टायर को करीब 30 मिनट बाद बाहर निकलेंगे तो टायर में बाहरी रूप से बनने वाले खांचे भी अच्छे से जिग-जैक रूप में उभरते हैं और टायर एकदम नया बन जाता है। इस टायर की लाइफ कम से कम 10 वर्ष है। टायर बनने के बाद इसको ट्रैक्टर ट्रक आदि में फिट कर उपयोग में लेते हैं। यदि कोई भाई इनसे संपर्क करना चाहे तो इनकी दुकान आनंद गुजरात में है तथा इनका मोबाइल नंबर 9879036320 है। दोस्तों कैसी लगी आपको यह जानकारी कमेंट कर अवश्य बताएं और ऐसे ही अन्य इनफॉरमेशन के लिए जुड़े रहे "द अमेजिंग भारत" के साथ। धन्यवाद॥
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