प्रीती जी - चार पीढ़ियों से संगीत के साज बनाने की अनोखी विरासत

11 Mar 2025 | Manufacturing
प्रीती जी - चार पीढ़ियों से संगीत के साज बनाने की अनोखी विरासत

कोलकाता के रहने वाली प्रीती जी और उनकी टीम एक अनोखा काम कर रही हैं। यह उनका पारिवारिक व्यवसाय है, जो चार पीढ़ियों से चला आ रहा है। यहाँ हाथ से ढोलक, तबला, गिटार और टेबल बनाए जाते हैं। हर प्रोडक्ट में उनकी मेहनत और कला की झलक दिखती है।

लकड़ी का तबला बनाने की प्रक्रिया

तबला बनाने के लिए सबसे पहले मीठी का ढगा तैयार किया जाता है, जो यहीं बनता है। इसके बाद लकड़ी का तबला तैयार होता है। तबले की सुंदरता और मजबूती के लिए इसे कई लेयर में काटा और रंगा (कोलोरिंग) जाता है। तबला रंगने के बाद इसे 2-3 दिन धूप में सुखाया जाता है, जिससे इसका रंग अच्छी तरह सेट हो जाए।

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जब लकड़ी पूरी तरह सूख जाती है, तब पुड़िया (तबले का ऊपरी भाग) बनाने का काम शुरू होता है। इसके लिए एक बड़ी शीट लाई जाती है, फिर इसे पेंसिल से आकार के अनुसार काटा जाता है। कटिंग के बाद इसे पानी में भिगोकर रगड़ा जाता है, क्योंकि जितना अच्छे से रफ किया जाएगा, उतनी ही बेहतरीन आवाज निकलेगी।

ढगा और पुड़िया का जोड़ना

इसके बाद तबले पर पगड़ी (किनारों पर लगने वाली परत) लगाई जाती है। फिर रस्सी से इसे मजबूती से बांधा जाता है। इसके बाद पीछे एक बद्दी और रिंग (बेस) लगाई जाती है, जिससे तबला और अधिक मजबूत हो जाता है। यह पूरी प्रक्रिया बहुत ध्यान से की जाती है ताकि तबले का सही ट्यूनिंग हो सके।

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सहाई का काम – तबले की ध्वनि का राज

अब आता है तबले की ध्वनि को सही करने का काम, जिसे सहाई कहा जाता है। तबले के बीच के हिस्से से सूर (मुख्य ध्वनि) निकलती है और किनारों से अलग-अलग टोन आते हैं। सहाई बनाने के लिए इसमें लोहे की डस्ट को अच्छी तरह से मिलाया जाता है और तब तक कोटिंग की जाती है जब तक सही साउंड न निकले। फिर इसे पत्थर से घिसा जाता है और सुखाया जाता है।

तबला और ढगा – संगीत की जुगलबंदी

एक बार जब तबला और ढगा पूरी तरह तैयार हो जाते हैं, तो दोनों को एक साथ बजाया जाता है। ये दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं और मिलकर संगीत की खूबसूरत ध्वनि उत्पन्न करते हैं।

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अन्य वाद्ययंत्र भी होते हैं तैयार

प्रीती जी के कारखाने में सिर्फ तबला ही नहीं, बल्कि ढोलक और गिटार भी बनाए जाते हैं। हर वाद्ययंत्र को पूरी बारीकी और कारीगरी के साथ तैयार किया जाता है। यहाँ के कारीगरों का हर काम हाथ से होता है, जिससे हर प्रोडक्ट में उनकी मेहनत और हुनर साफ झलकता है।

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निष्कर्ष

प्रीती जी और उनकी टीम चार पीढ़ियों से यह विरासत संभाल रही हैं और अपनी कला से बेहतरीन संगीत वाद्ययंत्र बना रही हैं। इनका हर प्रोडक्ट एक अनमोल धरोहर है, जिसमें संस्कृति, परंपरा और आधुनिकता का सुंदर मेल देखने को मिलता है।

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