केले के तने से रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया: जगत कल्याण जी का योगदान

31 Dec 2024 | Manufacturing
केले के तने से रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया: जगत कल्याण जी का योगदान

केला केवल एक फल ही नहीं है, बल्कि इसके तने और बची हुई सामग्री का भी उपयोग किया जा सकता है। खासतौर पर बिहार के हाजीपुर जैसे क्षेत्रों में, जहां 80% तक केले की खेती होती है, किसान अब इसके तने का उपयोग रेशा और जैविक खाद बनाने में कर रहे हैं। इस काम में जगत कल्याण जी ने किसानों की काफी मदद की है। उन्होंने इस प्रक्रिया को आसान और फायदेमंद बनाया है।

केले के तने से रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया: जगत कल्याण जी का योगदान_9791


केले के तने का उपयोग और रेशा निकालने की प्रक्रिया

1. तने को इकट्ठा करना और काटना

  • फसल काटने के बाद किसान केले के तने को खेतों से इकट्ठा करते हैं।
  • ये तने ट्रॉलियों में भरकर कारखानों  तक पहुंचाए जाते हैं।

तनों को काटने के लिए दो तरीके अपनाए जाते हैं

1. मशीन से कटाई: मशीनों से तने जल्दी और आसानी से काटे जाते हैं।

2. हाथ से कटाई: जहां मशीन नहीं होती, वहां तनों को हाथों से काटा जाता है।

2. रस और रेशा निकालना

  • कटे हुए तनों को मशीन में डालकर रस निकाला जाता है।
  • रस निकालने के बाद जो गीला भाग (पलाप) बचता है, उसे अलग कर लिया जाता है।
  • तने की परतें (लेयर) निकालकर उसमें से रेशा अलग किया जाता है।
  • निकाले गए रेशे को तुरंत सुखाया जाता है ताकि वह खराब न हो।

3. रेशे का उपयोग

  • सूखे रेशे से धागा, कपड़ा और फाइल फोल्डर जैसी चीजें बनाई जाती हैं।
  • जगत कल्याण जी ने इस रेशे का उपयोग बढ़ाने और इसे बड़े पैमाने पर उपयोगी बनाने का काम किया है।

केले के तने से रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया: जगत कल्याण जी का योगदान_9791


बचे हुए पलाप से जैविक खाद (वर्मीकम्पोस्ट) बनाना

1. पलाप का उपयोग

  • रस निकालने के बाद जो पलाप बचता है, उसे गोबर के साथ 80:20 या 70:30 के अनुपात में मिलाया जाता है।

2. खाद के बेड तैयार करना

  • ओपन बेड (खुला बेड): इसमें बेड की ऊंचाई कम होती है, जिससे उत्पादन थोड़ा कम होता है।
  • क्लोज्ड बेड (बंद बेड): इसमें बेड की ऊंचाई ज्यादा होती है, जिससे उत्पादन अधिक होता है।

3. केंचुए डालना

  • इस मिश्रण में केंचुए डाले जाते हैं, जो इसे जैविक खाद (वर्मीकम्पोस्ट) में बदलते हैं।

केले के तने से रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया: जगत कल्याण जी का योगदान_9791


4. खाद को छानना और पैक करना

  • तैयार खाद को छानने के लिए हाथ से चलने वाली मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस मशीन से मोटा और बारीक खाद अलग किया जाता है।
  • मोटे खाद को सुखाकर फिर से छाना जाता है ताकि वह उपयोगी बने।
  • जगत कल्याण जी का योगदान
  • जगत कल्याण जी ने किसानों को केले के तने से रेशा निकालने की प्रक्रिया सिखाई।
  • उन्होंने बताया कि बचा हुआ पलाप वर्मीकम्पोस्ट बनाने में कैसे काम आ सकता है।
  • उनकी मदद से किसान अब न केवल केले की फसल से, बल्कि तने से भी कमाई कर रहे हैं।

फायदे

1. शून्य कचरा (Zero Waste): केले के तने का हर हिस्सा किसी न किसी काम में लिया जाता है।

2. आर्थिक लाभ: रेशे और जैविक खाद को बेचकर किसान अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।

3. पर्यावरण संरक्षण: जैविक खाद से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है और रासायनिक खाद का उपयोग कम होता है।

केले के तने से रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया: जगत कल्याण जी का योगदान_9791


निष्कर्ष

केले के तने का उपयोग रेशा और वर्मीकम्पोस्ट बनाने में करना पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद है। जगत कल्याण जी के प्रयासों से हाजीपुर के किसान इस प्रक्रिया को अपनाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। यह शून्य कचरे का एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसे देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सकता है।



Share

Comment

Loading comments...

Also Read

देसी ताकत का खजाना: सत्तू
देसी ताकत का खजाना: सत्तू

गर्मी का मौसम हो या सर्दी की सुबह,

01/01/1970

Related Posts

Short Details About